Bundelkhand Water Crisis : बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने को मजबूर हैं बुंदेलखंड के लोग

Bundelkhand Water Crisis : जिंदा रहने के लिए लोगों को 5-5 किलोमीटर धूप में जाकर पानी लाना पड़ता है, वह पानी भी साफ नहीं होता है पर पीने की मजबूरी है। गांव के पीड़ितों का कहना है कि कुछ समृद्ध लोग पानी को ब्लॉक कर खुद के लिए सप्लाई का पानी इंतजाम कर लेते हैं, उनके मुहल्ले में पानी नहीं पहुंचने दिया जाता है...

Update: 2022-06-18 15:30 GMT

Bundelkhand Water Crisis : चिलचिलाती गर्मी के बीच बुंदेलखंड के गांवों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने को मजबूर हैं। इंसानों को पानी मयस्सर नहीं हो पा रहा है ऐसे में मवेशियों की क्या हालत है यह यह बताने लायक नहीं है, उनकी जिंदगी तो बस भगवान भरोसे है। गांव के लोगों का पानी नहीं मिलने से बुरा हाल है।

जिंदा रहने के लिए लोगों को 5-5 किलोमीटर धूप में जाकर पानी लाना पड़ता है, वह पानी भी साफ नहीं होता है पर पीने की मजबूरी है। गांव के पीड़ितों का कहना है कि कुछ समृद्ध लोग पानी को ब्लॉक कर खुद के लिए सप्लाई का पानी इंतजाम कर लेते हैं, उनके मुहल्ले में पानी नहीं पहुंचने दिया जाता है। सरकारी पानी भी उन्हें उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण वे रोजमर्रा की चीजों के लिए नाली में से खारा पानी निकालकर उसका का इस्तेमाल करने को मजबूर है।

गांव की महिलाओं का आरोप है कि गांव कुछ समृद्ध लोग जात-पात के नाम पर जान-बूझकर उन तक पानी नहीं पहुंचने दे रहे हैं। वे जब पानी लाने सरकारी पंप पर जाते हैं, तो उन्हें डांट-फटकार कर भगा दिया जाता है। पानी उपलब्ध नहीं होने से कभी-कभी उन्हें दो-दो, तीन-तीन दिनों तक पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। इन कठिन परिस्थितियों के बीच उनका जीवन दूभर हो चला है। विडंबना यह है कि इस इस स्थिति के लिए कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधि सभी जमीनी हालात से अवगत होने के बावजूद मौन हैं। ऐसे में गांव में पानी के लिए तरह रहे लोगों का जीवन अंधकारमय हो गया है। 

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