मोबाइल कोरोना केसों के बढ़ने का एक बड़ा कारण, इसकी सतह पर 28 दिनों तक जिंदा रहता है वायरस

Update: 2020-10-16 07:04 GMT

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

जनज्वार। कोविड 19 का पूरी दुनिया में प्रसार थमने का नाम नहीं ले रहा है। 12 अक्टूबर तक दुनिया में 3,71,09,851 मामले सामने आ चुके थे, और इसके कारण 10,80,355 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी थी।

हमारे देश में 74 लाख से अधिक व्यक्ति इसकी चपेट में आ चुके हैं, और लगभग एक लाख 12 हजार व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। भारत में 70 हजार से अधिक मामले प्रतिदिन दर्ज किये जा रहे हैं, और लगभग 900 व्यक्तियों की मृत्यु हो रही है।

28 सितम्बर से 11 अक्टूबर के बीच भारत में 10 लाख 46 हजार व्यक्तियों को कोविड 19 का संक्रमण हुआ है। इस बीच कोविड 19 के नियंत्रण के सारे सरकारी उपाय सुस्त पड़ चुके हैं। अब कोविड 19 का नाम लेकर हमारे देश में जो कुछ किया जा रहा है, वह महज राजनीति का हिस्सा है।

इस दौरान दुनिया में कोविड 19 से सम्बंधित नए अनुसंधान लगातार किये जा रहे हैं। हाल में ही ऑस्ट्रेलिया के नेशनल साइंस एजेंसी में किये गए शोध के अनुसार कोविड 19 का प्रसार करने वाले वायरस पहले किये गए अध्ययनों की तुलना में विभिन्न सतहों पर अपेक्षाकृत लम्बे समय तक सक्रिय रहते हैं।

इस अध्ययन के अनुसार ग्लास, स्टील, प्लास्टिक और पेपर जैसी सतहों पर यह वायरस 28 दिनों तक सक्रिय बना रह सकता है, जबकि इसी वर्ष मई में प्रकाशित एक बहुचर्चित शोधपत्र के अनुसार सतहों पर वायरस के सक्रिय रहने की अवधि महज चार दिन बताई गई थी। इस नए शोधपत्र के अनुसार कोविड 19 के वायरस सतहों पर इन्फ्लुएंजा के वायरस की तुलना में 10 दिन अधिक सक्रिय रहते हैं।

इस अध्ययन के अनुसार चिकनी सतह, जैसे स्मार्टफोन का स्क्रीन और करेंसी नोट इत्यादि, पर ये वायरस लम्बे समय तक सक्रिय रहते हैं, जबकि कपडे की रुखड़ी सतह पर वायरस अपेक्षाकृत कम समय के लिए सक्रिय रहते हैं। पराबैंगनी किरणों के कारण इनकी सक्रियता ख़त्म हो जाती है, जबकि अँधेरे स्थानों पर इनका विस्तार तेजी से होता है।

सूर्य की धूप में पराबैंगनी किरणों के अंश रहते हैं, इसलिए तेज धूप में इनका प्रसार धीमा पड़ जाता है। संभव है, कि भारत में आबादी के अनुपात में धीमे संक्रमण दर का एक यह भी कारण हो क्योंकि यहाँ की असंगठित क्षेत्र की बड़ी श्रमिक आबादी धूप में ही काम करती है, गाँव और शहरों में भी लोगों को समय-समय पर धूप में निकलना पड़ता है।

ऑस्ट्रेलियन सेंटर फॉर डिजीज प्रीपेयर्डनेस में किये गए शोध के अनुसार कोविड 19 के वायरस का प्रसार गर्मी की अपेक्षाकृत सर्दियों में अधिक होता है। इस अध्ययन में 20 डिग्री, 30 डिग्री और 40 डिग्री सेल्सियस पर इनका प्रसार देखा गया, सबसे तेजी से प्रसार 20 डिग्री सेल्सियस पर दर्ज किया गया। शहरों में वातानुकूलित भवनों के अन्दर लगभग इसी तापमान को रखा जाता है।

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में संचारी रोग विशेषज्ञ पीटर कोलिग्नों के अनुसार सतहों पर भले ही वायरस लम्बे समय तक सक्रिय रहते हों, पर कोविड 19 के कुल मामलों में से महज 10 प्रतिशत मामलों में संक्रमण हाथ या किसी सतह से फैला होगा, जबकि 90 प्रतिशत मामले संक्रमित व्यक्ति के छींक या खांसी के कारण हैं।

ऑस्ट्रेलिया के इस अध्ययन के बाद हमारे देश में भी कुछ विशेषज्ञों ने आने वाली सर्दियों में कोविड 19 के संक्रमण में तेजी का अंदेशा जताया है। दूसरी तरफ हमारे देश में तापमान के कम होते ही वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है, और अनेक अध्ययनों से स्पष्ट है कि कोविड 19 और वायु प्रदूषण का गहरा रिश्ता है।

इन सबके बीच देश में केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कोविड 19 के सन्दर्भ में पूरी तरह उदासीन हो चुकी हैं। यह वैश्विक महामारी केवल आंकड़ों में सीमित कर दी गई है, लगभग सारे प्रतिबन्ध ख़त्म कर दिए गए। कोविड 19 से सम्बंधित प्रतिबंधों का उपयोग अब केवल विरोध की आवाज कुचलने के लिए किया जा रहा है।

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