दिलचस्प है दूरदर्शन में डिप्टी डायरेक्टर इंजीनियर रहे यूसुफ का दुर्लभ सिक्कों के कलेक्शन का जुनून
सिक्के इकट्ठा करने का जुनून युसूफ में ऐसा है कि एक बार मस्जिद से नमाज पढ़कर यूसुफ बाहर निकले तो फकीर के कटोरे में पांच रुपए का एक सिक्का देखा जो उनके पास नहीं था, उस पर नजर पड़ी तो उन्होंने फकीर को 10 रुपए का नोट देकर उसे उठा लिया...
मोहम्मद शोएब खान की रिपोर्ट
पटना। इसे शौक कहा जाए, इसे धुन कहा जाए, इसे लगन कहा जाए या कुछ और। पटना के सैयद रुमानुल फैजी यूसुफ को पुराने सिक्के इकट्ठा करने का शौक है। उनके पास प्राचीन काल से लेकर अब तक के करीब 7000 से अधिक सिक्के मौजूद हैं।
यूसुफ ने विभिन्न देशों के दुर्लभ सिक्कों सहित मध्यकालीन और प्राचीन भारत के इतिहास को भी संजोकर रखा हुआ है, वहीं इन दुर्लभ सिक्कों के साथ उसके इतिहास को भी तलाश करने का प्रयास किया।
हर सिक्के के साथ उसके चालू होने का वर्ष, मूल्य और धातु आदि स्पष्ट रूप से लिख रखा है। सिक्कों को देखकर उस दौर के राजा, महाराजा, बादशाह और नवाब आदि की यादें ताजा हो जाती हैं।
दरअसल पुरानी मुद्रा हर कोई रखना चाहता है, मगर पटना निवासी यूसुफ नोट और सिक्के खरीदने का शौक भी रखते हैं। उन्हें कोई भी पुराना या कुछ अलग सिक्का मिला, तो खरीदने के लिए उसकी बोली लगा देते हैं। महारानी विक्टोरिया के समय से लेकर आज तक के सभी सिक्के इनके संग्रह में हैं। अपने इस संग्रह को बढ़ाने के लिए वो हमेशा पुराने सिक्कों की तलाश में रहते हैं।
यूसुफ को सिक्के और नोट इकट्ठा करने का इतना ज्यादा शौक है कि मौजूदा वक्त में उनके पास चंद्रगुप्त सम्राट, मॉडर्न से लेकर मुगल और शिवाजी महाराज, ब्रिटिश पीरियड, रोमन ईम्पायर, इंडो-ग्रीक, इंडियन प्रिन्स्ली स्टेट्स, इंडो-फ्ऱेंच, इंडो-डच, इंडो-पॉचुर्गीज और ओटोमैन इंपायर के सिक्के एवं 20, 25, 50, 60, 75, 100, 125, 150, 200, 250, 350, 500, 550,1000 रुपए के सिक्कों के सेट का दुर्लभ कलेक्शन मौजूद है।
यूसुफ ने इस शौक के बारे में बात करते हुए कहा, "अब तक कुल 7000 से अधिक दुर्लभ सिक्कों का कलेक्शन है, वहीं करीब 200 देशों के ढाई हजार सिक्के मेरे पास हैं और 125 देशों के नोट का कलेक्शन है। भारतीय नोट में अब तक जितने नोट निकले हैं कुछ को छोड़ कर, सभी मौजूद हैं। वहीं जितने गवर्नर के सिग्नेचर से निकले हैं, वो सब मौजूद हैं। एक रुपए का नोट फाइनेंस सेक्रेट्री निकालते हैं, उनके द्वारा निकाले गए अलग अलग डिजाइन के नोट कलेक्शन में शामिल हैं।"
दरअसल सैयद का सिक्कों को इकट्ठा करने के पीछे एक बड़ा ही दिलचस्प वाकया है। यूसुफ के बड़े भैया को सिक्के जमा करने का शौक था, उन्हीं में से एक सिक्के से यूसुफ ने टॉफी खरीद ली। इस बात पर यूसुफ के भाई इतने नाराज हुए कि उन्होंने अपने जमा सिक्के यूसुफ को सौंप दिया, जिसके बाद से वो सिक्के इकट्ठा करने का सिलसिला एक जिम्मेदारी और शौक के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।
यूसुफ बताते है, "70 के दशक में मेरे भैया के पास एक छोटा सा डिब्बा था जिसमें वह सिक्का रखते थे। यूसुफ को सिक्के जमा करने का ऐसा शौक चढ़ा कि बड़े ही अलग अलग ढंग से इन्हें जमा करने लगा। घर मे छुट्टे आने पर हर एक सिक्के के पहलू को देखता हूं, वहीं कहीं भी जाता हूं तो सिक्कों पर बड़ी बारीकी से नजर बनाए रखता हूं।"
सिक्के जमा करने की लगन इतनी है कि एक बार मस्जिद से नमाज पढ़कर यूसुफ बाहर निकले तो फकीर के कटोरे में पांच रुपए का एक सिक्का देखा जो उनके पास नहीं था, उसपर नजर पड़ी तो उन्होंने फकीर को 10 रुपए का नोट देकर उसे उठा लिया।
टूरिस्ट स्पॉट से भी काफी सिक्के इकट्ठा कर चुके हैं। यूसुफ 50 सालों से सिक्के जमा कर रहे हैं। हालत ये हो गई है कि नौकरी से रिटायर होने के बाद यूसुफ अपना सारा समय इन सिक्कों को और जमा करने में लगाते हैं। दरअसल यूसुफ दूरदर्शन चैनल में डिप्टी डायरेक्टर इंजीनियर के पद से 2019 में रिटायर हुए हैं, जिसके बाद से वह अपना पूरा वक्त इन्हीं सिक्कों को जमा करने में दे रहे हैं।
यूसुफ के पास अब इतने जरिए बन चुके हैं कि सिक्के जमा करने में कहीं भी कोई भी सिक्का दुर्लभ हो, उसकी खबर उन तक पहुंच जाती है और वह उसे खरीद लेते हैं। यूसुफ के मुताबिक अब यही उनके जीने का सहारा है। "रिटायर होने के बाद कुछ नहीं करता तो हो सकता था कि बीमार ही हो जाता, लेकिन मैंने अपना सारा वक्त इन्हें इकट्ठा करने में लगा दिया। यही मेरे लिए दवा है और जीने का सहारा भी। सिक्कों के अलावा नोट भी इसी तरह से जमा करते हैं।"
हालांकि यसुफ इन सिक्कों को जमा करने के लिए उनके दाम भी चुकाते हैं। यूसुफ से करीब 1 हजार से अधिक लोग जुड़े हुए हैं जो दुर्लभ सिक्कों की जानकारी देते हैं, वहीं डीलर के जरिये भी यूसुफ सिक्के खरीदते हैं।
इतने सिक्कों ओर नोटों के कलेक्शन होने के बावजूद भी यसुफ संतुष्ट नहीं हैं। उनके मुताबिक देशभर में काफी ऐसे लोग हैं जिनके पास मुझसे भी अधिक दुर्लभ सिक्के मौजूद हैं। यूसुफ का यह शौक उनके परिवार वालों को भी पसंद है। हालांकि यूसुफ कहते हैं कि यदि मेरे बच्चे सिक्के जमा करने का सिलसिला जारी रखना चाहें, तो रख सकते हैं।
इसके अतिरिक्त यूसुफ के पास डाक टिकट और पुराने डोक्यूमेंट का भी संग्रह है। यूसुफ खाली समय में कविता, गजल और कहानियां लिखते हैं, कई कवि गोष्ठी और मुशाएरे में भाग भी ले चुके हैं।