बिना परीक्षा दिए 99.37 फीसदी हुए पास तो परीक्षार्थी खुश-अभिभावक गदगद, बस और क्या चाहिए!
वैसे पढ़ाकू किस्म के विद्यार्थी मायूस जरूर हैं क्योंकि 'टके सेर भाजी टके सेर खाजा' वाले सीन में उन्हें अपनी काबिलियत दिखाने का मौका नहीं मिल सका, पढ़े वो भी और जो न पढ़े वे भी, सब बराबर वाली कैटेगरी में गिन लिए गए..
जनज्वार। सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा के रिजल्ट कल शुक्रवार यानि 30 जुलाई को घोषित कर दिए गए हैं।बिना परीक्षा दिए इस साल 99.37 फीसदी परीक्षार्थी सफल घोषित हुए हैं। इन विद्यार्थियों को कोई परीक्षा भी नहीं देनी पड़ी यानि बिना परीक्षा हॉल का मुंह देखे 100 में से 99.37 विद्यार्थी अपने कैरियर की पहली सीढ़ी वाली एक्जाम सफल हो गए। इसे लेकर ज्यादातर विद्यार्थी खुश हैं तो अभिभावक भी गदगद हैं।
आखिर खुश क्यों न हों, बिना किसी मिहनत के हायर सेकेंडरी पासआउट करने का सर्टिफिकेट जो मिल गया। वैसे पढ़ाकू किस्म के विद्यार्थी मायूस जरूर हैं क्योंकि 'टके सेर भाजी टके सेर खाजा' वाले सीन में उन्हें अपनी काबिलियत दिखाने का मौका नहीं मिल सका। पढ़े वो भी और जो न पढ़े वे भी, सब बराबर वाली कैटेगरी में गिन लिए गए।
उधर सरकार भी खुश ही होगी, क्योंकि उसकी जय जयकार जो हो रही है। जय जयकार तो होगी ही, चूंकि हमारे देश में मुफ्त के या बिना मेहनत के प्राप्त जहर को भी लोग हाथोंहाथ लपकने के आदी जो हैं। जी हां, यह एक किस्म का जहर ही तो है, बिना पढ़े, बिना क्लास किए, बिना परीक्षा दिए 90-99 परसेंट तक मार्क्स, प्रथम श्रेणी का रिजल्ट मिल गया।
ऐसे में रात-रातभर जगकर हाड़तोड़ मेहनत भला कौन करना चाहेगा? दिन भर स्कूल, फिर एक्स्ट्रा क्लास, फिर कोचिंग क्लास और घर पर होमवर्क, इतने झंझटों से एक झटके में मुक्ति मिल जाय तो इसे कौन पसंद नहीं करेगा। कौन सरकार की जय जयकार नहीं करेगा।
वैसे 'तुम्हारी भी जय-जय हमारी भी जय-जय' वाला मामला है। सरकार भी खुद सबकी जय जयकार कर रही है। सीबीएसई की 12 वीं की रिजल्ट जारी होने के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने ट्वीट कर लिखा, "मेरे उन युवा मित्रों को बधाई जिन्होंने सीबीएसई बारहवीं की परीक्षा पास की है। यह जानकर खुशी हुई कि सीबीएसई ने रिकॉर्ड पास प्रतिशत हासिल किया है। शिक्षकों और अभिभावकों को उनकी कड़ी मेहनत के लिए बधाई। सभी छात्रों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं।"
वैसे तो यह सब देखने-सुनने में सामान्य सा लग सकता है लेकिन क्या यह उन विद्यार्थियों के भविष्य के लिहाज से सही है? वैसे तो कहा जा सकता है कि कोरोना महामारी के कारण सामने आई परिस्थिति में मजबूरीवश यह कदम उठाया गया है। कोरोना के कारण स्कूल बंद कर दिए गए थे और परीक्षाएं आयोजित नहीं की जा स्किन लेकिन इसमें विद्यार्थियों के कैरियर, उनकी मनोदशा, पढ़ने वाले विद्यार्थियों की तैयारी आदि पर जो असर पड़ा, उसका परिणाम दूरगामी हो सकता है।
हालांकि यह साल-दो साल का मामला लगता है लेकिन इस वाकये से विद्यार्थियों के मनोबल, उनकी सोच, उनके समूचे व्यक्तित्व पर जो दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है, उसका आकलन कर उसका निदान करना भी सरकार का ही दायित्व बनता है। पर क्या सरकार की कोई सोच इस दिशा की ओर भी जाती है? इसका जबाब फिलहाल तो 'नहीं' ही हो सकता है क्योंकि न तो सरकार की ओर से अबतक ऐसा कोई बयान आया है, न इसे लेकर नीति निर्धारण की ओर बढ़ा हुआ कोई कदम नजर आ रहा है।
बता दें कि सीबीएसई 12वीं की परीक्षा के लिए इस साल 14.5 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी गईं थीं। छात्रों का रिजल्ट तय मूल्यांकन फॉर्मूले के आधार पर तैयार किया गया है। 12 वीं का रिजल्ट प्रकाशित हो चुका है और 10 वीं का रिजल्ट भी इसी फार्मूले के तहत जल्द ही आने वाला है।