Ground Report : शहीद विजय मौर्य की स्मृति में सड़क बनाने के नाम पर प्रशासन कर रहा किसानों से छल, तैयार हो रही हिंसक आंदोलन की जमीन

देवरिया स्थित भटनी के किसानों के जमीन का मुआवजा न देकर टप्पल जैसे हिंसक आंदोलन जमीन तैयार कर रहा देवरिया प्रशासन, किसानों में भारी रोष...

Update: 2021-09-04 12:24 GMT

(CRPF जवान विजय मौर्य की स्मृति में उनके पैतृक गांव तक सड़क बनाने के वादे को पूरा करने के बजाए निर्माण के नाम पर किसानों के साथ टकराव की स्थिति की जा रही है पैदा)

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो, गोरखपुर। भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार किसानों के अधिग्रहित जमीन का मुआवजा देने की बात करने वाली यूपी की योगी सरकार के प्रशासनिक अधिकारी अपना अलग ही फरमान चला रहे हैं। पुलवामा में शहीद हुए CRPF जवान विजय मौर्य की स्मृति में उनके पैतृक गांव तक सड़क बनाने के वादे को पूरा करने के बजाए निर्माण के नाम पर किसानों के साथ टकराव की स्थिति पैदा की जा रही है, जो टप्पल जैसे हिसंक किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि भूमि तैयार करते दिख रही है।

भूमि अधिग्रहण के सवाल पर शासन व प्रशासन के बीच टकराव की कहानी हमारे यहां पुरानी हो चुकी है। भूमि अधिग्रहण कानून को लागू कराने की बात आते ही प्रशासन का अपने मिजाज के अनुसार अलग ही हुक्म चलता है। ऐसे विषयों से जुड़े तमाम आंदोलनों की अगर पृष्ठभूमि की ओर जाएं तो देखेंगे कि किसानों की जायज मांगों को ठुकराकर प्रशासन खुद ही टकराव की स्थिति पैदा कर देता है, जिसकी तस्वीर बाद में टप्पल जैसे हिंसक आंदोलन के रूप में सामने आती है।

हम यहां बात कर रहे हैं यूपी के देवरिया जिले के भटनी क्षेत्र के छपिया जयदेव की। यहां के लाल विजय मौर्य 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आंतकी हमले में शहीद हो गए। उनकी याद में लोगों की मांग पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तमाम घोषणाओं के साथ ही पैतृक गांव तक उनके नाम पर सड़क निर्माण की भी बात कही। लंबे इंतजार के बाद भी अब तक सड़क का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। इस पर उठते सवाल के जवाब में योगी आदित्यनाथ के अफसर अजीबोगरीब जवाब देते हैं।

जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में सदस्य अजीत सिंह के इस संबंध में उठाए गए सवाल के जवाब में लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता एसए अब्बास कहते हैं, जिगिना मिश्र के कुछ ग्रामीणों के विरोध के चलते निर्माण नहीं हो पा रहा है। हालांकि वे किसानों की भूमि के मुआवजे की मांग को यहां न बताकर जनप्रतिनिधियों को भी गुमराह करते हैं।

1.8 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण पर खर्च होंगे 1.17 करोड़

अफसर के जवाब व जमीनी हकीकत जानने के लिए जब जनज्वार ने पड़ताल की तो असली तस्वीर इस रूप में सामने आती है कि प्रशासनिक रवैये के चलते यहां सड़क निर्माण एक हिंसक युद्ध की तस्वीर तैयार कर रही है।

देवरिया स्थित भटनी बाईपास से हतवा, जिगिना मिश्र होकर छपिया जयदेव तक स्वीकृत सड़क की लंबाई 1.8 किलोमीटर व लागत 1.17 करोड़ है। इसका शिलान्यास देवरिया जनपद के बंगरा बाजार में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय भागवत भगत खजड़ी वाले के जन्मदिवस 4 जनवरी को उप मुख्यमंत्री व लोक निर्माण मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने किया। नगर पंचायत भटनी की तरफ से शहीद विजय द्वार मार्ग का निर्माण कराया जा रहा है। इसकी लागत 4.37 लाख रुपये बताई जा रही है। नगर पंचायत भटनी के अध्यक्ष डॉ. बलराम जायसवाल बताते हैं कि शहीद द्वार का ढांचा बनकर तैयार हो गया है। जल्द ही इसका प्लास्टर कार्य कराया जाएगा।

ग्रामीणों ने कहा प्रशासनिक रवैये के चलते शहीद की याद में हो रहे सड़क निर्माण से एक हिंसक युद्ध की तस्वीर हो रही है तैयार

किसानों के बिना अनुमति के खेतों से काटी जा रही मिट्टी

जिगिना मिश्र निवासी पवन कुमार कहते हैं कि विजय की शहादत पर हम सभी को गर्व है। क्षेत्र के किसान चाहते हैं कि भटनी बाईपास से हतवा बाजार, जिगिना मिश्र होते हुए शहीद विजय के पैतृक गांव छपिया जयदेव तक यह सड़क का निर्माण जल्द पूरा हो जाए। चक मार्ग की चौड़ाई 2.62 मीटर से लेकर 2.82 मीटर तक है। लोक निर्माण विभाग के मानक के अनुसार सड़क की चौड़ाई 3.75 मीटर व पेब्ड शोल्डर एक-एक मीटर होना चाहिए। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों व ठेकेदार ने जबरदस्ती किसानों के एतराज के बाद भी JCB से खेत की खोदाई कराकर 5 मीटर से 7 मीटर चौड़ाई में मिट्टी कार्य कराया है, जिसके चलते किसान धान की रोपाई नहीं करा सके हैं।

मुक्तिनाथ कहते हैं कि जिगिना मिश्र के अधिकांश किसान लघु सीमांत किसान हैं। अधिकांश किसानों का गुजर बसर खेती पर निर्भर है। मुआवजा की मांग छह माह से किसान कर रहे हैं। इसके बाद भी अधिग्रहित भूमि का मुआवजा देने के बजाए प्रशासन जबरन निर्माण करा रहा है।

उधर किसानों के मांग पर शासन की अब तक की कार्रवाई की बात करें तो लोक निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव अभय कुमार ने 15 जून को उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता को प़त्र लिखकर रिपोर्ट मांगी थी।इसके पूर्व 31 मई को जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने भी लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता से भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार अधिग्रहित जमीन का चार गुना मुआवजा व किसानों के जमीन से जबरन मिटटी निकालने पर रोक संबंधित मांग पर जांच कर रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि प्रभावित किसान अश्वनी के मुताबिक अब तक मुआवजे की राशि देने के संबंध में विभाग द्वारा कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया, जबकि अधिकारी अब यह भी कहने लगे हैं कि ग्रामीण सड़क के लिए जमीन खरीद का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में किसी भी हालत में मुआवजा नहीं दिया जा सकता।

सड़क में जा रही 110 से अधिक किसानों की करीब दो एकड़ जमीन

बिना मुआवजे के जबरन जमीन सड़क के नाम पर लेने की प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस सड़क में हतवा, जिगिना मिश्र और छपिया जयदेव गांव के करीब 110 से अधिक किसानों की करीब दो एकड़ जमीन सड़क में जा रही है। घनी आबादी वाले इलाके के कारण इन जमीनों की अधिक बाजार मूल्य है, जिसका कोई भुगतान किए बिना सड़क मे अधिग्रहित करने को लेकर किसानों को आश्चर्य भी है।

किसानों के आंदोलन के चलते निरस्त हो गई भटनी-हथुआ रेल लाइन परियोजना

उधर इस इलाके में किसानों के आंदोलन का अतीत अगर देखें तो भटनी-हथुआ रेल लाइन निर्माण में मांग के अनुसार अधिग्रहित भूमि का मुआवजा की मांग को लेकर संघर्ष का नतीजा रहा कि सरकार को परियोजना ही रद करनी पड़ी। ये सब किसानों के आंदोलन के चलते हुआ। भटनी-हथुआ रेल लाइन को लेकर आंदोलन में शामिल रहे किसान ही एक बार फिर सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की जा रही भूमि के मुआवजे की मांग को लेकर डटे हैं, जिसको लेकर प्रशासन भी सकते में है। पूर्व के आंदोलनों को याद कर प्रशासन का भी कहीं न कहीं मानना है कि मांगों की अनदेखी करने पर विरोध की तस्वीर बदल सकती है। ऐसे ही मामले तूल पकडने पर टप्पल किसान आंदोलन जैसी हिंसक तस्वीर पैदा करती है।

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