India will overtake China in population : अगले साल चीन को पछाड़कर जनसंख्या मामले में भारत बन जायेगा विश्वगुरु, मगर कहां से लायेंगे साफ हवा-पानी

India will overtake China in population : वर्ष 2023 में भारत होगा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश, मगर सबसे बड़ा सवाल कि क्या भविष्य की आबादी के लिए हम आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने में सक्षम हैं...

Update: 2022-07-13 01:30 GMT

India will overtake China in population : अगले साल चीन को पछाड़कर जनसंख्या मामले में भारत बन जायेगा विश्वगुरु

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अगले वर्ष यानि 2023 में भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ देगा और इसके बाद जनसंख्या के सन्दर्भ में हम वाकई विश्वगुरु बन जायेंगे।

इस समय भारत और चीन में प्रत्येक की आबादी लगभग 1.4 अरब है, पर भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर चीन से अधिक है। वर्ष 2011 में भारत की आबादी 1.21 अरब थी। इस रिपोर्ट को जारी करते हुए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा कि यह वर्ष विश्व जनसंख्या के सन्दर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी वर्ष दुनिया की आबादी 8 अरब को पार करेगी।

जनसंख्या वैज्ञानिकों के अनुसार इस वर्ष 15 नवम्बर के आसपास 8 अरबवें व्यक्ति का जन्म होगा। महासचिव ने कहा कि हमें जनसंख्या की विविधता पर गर्व होना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक दबाव नहीं पड़े।

दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र एशिया में हैं। पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया की आबादी 2.3 अरब है, जो वैश्विक आबादी का 29 प्रतिशत है। दूसरे स्थान पर केन्द्रीय और दक्षिण एशिया है, जहां की कुल आबादी 2.1 अरब है और यह वैश्विक आबादी का 26 प्रतिशत है।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक दुनिया में 8 देशों में सबसे तेजी से आबादी बढ़ रही होगी, इनके नाम हैं – डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो, ईजिप्ट, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और तंजानिया। दुनिया के 46 सर्वाधिक पिछड़े देशों में वर्तमान में जनसंख्या वृद्धि दर सबसे अधिक है और इन देशों की आबादी वर्ष 2022 से 2050 के बीच दुगुनी हो जायेगी। दुनिया में 61 ऐसे देश भी हैं जहां की जनसंख्या वृद्धि दर 1 प्रतिशत से भी कम है। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक दुनिया की आबादी 8.5 अरब और वर्ष 2050 तक 9.7 अरब पहुँच जायेगी।

इस दौर में जन्सक्या की वृद्धि दर वर्ष 1950 के बाद से सबसे कम है, वर्ष 2020 में यह दर 1 प्रतिशत से भी कम थी। कोविड 19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर औसत उम्र सीमा को कम कर दिया है। वर्ष 2019 में औसत उम्र सीमा 72.8 वर्ष थी, जो वर्ष 2021 में 71 वर्ष पर ही सिमट गयी। वर्ष 1950 के बाद से हरेक महिला के जीवनकाल में पैदा होने वाले बच्चों की औसत संख्या में भी तेजी से कमी आई है। वर्ष 1950 में यह दर 5 थी, जो वर्ष 2021 तक 2.3 रह गई। वर्ष 2050 के लिए यह पूर्वानुमान 2.1 है।

हमारे देश में आबादी लगातार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली है, जाहिर है इसका असर प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ेगा। अभी ही हम पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, साफ़ हवा देश में कहीं नसीब नहीं है और जंगल तेजी से काटे जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भविष्य की आबादी के लिए हम आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने में सक्षम हैं – पर अफ़सोस यह है कि इससे परे सरकारी स्तर पर यह चर्चा की जाती है कि इसमें से कितने हिन्दू और कितने मुस्लिम होंगे।

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