क्या चीन के सम्राट की रक्षा के लिए जिंदा दफन कर दिए गए थे 8,000 सैनिक, दुनिया के लिए आज भी रहस्य बनी है चीन की टेराकोटा आर्मी
Terracotta Army : सभी सैनिकों को उनके पदों के हिसाब से खड़े करके दफनाया गया था। इस सेना में पैदल सैनिक, धनुर्धारी, सेनापति, घुड़सवार और रथ भी शामिल हैं, जिसे देखकर असली सेना जैसा आभास होता है....
Terracotta Army : इतिहास खुद में न जाने कितने रहस्यों को समेटे.छुपाये हुए है। पूरी दुनिया में ऐसे न जाने कितने राज दफन हैए जिन पर रिसर्च किया जा रहा है और कई चीजें तो जानने की उत्सुकता में और ज्यादा रहस्य बनती जा रही हैं। इतिहास का ऐसा ही एक रहस्यमयी राज है चीन की टेराकोटा आर्मी का। चीनी मान्यता के मुताबिक टेराकोटा आर्मी के 8 हजार सैनिकों को तकरीबन 2 हजार साल पहले चीनी सम्राट की सुरक्षा के लिए जिंदा दफन कर दिया गया था, यानी उनकी बलि दे दी गयी थी।
चीनी समाज में मान्यता है कि ये सैनिक आज भी चीनी सम्राट की रक्षा में तैनाती दे रहे हैं। पुरातत्वविद आज भी इस राज को खंगालने में लगे हैं। सम्राट की कब्र 249 फीट ऊंचे पिरामिड के आकार के टीले के नीचे बनायी गयी है यह मकबरा शीआन के लिंटोंग जिले में एक कब्रगाह के भीतर स्थित है। आफ्टर लाइफ के विश्वास के तहत यही 8000 सैनिक सम्राट की सुरक्षा में तैनात माने जाते हैं। इनमें से 2 हजार सैनिकों के स्टैच्यू बरामद हो चुके हैं और 6 हजार अन्य का पता लगाना पुरातत्वविदों के लिए चुनौती बना हुआ है।
गौरतलब है कि लगभग 2000 वर्ष पुरानी चीन की टेराकोटा आर्मी के 8000 सैनिक जिंदा दफन कर दिये गये थे। मार्च 1974 में उत्तर पश्चिम चीन के शानक्सी प्रांत में कुएं की खुदाई के दौरान कुछ किसानों को मिट्टी के कुछ टुकड़े मिले। जांच में पता चला की उन टुकड़ों में एक सिर टेराकोटा से बना है, जिसके बाद पुरातत्व विभाग ने यहां खुदाई आरंभ की तो दुनिया के सामने एक अलग ही राज उजागर हुआ। और एक बड़ा रहस्य दुनिया के सामने उजागर किया। इस रहस्य को देखने के लिए दुनियाभर के लोग शांक्सी पहुंचते हैं। 2015 में चीन यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां गये थे।
चीनी मीडिया के मुताबिक 1974 में जब 29 मार्च को शांक्सी के किसान कुआं खोद रहे थे, इस आर्मी का राज दुनिया के सामने उजागर हुआ था, जिसके बाद कुएं के आसपास डेढ़ किलोमीटर के दायरे में पुरातत्व विभाग ने खुदायी करवायी थी। खुदाई के दौरान एक बड़े से ग्राउंड के बराबर के हॉल में 11 कतारों में खड़े 8,000 सैनिक जमीन से बाहर निकले थे। राजा की सुरक्षा में तैनात टेराकोटा आर्मी के इन सैनिकों की कई खासियतें हैं, जैसे हर सैनिक की ऊंचाई अलग है, और उसी हिसाब से उन्हें अलग अलग रोल दिया गया है। उनके चेहरे और पहनावे से भी उनकी भूमिकाओं का अंतर समझ में आता है।
खुदाई के बाद यह बात सामने आयी कि जिस तरह मिस्र में राजा की मौत होने पर पिरामिड का निर्माण किया जाता था, उसी तरह चीन में किसी शासक की कब्र की रक्षा के लिए सैनिक तैनात किए जाते थे। माना जाता था कि 210-209 ईसा पूर्व में चीन के राजा किन शी हुआंग की मौत के बाद पकी मिट्टी से 8000 सैनिक बनाये गये थे। खुदाई के दौरान सेना के आदमकद पुतलों के सिर, हाथ-पैर और धड़ देखकर लगता है कि इन्हें अलग.अलग बनाकर बाद में उन्हें जोड़ा गया होगा। पुरातत्वविदों का मानना है कि सैनिकों को अंगों को जोड़ने से पहले उन्हें आग में तपाया गया होगा। सैनिकों के ये पुतले इतने सजीव हैं कि देखने पर लगेगा कि अभी जी उठेंगे, इसीलिए चीनी समाज मानता है कि इन्हें राजा की कब्र के साथ जिंदा दफन किया गया था और ये सैनिक मौत के बाद भी राजा की सुरक्षा करते हैं। चीनी इतिहास और मान्यताओं में भी कहीं कहीं यह उल्लेख मिलता है कि ये सैनिक मिट्टी के नहीं बल्कि जिंदा इंसान थे, जिन्हें राजा की कब्र के साथ जिंदा दफन किया गया था।
चीन के शासक रहे चिन शी हुआंग की कब्र के सामने बने हाॅल में यह 8000 सैनिक खड़े हैं। सैनिकों के साथ उनके घोड़े, दफ्तर और अन्य लोगों के रहने के घर भी थे। सेना का साजोसामान तांबे, टिन और अलग-अलग धातुओं का है। यह भी बताया जाता है कि इन सैनिकों के कई मूल हथियारों को उनके बनाने के कुछ ही दिन बाद लूट लिया गया था। 23 फुट गहरे चार गड्ढों में टेरीकोटा आर्मी खड़ी है। 230 मीटर लंबे और करीब 62 मीटर चौड़े पहले गड्ढे में 6000 सैनिकों के पुतले हैं। इसमें 11 गलियारे 3.3 मीटर चौड़े हैं। लकड़ी से बनी इनकी छत को बारिश से बचाने के लिए मिट्टी की परतों को विशेष लेप के साथ ढका गया है।
गौरतलब है कि चिन शी हुआंग ने 221 ईसापूर्व चीन पर शासन किया था और एक बड़े साम्राज्य की स्थापना की । टेराकोटा की इस सेना में पैदल सैनिक, घोड़े और रथ की मूर्तियां भी मौजूद है।
इतिहास में आफ्टर लाइफ पर बहुत विश्वास किया जाता था, जिसका जीता-जागता सबूत मिस्र में बने पिरामिड हैं, जिनमें समाज के जाने माने लोगों जिनमें शासक भी शामिल हैं की लाश को विशेष लेप लगाकर रखा जाता था। इसके पीछे कहीं न कहीं ये विश्वास था कि वे दोबारा जिंदा होंगे। चिन शी हुआंग भी आफ्टर लाइफ में विश्वास करते थे इसलिए अपने कब्र के साथ एक बड़ी सेना चाहते थे।
चीनी इतिहास बताता है कि उनके शासन तक इंसानों की बलि देने की आलोचना होने लगी थी, मगर उससे पहले इंसानों की बलि वहां बहुत प्रचलित थी। कहा जाता है कि बलिप्रथा के विरोध के बाद सम्राट की कब्र की रखवाली के लिए टेराकोटा से बनी मूर्तियों का निर्माण किया गया। आफ्टर लाइफ में विश्वास करने वाले चीनी सम्राट ने जमीन के नीचे लगभग साम्राज्य जैसी ही दुनिया खड़ी की थी। इसके तमाम सबूत भी खुदाई के दौरान मिले हैं। मिट्टी में दफन संगीतकारों की मूर्ति मिली थी, जो जाहिर तौर पर सम्राट के मनोरंजन के लिए थीं।
टेराकोटा आर्मी के बारे में मान्यता है कि वह सम्राट के मकबरे की रखवाली कर रही है। अभी तक लगभग 2000 सैनिकों की मूर्ति और घोड़े मिले हैं, लगभग 6,000 सैनिकों के अभी भी जमीन में दफन होने की बात पुरातत्वविद करते हैं, जिनको खोजा जाना अभी शेष है।
दो हजार साल से जमीन के नीचे दबी टेराकोटा आर्मी की की इन मूर्तियों की बनावट हर किसी को चैंका देती है। कोई भी मूर्ति दूसरे से बिल्कुल भी मैच नहीं करती, इससे लगता है कि इन्हें तब के कलाकारों ने बेहद ही बारीकी से तैयार किया होगा। सैनिकों के रूप रंग, बाल और कपड़े और भाव तक अलग-अलग हैं। टेराकोटा आर्मी की सबसे खास बात यह है कि सभी मूर्तियों के हाथों में असली हथियार हैं। सैनिकों के हाथों में तांबे की तलवारें पायी गयीं। अब तक खुदाई के दौरान 40,000 से ज्यादा हथियार पुरातत्व विभाग को मिल चुके हैं।
इसके अलावा इनकी एक और खासियत यह है कि इन स्टैच्यू को दफनाने के दौरान प्राकृतिक रंग से रंगा गया थे। सभी सैनिकों को उनके पदों के हिसाब से खड़े करके दफनाया गया था। इस सेना में पैदल सैनिक, धनुर्धारी, सेनापति, घुड़सवार और रथ भी शामिल हैं, जिसे देखकर असली सेना जैसा आभास होता है।
पुरातत्व विभाग का दावा है कि जो भी हथियार खुदाई के दौरान मिले, उनका कभी भी युद्ध में इस्तेमाल नहीं किया गया था, ये खासतौर पर राजा की अंडरग्राउंड सेना के लिए बनाये गये थे। आज भी खुदाई चमत्कारों से भर देने वाली है, इसीलिए चिन शी हुआंग की कब्र पुरातत्वविदों के लिए रहस्य बनी हुई है।
पुरातत्वविदों ने चिन शी हुआंग के मकबरे के टीले के जियोफिजिकल सर्वेक्षण किये हैं, मगर उनकी खुदाई अभी भी शेष है। मकबरे के बारे में हान राजवंश के एक इतिहासकार ने लिखा है कि यहां सौ अधिकारियों के लिए महल और सुंदर टावरों के साथ कई दुर्लभ कलाकृतियां बनायी गयी थीं, जिसका राज आज भी धरती के सीने में दफन है। 1987 में इस टेराकोटा आर्मी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया था।