टूलकिट क्या है, बदला लेने के जुनून में मोदी सरकार क्यों राई का पहाड़ बना रही है?
पुलिस का दावा है कि खालिस्तान समर्थक समूह भारत में किसानों का इस्तेमाल अशांति पैदा करने और कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए करने का प्रयास कर रहे हैं। पुलिस यह भी दावा करती है कि कार्यकर्ता देश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के खिलाफ काम कर रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण
दिल्ली पुलिस ने 14 फरवरी को बेंगलुरु की युवा जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार करने के लिए देश में चल रहे किसानों के आंदोलन पर एक विवादास्पद टूलकिट का हवाला दिया। स्वीडिश जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग द्वारा 3 फरवरी को एक लिंक ट्वीट करने के बाद टूलकिट पहली बार चर्चा में आया था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया था। मोदी सरकार और उसके समर्थकों ने दावा किया कि थुनबर्ग ने भारत को बदनाम करने के लिए रची गई एक "साजिश" को अनजाने में उजागर किया था। हकीकत यही है कि किसान आंदोलन को कुचलने में नाकाम रही मोदी सरकार दमन के लिए बात का बतंगड़ बना रही है।
एक टूलकिट क्या है और इसका किसानों के आंदोलन या दिशा की गिरफ्तारी से क्या लेना-देना है?
जैसा कि नाम से पता चलता है, एक टूलकिट केवल एक विशेष उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों का एक सेट है। कंप्यूटिंग में यह सॉफ्टवेयर टूल्स का एक सेट है। इसे कुछ प्राप्त करने के लिए दिशा निर्देशों, निर्देशों या मार्गदर्शन के एक सेट के रूप में भी जाना जाता है। एक टूलकिट एक दस्तावेज, एक व्याख्याकार या एक मैनुअल हो सकता है, और इसमें एक विशेष मुद्दे के बारे में जानकारी शामिल हो सकती है। विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में, एक टूलकिट का मतलब एक्शन प्लान हो सकता है। लेकिन टूलकिट आवश्यक रूप से विरोध प्रदर्शन से जुड़े नहीं हैं।इसका इस्तेमाल सोशल मीडिया के संदर्भ में होता है, जिसमें सोशल मीडिया पर कैम्पेन स्ट्रेटजी के अलावा वास्तविक रूप में सामूहिक प्रदर्शन या आंदोलन करने से जुड़ी जानकारी दी जाती है। इसमें किसी भी मुद्दे पर दर्ज याचिकाओं, विरोध-प्रदर्शन और जनांदोलनों के बारे में जानकारी शामिल हो सकती है।
वर्तमान दौर में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जो भी आंदोलन हो रहे हैं, चाहे वो 'ब्लैक लाइव्स मैटर' हो, या अमेरिका का 'एंटी-लॉकडाउन प्रोटेस्ट' या फिर दुनियाभर में 'क्लाइमेट स्ट्राइक कैंपेन' हो, सभी मामलों में उन आंदोलनों से जुड़े लोग टूलकिट के जरिए ही 'एक्शन पॉइंट्स' तैयार करते हैं, और आंदोलनों को आगे बढ़ाते हैं।
ग्रेटा थुनबर्ग ने ट्विटर पर क्या टूलकिट साझा किया था जिस पर हंगामा हुआ?
बारबेडियन गायक रिहाना की तरह थनबर्ग ने शुरू में एक समाचार लेख साझा करके किसानों के आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया था। बाद में उसने एक और संदेश पोस्ट किया जिसमें लिखा था: "यहाँ एक टूलकिट है यदि आप मदद करना चाहते हैं।" टूलकिट का खालिस्तान समर्थक संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़े होने के कारण तुरंत विवाद खड़ा हो गया। थुनबर्ग ने टूलकिट को तुरंत हटा दिया, यह कहते हुए कि यह पुराना था, और एक और ट्वीट किया।
टूलकिट में क्या था?
दिल्ली पुलिस के अनुसार, टूलकिट में 26 जनवरी और इससे पहले हैशटैग के माध्यम से डिजिटल स्ट्राइक जैसे एक्शन पॉइंट थे। 23 जनवरी से एक ट्वीट स्टोर्म, 26 जनवरी को विरोध प्रदर्शन और दिल्ली में किसानों की रैली के लिए प्रवेश और वापस सीमा (प्रदर्शन स्थल) पर जाने का आह्वान था। इसके अलावा, दस्तावेज़ में भारत की सांस्कृतिक विरासत जैसे 'योग' और 'चाय' के विघटन जैसे कार्यों का उल्लेख किया गया है, और पुलिस के अनुसार विदेशों में विभिन्न राजधानियों में भारतीय दूतावासों को लक्षित किया गया है।
दिल्ली पुलिस ने टूलकिट के नाम पर दिशा रवि को क्यों गिरफ्तार किया है?
थुनबर्ग के ट्वीट के बाद, दिल्ली पुलिस ने 4 फरवरी को अज्ञात लोगों के खिलाफ समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में राजद्रोह का मामला दर्ज किया। उसने गूगल और अन्य प्रौद्योगिकी दिग्गजों को टूलकिट की उत्पति के साथ-साथ इसके वितरण के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए कहा। पुलिस का कहना है कि दिशा की गिरफ्तारी उस जांच की परिणति थी।
दिशा पर दिल्ली पुलिस ने क्या आरोप लगाया है?
पुलिस का दावा है कि दिशा ने निकिता जैकब नाम की एक वकील और शांतनु मल्लिक नाम के एक इंजीनियर के साथ टूलकिट के प्रचलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके परिणामस्वरूप 26 जनवरी को लाल किले में हिंसा हुई। पुलिस कहती है कि समूह ने टूलकिट को तैयार करने और प्रसारित करने के लिए सहयोग किया, जिसकी सामग्री का उद्देश्य भारत के खिलाफ असहमति पैदा करना था। जांचकर्ताओं का यह भी दावा है कि समूह ने खालिस्तान समर्थक पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ काम किया। कहा जाता है कि कनाडा की एक महिला ने उन्हें आउटफिट से जोड़ा है, और उनके माध्यम से 'ग्लोबल फार्मर स्ट्राइक' और 'ग्लोबल डे ऑफ एक्शन, 26 जनवरी' नामक टूलकिट के दस्तावेज तैयार किए।
पुलिस कार्यकर्ताओं को भारत विरोधी समूहों से क्यों जोड़ रही है?
पुलिस का दावा है कि खालिस्तान समर्थक समूह भारत में किसानों का इस्तेमाल अशांति पैदा करने और कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए करने का प्रयास कर रहे हैं। पुलिस यह भी दावा करती है कि कार्यकर्ता देश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के खिलाफ काम कर रहे हैं। पुलिस कहती है कि टूलकिट ने एक पीटर फ्रेडरिक का उल्लेख किया था, जो भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी नामक आईएसआई ऑपरेटिव के साथ अपने संबंधों के लिए भारतीय एजेंसियों के रडार पर है।