रानी लक्ष्मीबाई की तलवार कहां है जो PM मोदी से झांसी के लोग लाने की लगा रहे गुहार
झाँसी के लोग ही नहीं, बल्कि यहां आने वाले सम्पूर्ण विश्व के लोग उनकी स्मृतियों को देखना चाहते हैं और रानी को प्रत्यक्ष महसूस करना चाहते हैं...
झांसी से लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट
झाँसी, जनज्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर 19 नवम्बर को रानी झाँसी आ रहे हैं। उनके आगमन से ठीक पहले रानी लक्ष्मीबाई की उस तलवार को झाँसी लाने की मांग होने लगी है, जो इस समय ग्वालियर स्थित संग्रहालय रखी हुई है। झाँसी के लोगों के लिए रानी लक्ष्मीबाई से जुड़ी स्मृतियां हमेशा से ही एक भावनात्मक विषय रही हैं।
गौरतलब है कि झांसी की रानी की तलवार को झाँसी लाने के लिए लंबे समय तक आंदोलन भी चले, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इस तलवार को लेकर झाँसी के लोगों की मांग की एक वजह यह भी है कि ग्वालियर में ही युद्ध के दौरान रानी बलिदान हुई थीं और न सिर्फ तलवार बल्कि युद्ध से जुड़े कई और उपकरण भी ग्वालियर के संग्रहालय में रखे हुए हैं। झाँसी के लोग अपने इतिहास के उस दस्तावेज को अपने पास लाकर रखना चाहते हैं और अपनी आवाज बुलंद करते हुए PM मोदी को आवाज लगा रहे हैं।
ग्वालियर के संग्रहालय में रखी है तलवार
जन भावनाओं के उभार को देखते हुए झाँसी के भाजपा सांसद अनुराग शर्मा, भाजपा के झाँसी सदर विधायक रवि शर्मा सहित कई जन संगठनों ने यह मांग की है कि पीएम नरेंद्र मोदी जब झाँसी आएं तो रानी लक्ष्मीबाई की तलवार भी साथ लेकर आएं, जो इस समय ग्वालियर के संग्रहालय में रखी हुई है। इन सबने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा है। ग्वालियर में अंग्रेजों से युद्ध के दौरान 1858 में रानी लक्ष्मीबाई ने वीरगति प्राप्त की थी और तभी से उनका तलवार व अन्य युद्ध सम्बन्धी उपकरण पहले सिंधिया परिवार के पास थे और बाद में नगर निगम के संग्रहालय में रखे गए।
सांसद और विधायक ने लिखी चिट्ठी
झाँसी सदर विधायक रवि शर्मा ने जनज्वार से हुई बातचीत में बताया, काशी में जन्मीं मनुबाई रानी बनकर झांसी आईं थीं। हमारे पीएम इस समय काशी के सांसद हैं। झाँसी के लोगों की भावना है कि जिस तलवार से रानी लक्ष्मीबाई ने युद्ध किया था, वह तलवार, कटार, खांडा, उना, गुप्ती सब ग्वालियर के संग्रहालय में रखे हुए हैं। सिर्फ झाँसी के ही लोग ही नहीं, बल्कि झाँसी आने वाले सम्पूर्ण विश्व के लोग उन स्मृतियों को देखना चाहते हैं और रानी झाँसी को प्रत्यक्ष महसूस करना चाहते हैं। हमने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर पीएम से मांग की है कि जब जब आपका झाँसी में 19 नवम्बर को आगमन हो, तब रानी से जुड़ी स्मृतियां भी यहां आएं और वे सब स्मृतियां झांसी के संग्रहालय में रखी जाए, यह झांसी के लोगों की जनभावना है। हमारे सांसद अनुराग शर्मा ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है कि यदि 19 नवम्बर को प्रधानमंत्री यदि इसे लेकर झाँसी आते हैं तो पूरे देश में सकारात्मक संदेश जाने वाला है।
ग्वालियर में झाँसी की रानी ने दिया था बलिदान
झाँसी स्थित राजकीय संग्रहालय के उप निदेशक डॉ सुरेश कुमार दुबे ने बताया कि झाँसी में जितने भी पर्यटक आते हैं, वे यही सवाल पूछते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई से जुड़ी कौन सी चीजें यहां हैं। उन्हें यह आश्चर्य होता है कि रानी से जुड़ी कोई भी वस्तु संग्रहालय में नहीं रखी हुई है। यह निर्विवाद है कि जब बाबा गंगा दास की कुटिया में रानी घायल अवस्था में पहुंची थीं, उनके अंतिम संस्कार से पहले उनके युद्ध से जुड़े सामानों को वहां कुटिया में रख लिया गया था। बाद में जब अंग्रेजों को यह बात मालूम हुई तो बाबा को वहां से भागकर बनारस जाने को मजबूर होना पड़ा। इसके बाद सिंधिया परिवार के सैनिकों ने उन अवशेषों को अपने कब्जे में ले लिया, जिससे यह साबित हो सके कि रानी लक्ष्मीबाई ही मारी गई हैं। उन्होंने इसे सबूत के तौर पर रखा होगा। बाद में जब संग्रहालय बना तो उसमें उन चीजों को प्रदर्शित कर दिया गया।
लोगों को है तलवार के आने की उम्मीद
अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का झाँसी दौरा फाइनल हो गया है और रानी लक्ष्मीबाई की भव्य जयंती मनाने की तैयारी चल रही है तो सबकी उम्मीदें इस बात पर टिक गई है कि रानी की तलवार वापस आएगी। वही तलवार जिसके बारे में सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा था -
चमक उठी सन सत्तावन में,
वह तलवार पुरानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी...