BHU गैंगरेप के आरोपियों को मिली जमानत, माले ने कहा बिलकिस बानो से लेकर मणिपुर-हाथरस-उन्नाव तक BJP की भूमिका रही दुष्कर्मियों को बचाने की
कठुआ से लेकर उन्नाव व हाथरस तक, गुजरात के बिलकिस बानो केस से लेकर मणिपुर तक भाजपा की भूमिका बलात्कारियों को बचाने की रही है। यही नहीं, आशाराम बापू व राम रहीम जैसे सजायाफ्ता दुराचारियों को बार-बार पैरोल और फर्लो पर रिहाई मिलती है। पार्टी का बेटी बचाओ का नारा आंखों में धूल झोंकने जैसा है...
लखनऊ। भाकपा (माले) ने एक नवंबर को बीएचयू छात्रा के साथ परिसर में हुए गैंगरेप के तीन आरोपियों में से दो की हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी है, जिसके बाद से योगी सरकार लगातार सवालों के घेरे में है।
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर महीने में IIT BHU के परिसर में छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना सामने आयी थी, जिसके बाद हफ्तों तक इस घटना को लेकर परिसर के छात्र-छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस मामले में तीन आरोपी कुणाल पांडे, सक्षम पटेल, अभिषेक चौहान को वाराणसी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और सपा ने तीनों आरोपियों के भाजपा से भी जुड़े होने का बड़ा आरोप लगाया था, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में रहा था।
अब गैंगरेप के इन्हीं 3 आरोपियों में से दो आरोपियों कुणाल पांडे और अभिषेक चौहान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी है। जानकारी के मुताबिक इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कुणाल पांडे की जमानत याचिका को 4 जुलाई को स्वीकार कर लिया था, जबकि दूसरे आरोपी अभिषेक चौहान की जमानत याचिका 2 जुलाई को स्वीकार हुई। अब ये दोनों आरोपी फिलहाल जेल से बाहर हैं। तीसरे आरोपी सक्षम पटेल की जमानत अर्जी पर सुनवाई सितंबर महीने में होनी है। गैंगरेप के आरोपियों की जमानत पर भाकपा (माले) ने योगी सरकार पर हमला बोला है। भाकपा (माले) ने बयान जारी कर कहा कि बीएचयू छात्रा के साथ परिसर में हुए गैंगरेप के तीन आरोपियों में से दो की हाईकोर्ट से जमानत पर रिहाई पर कहा है कि अभियोजन पक्ष की लचर पैरवी के कारण यह संभव हुआ। इससे प्रदेश सरकार की दुष्कर्मियों के प्रति संरक्षणकारी भूमिका एक बार फिर उजागर हुई है।
माले राज्य सचिव सुधाकर यादव ने इस मामले में बयान में कहा कि इसके पहले भी इन आरोपियों को बचाने की भाजपा सरकार ने हर कोशिश की थी। तीनों आरोपी बनारस में भाजपा आईटी सेल के पदाधिकारी थे और बड़े भाजपा नेताओं के संपर्क में रहे। वारदात के बाद उन्हें मध्य प्रदेश भेज दिया गया, जहां चुनाव प्रचार के नाम पर पार्टी द्वारा शरण दी गई। उनकी गिरफ्तारियां बनारस व प्रदेश सहित देश भर में हुए जन आन्दोलनों के दबाव में घटना के दो माह बाद ही संभव हुईं।
माले नेता ने कहा कि कठुआ से लेकर उन्नाव व हाथरस तक, गुजरात के बिलकिस बानो केस से लेकर मणिपुर तक भाजपा की भूमिका बलात्कारियों को बचाने की रही है। यही नहीं, आशाराम बापू व राम रहीम जैसे सजायाफ्ता दुराचारियों को बार-बार पैरोल और फर्लो पर रिहाई मिलती है। पार्टी का बेटी बचाओ का नारा आंखों में धूल झोंकने जैसा है।
माले राज्य सचिव ने कहा कि विपक्षी नेताओं के मामलों में भाजपा सरकार और उसकी एजेंसियां रिहाई रोकने के लिए न्यायालयों में एंड़ी-चोटी का जोर लगा देती हैं, लेकिन जब बात भाजपा से जुड़े अपराधियों की हो, तो वे लकवाग्रस्त दिखने लगती हैं। बीएचयू मामले में अभियुक्तों को जेल भेजवाने के लिए छात्रों ने बड़े संघर्ष किये, फर्जी मुकदमे व उत्पीड़न झेले, परिसर के बाहर भी न्यायप्रिय जनता सड़कों पर उतरी। यदि राज्य सरकार व पुलिस तत्पर रहतीं और पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रति जानबूझकर लापरवाह न होतीं, तो गैंगरेप के आरोपी इतनी जल्दी जेल से आजाद न होते।
गौरतलब है कि बीएचयू छात्रा के साथ 1 नवंबर को आईआईटी बीएचयू परिसर में हुई इस घटना के बाद न सिर्फ परिसर के छात्र और छात्राओं में भारी आक्रोश देखने को मिला था, बल्कि हफ्तों तक परिसर में छात्र-छात्राओं का विरोध प्रदर्शन हुआ था। कांग्रेस और सपा ने आरोप लगाया था कि तीनों आरोपी बीजेपी आईटी सेल से जुड़े हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रदर्शन के दौरान काशी हिंदू विश्वविद्यालय आईआईटी के छात्रों ने परिसर को अलग करने की भी मांग कर दी थी।