Rupesh Kumar Singh Arrest : झारखंड के पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को पुलिस ने किया गिरफ्तार, पेगासस मामले के याचिकाकर्ताओं में हैं शामिल

Rupesh Kumar Singh Arrest : रूपेश कुमार सिंह को केंद्र सरकार ने पेगासस सूची में रखा था और उनके फोन की निगरानी की गयी थी, मगर इस बार राज्य की पुलिस ने किसलिए और क्यों उन्हें गिरफ्तार की अभी भी रहस्य बना हुआ है...

Update: 2022-07-17 11:27 GMT

Ranchi News : सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करो - भगवान दास किस्कु, समरू खड़िया और स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की रिहाई की मांग

Rupesh Kumar Singh Arrest : झारखंड की पुलिस ने स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को आज रविवार 17 जुलाई की सुबह उनके रामगढ़ स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया है। परिजनों का कहना है कि सुबह ही झारखंड के सरायकेला-खरसांवा की पुलिस उनके रामगढ़ स्थित घर पर पहुंच गयी थी, जब रूपेश का परिवार सो रहा था तभी उनके घर की तलाशी शुरू हो गयी। दिलचस्प बात यह है कि पुलिस उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट लेकर गयी थी, लेकिन उन्हें दिखाया नहीं।

जानकारी के मुताबिक आज 17 जुलाई की सुबह साढ़े पांच बजे के लगभग काफी संख्या में पुलिस बल स्वतंत्र पत्रकार रुपेश कुमार सिंह के रामगढ़ स्थित मकान पर पहुंचा और सर्च वारंट दिखाकर पूरे घर को एक बजे तक सर्च किया। सर्च वारंट के मुताबिक सरायकेला-खरसांवा का कांड्रा थाना, केस नंबर- 67/21 जो आठ महीना पहले का कोई मामला है। सुबह साढ़े पांच बजे से दोपहर एक बजे तक पूरे घर का सर्च करने क्रम यह नहीं बताया कि गिरफ्तारी वारंट भी है। जब जब्ती का सारा समान तैयार कर लिया गया, तब आरेस्ट वारंट दिखा कर रूपेश कुमार सिंह को गिरफ्तार कर ले जाया गया है।

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गौरतलब है कि रूपेश कुमार सिंह को केंद्र सरकार ने पेगासस सूची में रखा था और उनके फोन की निगरानी की गयी थी, मगर इस बार राज्य की पुलिस ने किसलिए और क्यों उन्हें गिरफ्तार की अभी भी रहस्य बना हुआ है। 

जानकारों का कहना है कि रूपेश की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का खुला उल्लंघन है। किसी भी मामले में पुलिस को सबसे पहले पूछताछ करनी चाहिए और गिरफ्तारी से पहले उसे संबंधित शख्स को सूचना देनी चाहिए, जबकि इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया।

रूपेश की गिरफ्तारी पर इलिका प्रिय उनकी अविलंब गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहती हैं, 'बेबाक पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को आज सरायकेला पुलिस के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है, उन्हें कहां ले जा रहे हैं पूछने पर भी यह नहीं बताया गया। रूपेश कुमार सिंह जिन्हें 2019 में झूठे केस में फंसाने की कोशिश की गई थी, पर चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाए थे। उनके मोबाइल में पेगासस द्वारा जासूसी की गई है, जिसका केस आज भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।

बकौल इलिका रूपेश ने दो दिनों पहले गिरिडीह में औद्योगिक प्रदूषण पर रपट लिखी थी और उससे प्रभावित बच्ची के इलाज के लिए रूपेश जी के कोशिश से लोग मदद के लिए सामने आ रहे थे। उससे जुड़े मामले ट्विटर पर देख सकते हैं। जनता के उसी जनपक्षीय पत्रकार को आज एक सोची-समझी रणनीति के तहत पुलिस गिरफ्तार कर ले गई है।

इलिका कहती हैं, आज सुबह 5:30 को लगभग सात बोलेरो भरकर पुलिस फोर्स आई जिसमें घोषित रूप से सरायकेला खरसावां थाना के डीएसपी चंदन कुमार वत्स के लिंडिग में पूरी पुलिस फोर्स थी, मगर अघोषित रूप से एसआईबी, एनआईए के लोग भी थे। आखिर क्यों? पहले सिर्फ सर्च वारंट बताकर उन्होंने पूरे घर की तलाशी ली, हर समान को खंगाला गया और जब्ती के कुछ सामान को रख लिया ताज्जुब की बात यह है कि उस जब्ती में लेपटॉप, मोबाइल के अलावा एक लाल ब्यू फूल के छाप वाली चादर भी ली, जो समझ से परे है।

इलिका के मुताबिक रूपेश के घर की तलाशी का पूरा काम लगभग दो बजे तक चला और अंत में उन्होंने अरेस्ट वारंट दिखाया, जिसे वे शुरू में भी बता सकते थे। एक बार फिर उस पत्रकार के पीछे एक झूठा मामला तैयार किया गया है, वह भी ठीक तब जब पेगासस स्पाइवेयर जासूसी मामले के पूरे एक साल होने को है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट इस जासूसी की जांच कर रही है दूसरी तरफ उस पत्रकार पर गलत आरोप में पुलिस प्रशासन गिरफ्तार कर रही है। क्या यह गिरफ्तारी पेगासस स्पाइवेयर जासूसी की अगली कड़ी थी।

रूपेश कुमार सिंह के पीछे पहले झूठे केस थोपना, पेगासस द्वारा जासूसी करना और फिर यह गिरफ्तारी यह बता रही है कि एक जनता के हक अधिकार की बात करने वाला इंसान किस तरह सत्ता के निशाने पर हैं। आखिर क्यों एक जनपक्षधर पर सरकार पुलिस प्रशासन इस तरह दमन कर रही है?

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