उत्तराखण्ड में जंगली जानवरों का बढ़ता जा रहा आंतक, डर के साये में 1700 से ज्यादा गांव बन चुके भुतहा

Ramnagar news : धामी सरकार ने दर्जनों दायित्वधारी मंत्रियों के लिए प्रतिमाह लाखों रुपए का बजट रखा है, परंतु जंगली जानवरों के हमले में घायल अंकित को इलाज के लिए मात्र ₹50 हजार ही दिए हैं जबकि इसके इलाज में 20 लाख रुपए से भी अधिक खर्च हो रहे हैं....

Update: 2023-12-28 15:44 GMT

Ramnagar news : जंगली जानवरों से इंसानों, फसलों, मवेशियों की सुरक्षा की मांग को लेकर आगामी 31 दिसंबर को कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला-झिरना जोन बंद को सफल बनाने के लिए संघर्ष समिति का जनसंपर्क अभियान आज भी जारी रहा। समिति के सदस्यों ने आज 29 दिसंबर को ढेला, पटरानी इत्यादि ग्रामों में बैठकें आयोजित कर ग्रामीणों से 30 दिसंबर की रात्रि में धरने के लिए सांवल्दे ग्राम पहुंचने की अपील की है।

समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने कहा कि उत्तराखंड जंगली जंगली जानवरों का प्रदेश बनता जा रहा है। राज्य निर्माण के समय उत्तराखंड में लगभग 65 प्रतिशत वनभूमि थी, जो कि बढ़कर आज 70% से भी अधिक हो चुकी है। जंगली जानवरों के बढ़ रहे हमलों के कारण उत्तराखंड के 1700 से भी अधिक गांव भुतहा गांव हो चुके हैं। टाइगर, तेंदुए, हाथी, जंगली सूअर आदि हिंसक पशु आए दिन लोगों पर हमला कर रहे हैं और उत्तराखंड सरकार चैन की नींद सो रही है। उसे नींद से जगाने के लिए 31 दिसंबर को पार्क बंद करने का निर्णय लेना पड़ा है।

महेश जोशी ने कहा कि सरकार की नजर में हम गांववासियों के जीवन की कोई भी कीमत नहीं है। उपनिदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में धरने पर आकर बताया था कि आदमखोर टाइगर को ट्रेंकुलाइज करने के आदेश ले लिए गए हैं, इसके बावजूद भी अभी तक टाइगर न तो पकड़ा गया है और ना ही उसे मारा गया है। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों के हमले में मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपए मुआवजा व घायलों को संपूर्ण इलाज की गारंटी तथा 10 लाख रुपए मुआवजे का प्रावधान किया जाना चाहिए।

वहीं सोवन सिंह तड़ियाल ने कहा कि सरकार ने दर्जनों दायित्वधारी मंत्रियों के लिए प्रतिमाह लाखों रुपए का बजट रखा है, परंतु जंगली जानवरों के हमले में घायल अंकित को इलाज के लिए मात्र ₹50 हजार ही दिए हैं जबकि इसके इलाज में 20 लाख रुपए से भी अधिक खर्च हो रहे हैं।

निदेशक कार्बेट टाइगर रिजर्व ने पत्र लिखकर संघर्ष समिति को 29 दिसंबर को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। संघर्ष समिति ने उम्मीद जताई है कि निदेशक कार्बेट टाइगर रिजर्व सकारात्मक रूप से ग्रामीणों की समस्या का समाधान प्रस्तुत करेंगे। जनसंपर्क अभियान में ललित अधिकारी, बसंत कुमार, कमला देवी, रामूली देवी, सोबन सिंह तड़ियाल, महेश जोशी, गोपाल मेहरा, ललित उप्रेती, कमल अधिकारी आदि दर्जनों लोग शामिल रहे।

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