मौत की तरफ बढ़ते जोशीमठ की आवाज उठाने के लिए अतुल सती पर लगेगी रासुका!, उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारी का सुझाव
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में एक उच्च अधिकारी ने आंदोलन को लीड कर रहे अतुल सती पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्यवाही की सलाह दी है। यह खुलासा खुद अतुल सती ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर करते हुए लिखा है कि "सूबे के उच्चाधिकारी ने तजवीज़ किया है कि हम पर रासुका लगाई जाए .! स्वागत साहब....
Joshimath Sinking : धंसते जोशीमठ पर अपना नाकारापन छिपाने की कोशिश कर रही सरकार द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (इसरो) की वेबसाइट पर रिसर्च रिपोर्ट के साथ जोशीमठ की सेटेलाइट तस्वीरें हटवाने और जोशीमठ पर अध्ययन कर रही विभिन्न संस्थाओं को अपनी बात मीडिया से साझा न करने की धमकी के बाद अब जोशीमठ से उठ रही आवाज को ही कुचलने की तैयारी कर ली है।
जोशीमठ को बचाने के लिए यहां से उठ रही मुखर आवाज को बंद करने के लिए सरकार संघर्ष समिति के अगुवा फायर ब्रांड नेता अतुल सती पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की जा सकती है। मुख्य सचिव के साथ हुई एक बैठक में सरकार के एक उच्च स्तरीय अधिकारी द्वारा इस कार्यवाही का सुझाव देते हुए इसके लिए माहौल बनाने का प्रयास हो रहा है।
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा शीर्ष नेता तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू आस्थाओं के प्रतीकों के साथ अपने को समाहित करते हुए अपने आप को हिंदुत्व के मसीहा के तौर पर प्रचारित करते हैं। वाराणसी में वाराणसी के लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के बजाए "मुझे गंगा मां ने यहां बुलाया है" का उद्घोष कर हिंदू आस्थाओं का भावनात्मक शोषण हो या उत्तराखंड के सुदूर पर्वतीय लोगों की बदहाल जिंदगी से मुंह फेरते हुए केदारनाथ गुफा में बैठकर तपस्या की फोटो खिंचवाने की कवायद, सभी प्रतीकों को अपनी छवि बनाने के लिए उपयोग किया जाता रहा है। ऐसे में जब हिन्दू प्रतीकों और सनातन की रक्षा का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में ही हिन्दू आस्था का बड़ा प्रतीक एक शहर जोशीमठ (ज्योतिर्मठ) भू धंसाव की चपेट में आकर अपना अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच रहा है तो भाजपा और इसके नेताओं के तिलिस्मी छवि को लगातार बट्टा लग रहा है।
जोशीमठ प्रकरण पर पूरे विश्व के सामने भाजपा सरकार का नकारापन सामने आने पर बौखलाई भाजपा सरकार ने पहले तो जोशीमठ की समस्या को ही बहुत मामूली स्तर की बताते हुए इसे नजरंदाज करने का प्रयास किया। लेकिन झूठ की बुनियाद पर खड़े इस सरकारी प्रचार की पोल पल-पल धंसता जोशीमठ खुद खोल रहा था। वैश्विक स्तर पर खराब हो रही इस छवि के कारण सरकार ने जोशीमठ से जुड़ी खबरों पर भी पाबंदी लगाए जाने के लिहाज से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (इसरो) की रिपोर्ट और पोल खोलती जोशीमठ की तस्वीरों को इसरो की वेबसाइट से हटवाया तो उसके बाद जोशीमठ पर अध्ययन कर रही सभी सरकारी संस्थाओं को अपनी रिपोर्ट किसी से भी साझा न करने का खुल्लमखुल्ला निर्देश दे दिया।
लेकिन इतने के बाद भी जोशीमठ को बचाए रखने के लिए आंदोलन कर रही संघर्ष समिति सरकार की आए दिन पोल खोल रही थी। ऐसे में अब सरकारी स्तर पर संघर्ष समिति के नेता अतुल सती की ही आवाज को बंद करने की कोशिशें शुरू हो रही हैं। बताया जा रहा है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में एक उच्च अधिकारी ने आंदोलन को लीड कर रहे अतुल सती पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्यवाही की सलाह दी है। यह खुलासा खुद अतुल सती ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर करते हुए लिखा है कि "सूबे के उच्चाधिकारी ने तजवीज़ किया है कि हम पर रासुका लगाई जाए .! स्वागत साहब!
अगर अपने देश के ही एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक नगर को बचाने के लिये यह इनाम भी मिलता है तो कोई अफ़सोस न होगा, मगर जिनकी लापरवाहियों की सजा हमारी जनता को मिल रही है उनके लिये भी कुछ सोचा है कि नहीं ? हमने तो शांतिपूर्ण तरीके से 14 महीने आपकी सरकार की हर चौखट पर दस्तक दी थी। मुख्यमंत्री साहब से लेकर सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष के घर तक भी। अब भी शांतिपूर्वक लोगों के न्यायपूर्ण विस्थापन पुनर्वास व नगर को किसी भी तरह बचाने की ही गुहार है संघर्ष है। शेष यह तय ही कर लिये हैं तो कीजियेगा, मगर इससे काफिला .. मुहिम रुकेगी नहीं .. देश दुनिया तब यह बीड़ा उठा लेगी !"
इस मामले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के गढ़वाल प्रभारी इंद्रेश मैखुरी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा है कि "सुनते हैं कि सरकार की उपेक्षा और नाकारेपन के चलते अपने अस्तित्व के लिए जूझते जोशीमठ नगर को बचाने की कोशिश को सरकार के आला अफसर राष्ट्र के लिए खतरा घोषित करते हुए इस अभियान के नेतृत्वकर्ता साथी अतुल सती पर रासुका का मंसूबा बांध रहे हैं। शहर को बचाना जिनको खतरा लग रहा है, राष्ट्र के लिए असल खतरा तो वो ही हैं। आंदोलनों में बरसों से ये नारा गूंजता रहा है, फिर गूंजेगा।
दमन में तेरे दम है कितना देख लिया है, देखेंगे जेल में तेरे जगह है कितनी देख लिया है, देखेंगे।"