Asha Worker Protest : आशा वर्कर्स के देर रात तक सचिवालय घेरने के बाद धामी सरकार से मिला वेतन वृद्धि का लिखित आश्वासन
स्वास्थ्य सचिव से भी आशाओं की वार्ता हुई, लेकिन वे भी लिखित में आश्वासन देने को तैयार नहीं हुए, ऐसे में आशाएं वहीं धरने पर बैठी रहीं, इस आंदोलन के कारण सरकार के निर्देश पर स्वास्थ्य सचिव को भी सचिवालय में ही बैठे रहना पड़ा...
देहरादून, जनज्वार। लंबे समय से अपनी विभिन्न मांगों के लिए आंदोलनरत प्रदेश की आशा कार्यकर्ताओं (Asha Workers) को बातों की गोलियों से टरका रही सरकार के खिलाफ बुधवार 29 सितंबर को आशा वर्कर्स ने निर्णायक मोर्चा खोलते हुए सचिवालय पर ही डेरा डाल दिया। सीटू से संबद्ध आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन ने नेतृत्व में आशा वर्कर्स ने मानदेय वृद्धि के संबंध में शासनादेश जारी करने की मांग कर रही थी।
राजपुर रोड स्थित सीटू कार्यालय पर आशाएं सुबह से एकत्र होने लगीं। दोपहर करीब एक बजे यहां से सचिवालय तक रैली निकाली गई। पुलिस ने सचिवालय से कुछ दूर पहले ही उन्हें रोक दिया। इस पर आशाओं ने सड़क पर ही धरना दिया। मुख्यमंत्री के ओएसडी राजेश सेठी धरनास्थल पर पहुंचकर आशा वर्कर्स को एक बार फिर मौखिक आश्वासन देने लगे, लेकिन पिछले अनुभवों के चलते Asha Workers ने उनसे लिखित आश्वासन मांगा। उन्होंने मांग की कि उन्हें लिखित में दे दिया जाए कि आशाओं का प्रकरण अगली कैबिनेट में रखा जाएगा। इस पर वह वापस लौट गए।
स्वास्थ्य सचिव से भी आशाओं की वार्ता हुई, लेकिन वे भी लिखित में आश्वासन देने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में आशाएं वहीं धरने पर बैठी रहीं। इस आंदोलन के कारण सरकार के निर्देश पर स्वास्थ्य सचिव को भी सचिवालय में ही बैठे रहना पड़ा। रात करीब सवा दस बजे आशाओं को फिर स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने वार्ता को बुलाया और उन्होंने लिखित में आश्वासन दिया कि आशा वर्कर्स का जो प्रस्ताव है, उसे आगामी कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा, इस पर आशाएं मानीं। साथ ही उन्होंने समस्त कार्य बहिष्कार और स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया।
इस मौके पर आयोजित सभा को प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे, सुनीता चौहान, मीना जखमोला, आशा चौधरी, लोकेश देवी, मीनाक्षी, संत कुमार, लेखराज, भगवंत पयाल, रविन्द्र नौडियाल, अनंत आकाश, नीरज यादव, नीरा कंडारी आदि ने संबोधित किया। यूनियन की प्रान्तीय अध्यक्ष श्रीमती शिवा दुबे ने बताया कि स्वावस्थ्य महानिदेशक की ओर से मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव बना कर शासन को 9 अगस्त 2021 को ही भेज दिया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ने भी शीघ्र शासनादेश जारी करने का आश्वासन दिया था। कुमाऊँ की आशाओं ने हड़ताल समाप्त कर दी थी, लेकिन गढ़वाल मंडल की आशाएं लगातार आंदोलन कर रही हैं। कैबिनेट की बैठक में भी इस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं होने से आशाएं खुद को ठगा महसूस कर रही हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में आशा वर्कर्स आशाओं को सरकारी सेवक का दर्जा दिये जाने, न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रतिमाह, वेतन निर्धारण से पहले स्कीम वर्कर की तरह मानदेय दिये जाने, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा, कोविड कार्य में लगी सभी आशाओं को भत्ता दिये जाने, कोविड कार्य में लगी आशाओं 50 लाख का बीमा, 19 लाख स्वास्थ्य बीमा का लाभ, कोरोनाकाल में मृतक आशाओं के परिवारों को 50 लाख का मुआवजा, चार लाख की अनुग्रह राशि दी जाए।
ओडिशा की तरह ऐसी श्रेणी के मृतकों के परिवारों विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में नियम बनाए जाने, न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा दिया जाए, सभी स्तर पर कमीशन खोरी पर रोक, अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति हो, आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए, कोरोना ड्यूटी के लिये विशेष मासिक भत्ते का प्रावधान जैसी मांगों को लेकर लंबे समय से आशा वर्कर्स आंदोलनरत हैं।
इसके तहत दो अगस्त से कार्य बहिष्कार कर वे गढ़वाल मंडल के सभी जिलों में सीएमओ कार्यालय के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरना दे रही हैं। सीटू से संबंद्ध आशा वर्कर्स यूनियन की बीती नौ अगस्त को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से यूनियन के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी। इस पर शासन ने कुछ मांगों पर सहमति दी थी, लेकिन शासनादेश जारी नहीं किया गया। इसके अगले दिन 10 अगस्त को आशाओं ने सीएम आवास कूच भी किया था। इसके बाद 27 अगस्त को आशा वर्कर्स ने विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया था। 21 अगस्त को सचिवालय समक्ष धरना दिया गया। इस दिन भी आशाओं के प्रतिनिधिमंडल को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने वार्ता के लिए बुलाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों के संबंध में 24 सितंबर को कैबिनेट की मीटिंग में प्रस्ताव रखा जाएगा। इस आश्वासन पर आशाएं वापस लौटीं। इसके बाद 24 सितंबर को भी ट्रेड यूनियंस के राष्ट्रीय आह्वान पर सचिवालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया, पर समस्या जस की तस रही।
इससे पहले शासन से वार्ता में आशाओं के संबंध में स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने आशाओं को छह हजार का मानदेय देने की पेशकश के साथ अन्य देय भी मिलते रहने, प्रत्येक केन्द्र में आशा रूम स्थापित किये जाने, अटल पेंशन योजना में उम्र की सीमा समाप्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजे जाने, आशाओं के सभी प्रकार के उत्पीड़न एवं कमीशनखोरी पर कार्रवाई करने, अन्य सभी मांगों पर सौहार्दपूर्ण कार्यवाही करने, स्वास्थ्य बीमा की मांग पर समुचित कार्यवाही करने पर शासन द्वारा आवश्यक कार्यवाही के बाद अति जल्दी शासनादेश जारी किये जाने की बात कही थी। लेकिन शासनादेश जारी नहीं हो पाया था, जिसके चलते आशाएं आंदोलनरत थी।