Ground Report : यूपी की सुगंध नगरी कन्नौज का इत्र व्यवसाय चढ़ा लाकडाउन की भेंट, किसान कर रहे आत्महत्या

सातवीं सदी से कन्नौज में इत्र का कारोबार शुरू हुआ था। यह शहर दुनियाभर में इत्र के व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन लाकडाउन ने इस कारोबार को गहरा नुकसान पहुंचाया है...

Update: 2020-09-16 06:00 GMT

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के कन्नौज को सुगंध की नगरी के रूप में जाना जाता है। यहाँ के इत्र का इतिहास बहुत पुराना है। कहा यह भी जाता है कि 7 वीं सदी के प्रारम्भ में थानेश्वर की राजगद्दी पर बैठे राजा हर्षवर्धन की राजधानी रही कन्नौज इत्र के लिए विश्व प्रसिद्ध है। माना जाता है कि कन्नौज में इत्र बनाने का तरीका इरान के फारस से आया था। यहाँ आज भी सदियों पुराने उसी तरीके से इत्र बनाया जाता है। यहाँ बना इत्र यूरोप सहित दुनिया के तमाम देशों में जाता है।

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कन्नौज में इत्र के व्यवसाय में हजारों की संख्या में लोग जुड़े हुए हैं। कभी समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा यह लोकसभा क्षेत्र साल 2012 में अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी पत्नी डिम्पल यहाँ से सांसद बनी। 2 पंचवर्षीय सांसद रहने के बाद 2019 में भाजपा के प्रचंड बहुमत के चलते सुब्रत पाठक ने कन्नौज सांसद डिंपल यादव को भारी मतों से हरा दिया। इसके बाद फूल सूखने लगा फिर लगे लाकडाउन के बाद कन्नौज का इत्र व्यवसाय और इससे जुड़े लोग बदहाल होते रहे।

इत्र का व्यवसाय कमजोर पड़ने के बाद तमाम मजदूरों तथा कारीगरों ने मेहनत मजदूरी करनी शुरू कर दीए तो कुछ ने धंधा ही बदल लिया। इत्र का काम मंदा पड़ने के बाद बुजुर्ग इकराम ने अगरबत्ती बनानी शुरू कर दी। इकराम कहते हैं कि यदि वह अगरबत्ती का काम करना शुरू ना कर देते तो बाल-बच्चे परिवार सभी तरफ संकट छा चुका होता। हालिया समय में इतनी आमदनी तो हो ही जाती है कि परिवार का बोझ उठ जाता है।


कन्नौज के लाखन चौराहे पर इत्र की महंगी दुकान चला रहे पवन यादव बताते हैं कि आज दोपहर का एक बज गया है और बोहनी तक नहीं हुई है। लाकडाउन से पहले रोजाना अच्छी खासी बिक्री हो जाती थी। अब तो हालात और भी बुरे होते जा रहे हैं। पवन का 5 आदमी का परिवार है। पवन कहते हैं क्या फादा मिला हमें हमने बीसियों लाख रुपये इस व्यवसाय में लगा फंसा दिए, अब तो दुकनदारी भी नहीं होती। पवन कि 20 साल पुरानी दुकान है जो लाकडाउन के बाद लगभग चौपट हो रही है।

इत्र दुकानदार पवन की तरह समीर गुप्ता की कहानी भी है। समीर की भी सुबह से बोहनी नहीं हुई है। किसी दिन 100-200 की बिक्री होती है तो किसी दिन खाली हाथ ही घर जाना पड़ता है। समीर को काम ना होने की वजह से अपनी दुकान के दो कर्मचारियों की भी छुट्टी करनी पड़ी। कहते हैं जब उसे ही कुछ नहीं मिलता तो अपने कर्मियों को कहाँ से देगाए कम से कम हमारे आसरे तो नहीं रहेगा। एक छोटी बच्ची के बाप समीर लाकडाउन के बाद से निरीह जीवन जी.बिता रहे हैं।

सपा नेता व इत्र व्यवसाई पुष्पराज जैन ने जनज्वार से हुई बातचीत में बताया कि मार्च के महीने से व्यवसाय पूरा ठप पड़ गया है। इत्र का व्यवसाय टोटल एग्रीकल्चर पर बेस्ड है। किसान इत्यादि फूलों की खेती करते थे जिनका कच्चा माल हम लोग खरीदकर इत्र तैयार करते थे। अब फूलों की पैदावार कोई कर नहीं रहा कर भी रहा है तो कोई खरीदने को तैयार नहीं है। यहाँ के लाखों किसान इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैंए किसान आत्महत्याएं कर रहा है। कुल मिलाकर अब कन्नौज का इत्र व्यवसाय एक बड़े संकट से गुजर रहा है।  

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