यूपी रोडवेज के कंडक्डरों का आरोप, अधिकारी प्राइवेट बसें चलवाने में हैं व्यस्त तो सुधरे कैसे रोडवेज की हालत

Update: 2020-01-15 11:08 GMT

भाजपा के सरकार में रोडवेज बिकने के कगार पर है और हर डिपो के अगल-बगल प्राइवेट बसों का संचालन हो रहा है। हर जगह नेताओं के ट्रेवल खुले हुए हैं। जिसमें सहारा ट्रेवल, कृष्णा ट्रेवल मुख्य हैं। कई प्राईवेट लोग यहां पर अपनी दुकानों को खोल कर बैठ गए है...

जुनैद अंसारी की ग्राउंड रिपोर्ट

जनज्वार, गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में परिवहन की बात की जाए तो परिवहन विभाग की हालात काफी खस्ता हैं। काम के हिसाब से कर्मचारियों को वेतन ना देना, कर्मचारियों के साथ शोषण करना जैसे मुद्दे अक्सर परिवहन विभाग के लोगों के द्वारा उठाए जाते रहे हैं। जिसको लेकर जनज्वार की टीम परिवहन विभाग की सच्चाई को जानने के लिए गाज़ियाबाद के कौशाम्बी बस अड्डा पहुंची। इस दौरान रोड़वेज में काम करने वाले कर्मचारी परिवहन व्यवस्था में खराब होती स्थिति को लेकर शिकायत करते नजर आए। कर्मचारियों का कहना था की जितने हालत यहां पर बसों के खराब हैं। उससे कहीं ज्यादा खराब हालात काम करने वाले ड्राइवर और कंडेक्टर के हैं।

स दौरान जनज्वार से संविदा पर कार्यकत एक कर्मचारी का कहना था कि यहां पर हमारे साथ शोषण किया जा रहा हैं। हम लोग जितना काम करते है उतना वेतन हम लोगों को नहीं दिया जाता हैं। इसके अलावा सरकार और सरकारी अधिकारियों के बीच भी हमारी कोई सुनवाई नहीं हैं। अगर किसी तरह से हम अपनी आवाज़ उठाते भी हैं। तो अगले दिन हम लोगों को नौकरी से निकालने की धमकी दे दी जाती हैं।

ड़कों पर कई प्राइवेट बसें चल रही है जो अक्सर ओवरलोडिंग करते हुए लोगों की जिंदगी को जोखिम में डाल कर बसों को चलाते हैं। प्राइवेट बसों की बात की जाए तो इनके चालक और परिचालक अक्सर गुंडागर्दी करते है। जिसके खिलाफ कोई भी अधिकारी किसी तरह की कार्रवाई नहीं करते है। राज्य की सरकार इन लोगों के साथ मिली हुई हैं। जिसके कारण इनके खिलाफ कोई बोलता भी नहीं है। प्राईवेट बसों के चलन के कारण रोडवेज के परिचालक विभाग को आय नहीं दे पाते है। और उनकी वेतन को भी काट लिया जाता हैं।

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गर चालक और परिचालकों के वेतन की बात की जाए तो हम लोगों को महीने में 10 से 12 हजार रुपए दिए जाते हैं। अगर इसमें से बसें अपनी निर्धारित आय नहीं दे पाती है तो परिचालक और चालक के वेतन से पैसों को काट लिया जाता है। हालात इतने खराब है कि पिछले कई सालों से कई कर्मचारियों का वेतन भी नहीं बढ़ा है। महंगाई आसमान छू रही हैं। जिससे इन कर्मचारियों के लिए परिवार को पालना बेहद मुश्किल हो गया हैं।

रोडवेज की व्यवस्था पर हमीरपुर डिपो के परिचालक प्रेम चंद्र सोनकर कहते है कि, 'भाजपा के सरकार में रोडवेज बिकने के कगार पर है और हर डिपो के अगल-बगल प्राइवेट बसों का संचालन हो रहा है। हर जगह नेताओं के ट्रेवल खुले हुए हैं। जिसमें सहारा ट्रेवल, कृष्णा ट्रेवल मुख्य हैं। कई प्राइवेट लोग यहां पर अपनी दुकानों को खोल कर बैठ गए है। इन लोगों की इतनी गुंड़ागर्दी है की ये लोग रोड़वेज की बसों में सवारी को नहीं बैठने देते हैं।

स काम में सरकार के साथ- साथ आरटीओ और सरकारी अधिकारी इन लोगों से पैसा लेकर काम को चलाने में इनकी मदद करते हैं। हम सब लोग एकदम लाचार हो चुके हैं। क्योंकि इनकी गुंडागर्दी के कारण सबारी हमारी बसों में कोई सवारी नहीं बैठती हैं। जिसके कारण हमारे वेतन में कटौती हो रही हैं।

प्रेम चंद्र सरकार के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह पर आरोप लगाते हुए कहते है कि उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री स्वतंत्र लगभग 137 प्राइवेट बसों को संचालित करते हैं। प्राइवेट वाहनों का उत्तर प्रदेश में चलने का मुख्य कारण उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ही हैं।

गोंडा डिपो के परिचालक सुबोध चंद्र बाजपेयी कहना है कि यहां पर सबसे बड़ी समस्या प्राइवेट वाहनों की है जिसके चलते रोडवेज बसों को सवारी नहीं मिल पाती हैं। हमारी बसों के किराए में लगातार बढ़ोतरी की जाती है और अगर हम लोग 700 रुपए किराया बताते है। तो प्राइवेट बसें अपने यहां 400 रुपए लेकर सवारी को बिठा लेती हैं। प्राइवेट बसों के लोग सवारियों को ओवरलोड करके बिठाते हैं। जिसके कारण हमेशा हादसे होते रहते हैं। जिसके बाद भी प्रशासन इनके खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करता हैं। सरकार के इस तरह के रवैये और प्राइवेट बसों के संचालन के कारण हम लोग काफी ज्यादा प्रताड़ित हैं।

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हीं परिचालक एस एन शुक्ला का कहना था कि पूरे प्रदेश में प्राइवेट वाहनों का जाल बिछ गया है। जिसके कारण उत्तर प्रदेश रोडवेज की आय में कमी आ गई हैं। इसके अलावा कई बार रोडवेज की बसें पूरी तरह से खाली चलती हैं। इसी कारण से हमारी बसों की आय पूरी नहीं हो पाती हैं और हमारे वेतन को काट दिया जाता हैं।

रिचालक शिव शंकर मिश्रा बात को आगे जोड़ते हुए कहते हैं कि प्राइवेट वाहन के चालक और परिचालक हम लोगों को अक्सर धमकाते रहते है। इन लोगों का कहना होता हे कि हम परिवहन मंत्री के आदमी है। कई बार ये लोग बस अड्डे के अंदर घुस जाते है और गोली मारने की भी धमकी देते हैं। सबसे बड़ी बात ये की ये सब चीजे परिवहन के अधिकारी जानते हैं जिसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती हैं।

ब जनज्वार ने मामले को लेकर रोड़वेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के शाखा अधीक्षक जितेंद्र त्यागी से बात करनी चाही तो उन्होंने सभी आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि कई संविदा कर्मचारियों को सरकार की तरफ से स्थायी कर दिया गया है। और किसी भी प्रकार से किसी का शोषण नहीं हो रहा है साथ ही रोडवेज में काम करने वाले चाल और परिचालकों का वेतन भी बढ़ा दिया गया हैँ।

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