प्रकाश राज ने कहा, अमिताभ बच्चन एक कायर इंसान

Update: 2018-05-12 12:31 GMT

सामाजिक मसलों पर चुप्पी साधे रहने को लेकर बोले चर्चित अभिनेता प्रकाश राज, कहा मैंने खुद अमिताभा बच्चन को बोला था, कुछ बोलिए पर वह नहीं खोल सके जुबान क्योंकि अमिताभ बच्चन हैं कायर

जनज्वार, दिल्ली। सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन को पहली बार किसी ने आइना दिखाया है और अहसास कराया है कि सिनेमाई नायक होने से अलग भी एक छवि अभिनेता होती है, जो उसे उम्दा और साहसी इंसान बनाती है, जिसमें पूरी तौर पर अमिताभ बच्चन फेल हैं।

जी हां, दक्षिण भारत और उत्तर भारत में समान रूप से चर्चित अभिनेता व सिंघम जैसी सुपरहिट फिल्मों में रोल कर चुके प्रकाश राज ने अमिताभ बच्चन को आइना दिखाते हुए, अच्छा इंसान बनने की चुनौती दी है।

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वरिष्ठ टीवी पत्रकार बरखा दत्त को एक साक्षात्कार देते हुए प्रकाश राज ने कहा, 'मैंने कठुआ बलात्कार कांड पर अमिताभ बच्चन से व्यक्तिगत तौर पर बोलने की अपील की। पर वह नहीं बोले।'

प्रकाश राज साक्षात्कार में आगे कहते हैं, 'मैं चाहता था कठुआ गैंगरेप की वह निंदा करें। मैंने उनसे अपील की, ये मेरा अधिकार है, उनको बेहतरीन आवाज मिली है, मैंने कहा आपको बोलना चाहिए, लेकिन वह नहीं बोले, मना कर दिया, फिर भी मैंने कहा यह इतना गंदा है कि आपको बोलना पड़ेगा।'

पत्रकार ने जब उनसे यह सवाल किया कि आपको लगता है कि अमिताभ बच्चन यहां पर कायर साबित हुए तो प्रकाश राज ने समर्थन करते हुए कहा, 'हां, मैं ऐसा ही समझता हूं। अगर ऐसा नहीं होता तो वे बोलते। आखिर इसमें मुझे क्या मिलना है, मैं तो बस उनसे अपील कर रहा था कि आप किसी पार्टी के खिलाफ नहीं बोल रहे, बल्कि एक मुद्दे पर बोल रहे हैं, एक सोच के खिलाफ बोल रहे हैं जो सोच इस देश के लिए ठीक नहीं है।'

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प्रकाश राज यह पूछने पर कि आप इस मुद्दे को इतना महत्वपूर्ण मानते हैं, वे बताते हैं, 'मेरे लिए कठुआ बलात्कार कांड इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि किस धर्म के साथ हुआ, बल्कि महत्वपूर्ण यह था कि एक तो वहां के रह रहे लोगों को भगाने के लिए ऐसा किया गया, दूसरा एक पार्टी दुष्कर्मियों के पक्ष में सिर्फ इसलिए खड़ी हो रही है कि दुष्कर्मी उस पार्टी के हैं।'

पत्रकार उनसे जब यह जानना चाहती हैं कि आपको इतने बड़े स्टार के खिलाफ बोलने से किसी तरह की मुश्किल नहीं आएगी, प्रकाश राज का कहना था, 'मैंने उनसे अपील की और मेरा मानना है किए एक एक्टर होने के नाते हमारी भी चेतना है, सामाजिक जिम्मेदारी है। अगर ऐसे मौकों पर हमलोग डरपोक और कायर साबित होंगे तो समाज को डरपोक और कायर बनाएंगे।'

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