अटॉर्नी जनरल पलटे अपने बयान से, कहा राफेल सौदे से जुड़ी प्रक्रिया के सभी मूल दस्तावेज फाइल में मौजूद हैं, लेकिन मीडिया में जिस तरह से उनको दिखाकर सार्वजनिक किया गया, उससे लगता है मूल दस्तावेजों की फोटोकॉपी कराई गई या फोटो खींची गई...
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट
राफेल डील पर सरकार उच्चतम न्यायालय में बार बार गलतबयानी पर बुरी तरह घिर गयी है और सरकार की ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिशें शुरू हो गयी हैं ताकि उच्चतम न्यायालय के कोप से बचा जा सके. उच्चतम न्यायालय को सरकार ने राफेल डील पर एक बार फिर यह कहकर भरमाने की कोशिश की थी कि राफेल लड़ाकू विमान के सौदे के दस्तावेज चुरा लिए गए हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय उनके शब्द जाल में नहीं फंसा और जवाब तलब कर लिया कि फिर इस पर क्या कार्रवाई हुई.
यही नहीं जब न्यायालय ने यह कहकर कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के तहत यदि साक्ष्य चोरी से भी हासिल किये गये हैं तो यदि प्रासंगिक हैं तो ग्राह्य हैं, सरकार के चोरी के दस्तावेज के आधार दाखिल पर पुनर्विचार याचिका खारिज करने से इंकार कर दिया.
न्यायालय ने कहा कि सरकार यह कहकर साक्ष्य को खारिज नहीं कर सकती कि इसे अवैध रूप से हासिल किया गया है, उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि ऐसा कानून अमेरिका में है भारत में नहीं. इसके पहले सरकार ने उच्चतम न्यायालय में राफेल विमानों के मूल्य का सीएजी रिपोर्ट संसद में पेश करने का झूठा दावा कर चुकी है, जिसकी पोल खुलने के बाद सरकार ने टाईपिंग की गलती बताकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी.
राफेल डील के चोरी हुए दस्तावेजों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने रक्षा मंत्रालय से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 मार्च की तारीख तय की है. सुप्रीम कोर्ट राफेल डील को लेकर अपने फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशनों पर सुनवाई कर रहा है. 14 दिसंबर 2018 को उच्चतम न्यायालय ने राफेल डील की जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय में बुधवार को वेणुगोपाल की इस टिप्पणी ने राजनीतिक भूचाल ला दिया था कि राफेल लड़ाकू विमान के सौदे के दस्तावेज चुरा लिए गए हैं. अब अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने शुक्रवार 9 मार्च को दावा किया है कि राफेल दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चुराए नहीं गए. उच्चतम न्यायालय में उनकी बात का मतलब यह था कि याचिकाकर्ताओं ने आवेदन में उन ‘मूल कागजात की फोटोकॉपियों’ का इस्तेमाल किया, जिसे सरकार ने गोपनीय माना है.
वेणुगोपाल ने डैमेज कंट्रोल का प्रयास करते हुए कहा कि मुझे बताया गया कि विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उच्चतम न्यायालय में दलील दी गई कि फाइलें रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गईं. यह पूरी तरह से गलत है. यह बयान कि फाइलें चोरी हो गई हैं, पूरी तरह से गलत है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इतने संवेदनशील कागजात के चोरी होने पर सरकार पर निशाना साधा और जांच की मांग की थी.
अब वेणुगोपाल कह रहे हैं कि राफेल सौदे की जांच का अनुरोध ठुकराने के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पुनर्विचार की मांग वाली यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण की याचिका में ऐसे तीन दस्तावेजों को नत्थी किया गया है, जो असली दस्तावेजों की फोटोकॉपी हैं. सरकार ने ‘द हिंदू’ अखबार को इन दस्तावेजों के आधार पर लेख प्रकाशित करने पर गोपनीयता कानून के तहत मामला दर्ज करने की चेतावनी भी दी थी. इसे सरकार की किरकिरी होने के बाद सफाई माना जा रहा है.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दो दिन पहले उच्चतम न्यायालय में कहा था कि राफेल डील से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए हैं. हालांकि, शुक्रवार को अपने बयान से पलटते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि दस्तावेज चोरी नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में कहना चाह रहे थे कि डील की जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने दस्तावेज की फोटोकॉपी का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा कि डील के दस्तावेज सरकार के सीक्रेट दस्तावेज थे.
इस सनसनीखेज जानकारी के बाद चीफ जस्टिस गोगोई ने पूछा था कि मिस्टर अटॉर्नी ये आलेख मीडिया में कब छपा? इसके जवाब में अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि माई लॉर्ड आठ फरवरी को. कोर्ट ने फिर प्रश्न किया था कि तब से अब तक लगभग एक महीने का समय बीत चुका है. इस मामले में आपने क्या कार्रवाई की? इस सवाल पर अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि अभी तो बस जांच ही चल रही है. इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल से जवाब तलब कर लिया था.
अटॉर्नी जनरल ने अपने बयान से पलटते हुये यह भी कहा कि राफेल सौदे से जुड़ी प्रक्रिया के सभी मूल दस्तावेज फाइल में मौजूद हैं, लेकिन मीडिया में जिस तरह से उनको दिखाया गया और उन्हें सार्वजनिक किया गया, उसे देखते हुए ये साफ है कि मूल दस्तावेजों की फोटो कॉपी कराई गई या फोटो खींची गई है. अधिकारियों की लापरवाही से राफेल डील की फाइलों के अहम दस्तावेज लीक हुए हैं.
उन्होंने कहा कि ये ऑफिस सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन है. सरकार जांच के बाद जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. इसकी सूचना भी कोर्ट को दी जाएगी. वहीं, आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अटॉर्नी जनरल द्वारा ‘चोरी’ शब्द का इस्तेमाल ‘ज्यादा सख्त’ था. इससे बचा जा सकता था.
पिछली सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल द्वारा आफिशियल सीक्रेट एक्ट का हवाला देने पर पीठ ने सवाल किया कि यदि राफेल डील में कोई भ्रष्ठाचार किया गया है तो क्या अफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत सरकार अपना बचाव कर सकती है? हम नहीं कह रहे हैं कि भ्रष्ठाचार हुआ है लेकिन यदि हुआ है तो सरकार अपना बचाव अफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत नहीं कर सकता।
विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को जमकर घेरा
इसके बाद मीडिया से लेकर गली और नुक्कड़ों तक राफेल डील के दस्तावेज चोरी होने की चर्चा होने लगी. इसको लेकर विपक्षी दलों ने भी मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रक्षा मंत्रालय से राफेल डील के इतने संवेदनशील दस्तावेजों के चोरी होने पर मोदी सरकार पर निशाना साधा था और मामले की जांच की मांग की थी. सोशल मीडिया पर भी सरकार की बखिया उधेड़ी जाने लगी.
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के नए दावों के बाद कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार एक झूठ छुपाने के लिए सौ झूठ बोल रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि राफेल सौदे से जुड़े ‘गुम’ दस्तावेजों की जांच गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर से शुरू होनी चाहिए जिन्होंने कथित रूप से दावा किया था कि सौदे से संबंधित फाइलें उनके पास हैं.