हालातों को देख लगता है बुलंदशहर हिंसा को सांप्रदायिक दंगे का रूप देने की थी साजिश, इसके पीछे मकसद था कि विदेशी मीडिया में भी यह दंगा रहे सुर्खियों में...
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या का मुख्य बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज अभी तक पुलिस गिरफ्त से बाहर
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार। बुलंदशहर हिंसा की जाँच निष्पक्षता से उत्तर प्रदेश पुलिस कर पायेगी, इस पर फिलवक्त गम्भीर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है क्योंकि जिन पर शक की सुई है, वे संघ के एक संगठन बजरंग दल से जुड़े हुए लोग हैं। यदि बजरंग दल के लोग पकड़े जाते हैं तो इससे प्रदेश में योगी सरकार और केंद्र में मोदी सरकार की बड़ी किरकिरी होगी।
लोकसभा के चुनाव में छह महीने से भी कम समय बचा है, ऐसे में बुलंदशहर हिंसा से हुई छति का डैमेज कंट्रोल करना योगी सरकार के लिए भारी पड़ रहा है। इस कांड के प्रथमदृष्टया कई पहलू हैं, जिसमें पूरे प्रदेश को साम्प्रदायिक दंगों में झोंक देने, बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों के विरूद्ध हिंसा तथा अखलाक केस की जांच की वजह से इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की सुनियोजित हत्या का षड्यंत्र शामिल है।
समय, इलाका और हालात इस ओर इशारा करते हैं कि बुलंदशहर हिंसा को सांप्रदायिक दंगे का रूप देने की साजिश थी। इसके पीछे मकसद यह भी था कि विदेशी मीडिया में भी यह दंगा सुर्खियों में रहे।
प्रदेश में योगी सरकार के रहते इतने बहुआयामी मामले की निष्पक्ष जाँच राज्य की पुलिस द्वारा संभव नहीं है, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर और विनोद गोयल की पीठ ने कांग्रेस लीडर सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए कहा था कि राज्य प्रायोजित हिंसा करने वाली वर्चस्वशाली राजनीतिक ताकतों को कानून लागू करने वाली एजेंसियों का खुला सहयोग और समर्थन मिलता है। बुलंदशहर हिंसा की जाँच यदि कोर्ट की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी करे तभी इसकी सभी परतें खुल सकेंगी।
घटना सोची-समझी साजिश
बुलंदशहर में भीड़ की हिंसा का शिकार हुए स्याना इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पत्नी पहले दिन से ही कह रही हैं कि घटना सोची-समझी साजिश है। उनके पति को जान से मारने की धमकियां मिलती थीं। वह अखलाक केस की जांच कर रहे थे, इसलिए उन पर हमला हुआ था। यह एक सोची समझी-साजिश थी।
सुबोध कुमार सिंह की बहन ने भी पुलिस पर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि उनके भाई को पुलिस ने मिलकर मरवाया। उन्होंने कहा कि यह पुलिस की साजिश है। मेरे भाई अखलाक केस की जांच कर रहे थे, इसलिए उन्हें मारा गया है। सुबोध कुमार सिंह के घरवालों का आरोप है कि इस घटना के सबूत मिटाए जा रहे हैं। सुबोध की पत्नी और बेटे ने कहा कि क़ातिल खुलेआम घूम रहा है, क्योंकि उसे राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है।
एसआईटी का भी गठन
फिलवक्त जांच के लिए एक एसआईटी का भी गठन किया गया है। पुलिस एफआईआर के मुताबिक भीड़ में शामिल लोग इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की पिस्टल और तीन मोबाइल फोन छीन ले गए। उन्होंने सरकारी वायरलेस सेट को भी तोड़ दिया था। दो हफ़्ते बीत जाने के बाद भी मुख्य आरोपी बजरंग दल के योगेश राज और शिखर अग्रवाल को पुलिस पकड़ नहीं पाई है।हांलाकि ये दोनों ही आरोपी सोशल मीडिया और टीवी चैनल पर दिखाई दे रहे हैं।
सांप्रदायिक दंगे की साजिश
बुलंदशहर हिंसा के पीछे बड़े सांप्रदायिक दंगे की साजिश थी,जो पास के ही इलाके में हो रहे मुस्लिमों के धार्मिक आयोजन के आयोजन कर्ताओं की सूझबूझ से टल गया, क्योंकि उन्होंने धार्मिक जलसे से लौटने वालों को उस रास्ते से वापस नहीं लौटने दिया। धार्मिक जलसे में लाखों की संख्या में लोग मौजूद थे। दंगा फ़ैलाने वालों ने महाव गांव का उस इलाके, जहां से कथित गाय का मांस जब्त किया गया था, को बड़ी बारीकी से चुना गया था।
यह गांव स्याना पुलिस सर्किल में आने वाले स्थानीय पुलिस आउटपोस्ट से करीब 500 मीटर की दूरी पर है। यह सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाका है और 1990 के दशक की शुरुआत में जिले के खुर्जा कस्बे में हुए सांप्रदायिक दंगे के बाद यहां करीब एक महीने तक कर्फ्यू लगाया गया था।
महाव गांव चिंगरावटी और बांस कला गांव से भी जुड़ा हुआ है जहां एक समुदाय विशेष की संख्या अधिक है। न सिर्फ यह बल्कि जिस सड़क पर पुलिस आउटपोस्ट स्थित है, उसका इस्तेमाल पिछले दिनों हजारों की संख्या में लोग रामपुर, बरेली, मुरादाबाद और लखनऊ जाने के लिए कर रहे थे। ये लोग दरियापुर में एक धार्मिक आयोजन से लौट रहे थे। यह सड़क दिल्ली-मुरादाबाद हाइवे से जुड़ी हुई है। हिंसा भड़कने के बाद पुलिस ने सबसे पहले इस रूट में पड़ने वाले इलाकों को घेरा और धार्मिक जलसे से ट्रैफिक डायवर्ट किया।
फेल हो गयी बड़े पैमाने पर दंगे की योजना?
दरअसल ऐसा प्रतीत होता है कि कथित गोकशी की आड़ में जब धार्मिक आयोजन से लोग लौटते तो दंगे की साजिश को अंजाम दिया जाता, पर जब लोग नहीं लौटे तो इंस्पेक्टर सुबोध सिंह को ही भीड़ में शामिल साज़िशकर्ताओं ने गोली मारकर निपटा दिया।
इस बात की भी कोशिश की गई की सुबोध को जवाबी गोलीबारी में भीड़ ने मारा है, क्योंकि हिंसक भीड़ के भी एक व्यक्ति सुमित की भी गोली लगने से घटनास्थल पर ही मौत हुई है। लेकिन गोली मारने वाले से एक गलती यह हो गयी की एक ही असलहे से दोनों को गोली मारना पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सामने आ गयी है।
दो दिन पुराना था मांस
वहीं बुधवार को पुलिस ने बुलंदशहर हिंसा को साजिश का हिस्सा बताते हुए यह भी कहा कि स्याना के पास जो मांस मिला था, वह करीब दो दिन पुराना था। पुलिस ने यह भी बताया था कि मामले में 4 लोगों को इस घटना में गिरफ्तार किया था, लेकिन यह नहीं स्पष्ट है कि जिस दिन उस जगह पर कथित गोकशी हुई थी, वहां ये लोग शामिल थे या नहीं।
गिरफ्तार लोगों के नाम साजिद, सर्फुद्दीन, बन्ने और आसिफ हैं। साजिद और सर्फुद्दीन नया बांस से ताल्लुक रखते हैं जबकि बन्ने और आसिफ अहमदगढ़ और औरंगाबाद से हैं।