कंपनियां नदी में नहीं सीधे जमीन में 500 फ़ीट नीचे डाल रही हैं जहर

Update: 2018-05-29 19:51 GMT

सरकारी सख्ती से बचने के लिए जहर छुपाकर डाला जा रहा है जमीन में, पूरा जलस्रोत हो रहा है प्रदूषित और जहर पी रहा है देश

कर्नल प्रमोद शर्मा, आईआईटी मद्रास

मुल्क के कई राज्यों में "tuticorin" का दुखद प्रकरण दोहराने के लिए तैयार है। सभी को जानते हैं कि सभी राज्यों में जहां जहां उद्योग लगे हैं, खास करके जिसे हम "औद्योगिक नगर" या "स्पेशल इकनोमिक जोन" या "स्टेट इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन जोन" कहते हैं, वहां रोज चौबीस घंटे दिन रात उद्योगों का भयंकर दूषित पानी या कहें ज़हर बिना रोकटोक के पास वाले नाले, नदी, पोखरे इत्यादि में बहा दिया जाता है। "प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड" के आँखों के नीचे होता है ये सब।

इधर कुछ वर्षों से नदी में दूषित पानी को बहाने को लेकर मचे हो हल्ले से एक नए साजिश के तहत दूषित पानी को "जीरो डिस्चार्ज" के तहत छिपाया जा रहा है। दरअसल जीरो डिस्चार्ज वो कॉन्सेप्ट है, जहां आप जो भी पानी प्रकृति के स्रोत से लेते हैं उसे उद्योग में इस्तेमाल करके उसे "एफ्फ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट" में साफ करके फिर से उद्योग में रिसायकल करते हैं और कोई एफ्फ्लूएंट बाहर डिस्चार्ज नहीं होता।

लेकिन इसमें पैसा खर्च होता है तो उद्योगों के पूंजीपतियों ने एक नया खेल रचा है। दूषित पानी को नदी में न बहाकर सीधे चार पांच सौ फीट गहरे "बोरवेल" में डाल देते हैं और नदी नाले के सतह में प्रदूषित पानी नहीं दिखता।

लेकिन ये प्रकरण और भी भयंकर होता है, क्योंकि यहाँ ज़मीन के नीचे पानी के स्रोत को ही दूषित कर दिया जाता है। ज़मीन या नदी के सतह पर दूषित पानी डालने से मिट्टी में दूषित पानी के फ़िल्टर होने की कुछ गुंजाइश रहती है, लेकिन बोरवेल में तो सीधे स्रोत को ही दूषित कर देते हैं और अपने पाप को छुपाने के लिए उसे "जीरो डिस्चार्ज" का नाम दे दिया जाता है।

वेदांता ग्रुप के मालिक अग्रवाल जी ने भी हाल में tuticorin के कॉपर संयंत्र के प्रकरण में दिए गए अपने इकॉनोमिक टाइम्स के इंटरव्यू में जीरो डिस्चार्ज के बारे में कहा है।

सबको पता है वर्षों से दूषित पानी को नदियों में बहाने से कैंसर, हेपेटाइटिस, टाइफायड जैसी कई भयंकर बीमारियां हो रहीं है, लेकिन सवाल ये है कि जब दूषित पानी को पांच सौ फुट गहरे पानी के स्रोत में ही ज़हर मिला दिया जा रहा है, जिसे पंप कर के हम सब पी रहे हैं तो आने वाले समय में क्या होगा!

सरकार को चाहिए ऐसे उद्योगों को चिन्हित करके तुरंत रोक लगाए, जिससे आम जनता बीमारियों से बचे और पुलिस से भी टकराव न हो।

(आईआईटी मद्रास से एमटेक कर्नल प्रमोद शर्मा कृषक हैं और पूर्व सैनिक और स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन से जुड़े हैं।)

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