उत्तराखण्ड ही नहीं, एड्स की भी राजधानी कहिए देहरादून को

Update: 2017-12-01 23:02 GMT

एड्स दिवस पर विशेष

एड्स रोगियों के मामले में हरिद्वार दूसरे नंबर पर तो नैनीताल जिले का नंबर तीसरा आता है...

हल्द्वानी, जनज्वार। आज 1 दिसंबर को विश्व एड्स डे के रूप में याद किया जाता है। बात उत्तराखंड की करें तो एड्स के मामले में राजधानी देहरादून सबसे आगे है। यहां पिछले सात सालों में सबसे ज्यादा एड्स रोगी पाये गये हैं। एड्स रोगियों के मामले में हरिद्वार दूसरे नंबर पर तो नैनीताल जिले का नंबर तीसरा आता है।

एड्स से बचाव के बतौर हमेशा यह कहा जाता है कि इसकी रोकथाम के लिये साक्षर और जागरूक होना आवश्यक है, लेकिन यह पैमाना उत्तराखण्ड पर फिट नहीं बैठता। राजधानी देहरादून जहां की साक्षरता दर काफी अच्छी है, वहां पिछले सात सालों में सबसे ज्यादा एड्स रोगी पाये गये हैं।

इस साल अभी तक यानी अप्रैल से अक्टूबर माह तक 265 नए एड्स रोगी मिले हैं। हालांकि पिछले सालों के मुकाबले यह तादाद थोड़ी कम है, जबकि पिछले साल यहां पर 367 एड्स रोगी मिले थे। उत्तराखंड में स्थापित एकीकृत परामर्श एवं परीक्षण केन्द्र (आईसीटीसी) के मुताबिक उत्तराखंड में यहां सबसे ज्यादा एड्स रोगी हैं। देहरादून जिले में एड्स रोगियों की तादाद जस की तस ही है।

हरिद्वार जिले में इस साल अभी तक यानी अप्रैल से अक्टूबर माह तक 101 नए एड्स रोगी चिन्हित किए गए हैं। इस साल एड्स रोगियों के मामले में यह जिला दूसरे नम्बर पर है।

वहीं झील नगरी नैनीताल में इस साल अभी तक एड्स के 91 रोगी मिले हैं, जिस वजह से इस साल एड्स रोगियों के मामले में यह जिला तीसरे नम्बर पर रहा है। हालांकि नैनीताल के लिए यह सुकून वाली बात है कि लेकिन बीते साल 2011 से लेकर 2015 तक एड्स रोगियों के मामले में नैनीताल जिला दूसरे नम्बर पर था, अब यह आंकड़ा थोड़ा पीछे खिसका है।

गौरतलब है कि यह आंकड़ा अप्रैल से अक्टूबर माह तक का ही है। आईसीटीसी के मुताबिक पूरे उत्तराखंड में हर साल औसतन 800 एड्स रोगियों की पहचान हो रही है, जो चिंतनीय है। इसके अलावा हर साल औसतन 50 गर्भवती महिलाओं में एड्स की पहचान हो रही है। एचआईवी के विषाणु संक्रमित व्यक्ति के रक्त में मल्टीप्लाई होते रहते हैं। एंटी रेट्रो वायरल दवायें लेने से रोगी की आयु बढ़ जाती है, लेकिन उसे रोग मुक्त नहीं किया जा सकता है।

हरिद्वार जिले में पिछले दो सालों से एड्स रोगी लगातार बढ़ रहे हैं। साल 2016-2017 में यहां 139 एड्स रोगी थे और इस साल अभी तक एड्स रोगियों के मामले में यह जिला दूसरे नम्बर पर है। वहीं नैनीताल जिले में एड्स रोगियों की संख्या कम हुई है।
साल 2014-15 में 160, 2015-16 में 110 रोगी थे। हालांकि 2016-2017 में यहां 120 एड्स रोगी थे, लेकिन साल 2010 से 2015 के मुकाबले यह रोगी कम हैं।

राज्य के पर्वतीय जिलों में एड्स के रोगी बहुत कम संख्या में पाए गये हैं। रुद्रप्रयाग में तो इस साल कोई एड्स रोगी मिला ही नहीं है। वहीं बागेश्वर, चमोली, अल्मोड़ा, चम्पावत, पिथौरागढ़ टिहरी आदि जिलों में भी एड्स के मामले में स्थिति काबू में है।

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