दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020: बवाना की जनता बोली न्यूनतम वेतन देने में सरकार असफल, मजदूरों के लिए कुछ नहीं किया सरकार ने

Update: 2020-01-15 09:05 GMT

मैं पिछले 7 सालों से फैक्ट्री में काम कर रहा हूं। लेकिन अभी तक हम लोगों को सिर्फ 6 हजार रूपए हर महीने सैलरी के तौर पर दिए जाते है। ये हालात सिर्फ यहां पर मेरे ही नहीं बल्कि इससे ज्यादा सैलरी यहां पर किसी मजदूर को नहीं दी जाती हैं। हम मजदूरों के ऊपर किसी तरह की कोई समस्या भी आ जाए तो मालिक और सरकार हमारी कोई मदद नहीं करती...

जनज्वार। दिल्ली में विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी गई है। चुनाव आयोग ने तारीखों को घोषणा करते हुए 8 फरवरी को चुनाव और 11 फरवरी को नतीजों की घोषणा करने का ऐलान किया है। दिल्ली में चुनावों के ऐलान के बाद उत्तर पश्चिमी इलाके में स्थित बवाना विधानसभा का बात की जाए तो यहां पर 2015 के विधानसभा चुनावों और 2017 के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की ही आंधी थी।

त्तरी पश्चिमी दिल्ली के बवाना इंडस्ट्रीयल इलाके में कुल 16000 छोटी मोटी फैक्ट्रीया कार्यरत हैं जिसमें 27000 मजदूर काम करते हैं इन मजदूरों के लिए रोजगार, साफ सफाई, हेल्थ और न्यूनतम वेतन देना चुनाव के लिए सबसे अहम मुद्दे है। 2015 में इस सीट पर आम आदमी पार्टी के वेद प्रकाश की जीत हुई थी। तब उन्हें कुल 108928 वोट मिले थे जबकि भाजपा के गुगन सिंह को 58371 वोट मिले और कांग्रेस के सुरेंद्र कुमार को केवल 14749 वोट मिले थे। इसके बाद जब 2017 में बवाना विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ तब भी आप ने यहां पर जीत हासिल की थी।

दिल्ली के 2015 के विधानसभा चुनावों के लिए आप ने राम चंदर को अपना उम्मीदवार बनाया और पार्टी ने जिस उम्मीद से उन्हें प्रत्याशी बनाया था। उस उम्मीद पर राम चंदर खरे भी उतरे लेकिन इस विधानसभा चुनाव में आप ने राम चंदर का टिकट काटकर जय भगवान उपकार को उम्मीदवार बना दिया है।

नज्वार जब बवाना में मजदूरों के इलाके मेट्रो बिहार पहुंचा तो यहीं के स्थानीय निवासी मतीन अली ने सरकार के पिछले पांच साल के कार्यकाल को बुरा बताते हुए कहा कि मैने पिछले साल आम आदमी पार्टी को इस लिए वोट दिया था। ताकि ये सरकार हम लोगों के लिए काम कर सके। इससे पहले कांग्रेस की सरकार रही थी तो उसने थोड़ा बहुत काम हम लोगों के लिए काम किया था। लेकिन इस सरकार ने हम लोगों के लिए कुछ नहीं किया मैं पिछले 7 सालों से फैक्ट्री में काम कर रहा हूं। लेकिन अभी तक हम लोगों को सिर्फ 6 हजार रूपए हर महीने सैलरी के तौर पर दिए जाते है। ये हालात सिर्फ यहां पर मेरे ही नहीं बल्कि इससे ज्यादा सैलरी यहां पर किसी को नहीं दी जाती हैं। हम मजदूरों के ऊपर किसी तरह की कोई समस्या भी आ जाए तो मालिक और सरकार हमारी कोई मदद नहीं करती हैं।

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तीन बताते है कि यहां पर फैक्ट्री के मालिक काफी बड़ा घोटाला कर रहे सरकार की तरफ से जो कर्मचारी यहां जांच के लिए आते है। तो उन्हें हमारे वेतन की दूसरी लिस्ट दिखाई जाती हैं। और जो लिस्ट हमें दिखाई जाती है उसमें हमारा वेतन कुछ और बताया जाता हैं। मालिक अगर हम लोगों से 12 घंटे भी काम कराते है तो हम लोगों को ज्यादा से ज्यादा 9 हजार सैलरी दी जाती है। इससे ज्यादा सैलरी यहां पर किसी को नहीं दी जाती हैं। जब उनसे पूछा गया कि सरकार की तरफ से जो न्यूनतम वेतन तय किया जा रहा हैं वो दिया जाता है तो वह साफ इंकार कर देते हैं।

फैक्ट्री में काम करने वाले राहुल सभी पार्टियों पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि सरकार हम लोगों के लिए कुछ नहीं करने वाली हैं। वह फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों पर आरोप लगाते हुए कहते है कि कर्मचारियों पर किसी तरह की कोई एकता नहीं है। जिसके कारण मालिक 'फूट डालो राज करो' की नीति अपना कर फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों का शोषण करता हैं। फैक्ट्री के मालिक कागजातों में हमारी सैलरी आगे बढ़ा कर तो दिखा देते है कि मजदूरों को सैलरी 14 हजार दी जा रही है लेकिन हकीकत में लोगों को वेतन 6 से 9 हजार के बीच में ही दिया जाता हैं। इसके अलावा जब हम लोग शिकायत करने जाते है तो हमें निकालने की धमकी दे दी जाती हैं।

ब उनसे पूछा गया कि आपने अपने विधायक से किसी तरह की कोई शिकायत नहीं की तो उनका कहना था कि यहां पर विधायक सिर्फ वोट मांगने के लिए आते हैं। जब वोट मांगने होते हैं तो ये लोग घर के सामने आकर भीख मांगते है। लेकिन चुनाव हो जाने के बाद ये विधायक हम सब को भूल जाते हैं। जब हमें किसी तरह का कोई काम कराना होता है तो ये लोग हमें भूल जाते हैं।

रकार से काफी गुस्सा हो रखी सुनीता बताती है कि सरकार की तरफ से तय न्यूतम वेतन तो छोड़ दीजिए हमारे विधायक ने हमारी कॉलोनी में रहने वाले लोगों के लिए कुछ नहीं किया हैं। घर के सामने साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। मुख्य सड़क तक जाने के लिए एक रोड़ ढंग का नही है। सरकार वादे तो काफी करती हैं। लेकिन धरातम में सच्चाई कुछ और ही दिखाती हैं।

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सुनीता गुस्से में कहती है कि रोजगार की बात की जाए तो महिलाओँ की स्थिति यहां पर काफी बुरी हैं। ज्यादातार महिलाएं यहां फैक्ट्री से अपना रोजगार पाती है। लेकिन उसमें भी हम लोगों को केवल 6 हजार रुपए दिए जाते हैं। आजकल की महंगाई के दौर में कोई कैसे 6 हजार रुपए में अपने परिवार को पाल सकता हैं। सरकार ने इतनी महंगाई बढ़ा दी है। लेकिन हमारे वेतन में किसी तरह की कोई बढ़ोतरी नहीं हो पाई हैं। हमारे इलाके में जब वोट देने की बात आती हैं तभी सब लोग वोट लेने के लिए आते हैं।

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