असल सवाल को शिफ्ट करने में गोएबल्स मीडिया का नहीं कोई सानी और जनता भी करने लगती है उसी में हिप हिप हुर्रे, 13 बच्चों की मौत में सरकार की कोई गलती ही नहीं गिना रहा है, जबकि देशभर में 3,479 रेलवे क्रॉसिंग हैं मानवरहित
जनज्वार, दिल्ली। आज देशभर के अखबारों और टीवी चैनलों पर एक ही बात प्रमुखता से छापी गई है कि कुशीनगर हादसे के लिए सिर्फ वैन चालक जिम्मेदार है, क्योंकि गाड़ी चलाते हुए उसने इयरफोन लगा रखा था। यह सही है कि ड्राइवर की गलती की वजह से 13 स्कूली बच्चों की जान गई, मगर गोएबल्स मीडिया की निगाह में क्या इस हादसे के लिए सरकार भी उतनी ही दोषी नहीं है जितना कि ड्राइवर।
यह ठीक है कि वैन चालक ने ईयरफोन लगा रखा था, मगर सवाल यह भी है कि अगर रेलवे क्रांसिंग पर फाटक लगा होता तो क्या यह घटना होती। नहीं, तब असमय ये बच्चे मौत के मुंह में नहीं समाए होते।
कुशीनगर में स्कूल वैन से टकराई ट्रेन, ड्राइवर समेत 14 की मौत आधा दर्जन गंभीर रूप से घायल
मोदी घोषणा करते हैं कि देश में जल्द से जल्द बुलेट ट्रेनें दौड़ेंगी। बुलेट तो छोड़िए साहब जो ट्रेनें चल रही हैं उन्हीं को सुचारू रूप से चलाया जाए तो व्यवस्था बदल सकती है। बुलेट ट्रेन के लिए साहब की सरकार ने जितना बजट तय किया है उसके मात्र कुछ फीसदी खर्चा जाए तो सारी फाटकविहीन रेलवे क्रासिंग को खत्म किया जा सकता है।
एक आंकड़े के मुताबिक देश में तकरीबन 3,479 मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग हैं। मोदी सरकार के प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन पर 1.08 लाख करोड़ रुपए का खर्चा आना है, जबकि इससे बहुत कम बजट में सारे मानवरहित रेलटे क्रासिंग को खत्म किया जा सकता है। एक मानवरहित क्रॉसिंग को खत्म करने में लगभग 17 हजार करोड़ रुपए का खर्च आता है।
बजाय मिशन बुलेट ट्रेन के क्यों नहीं मोदी सरकार मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग को खत्म करने का काम प्राथमिकता पर करती, जिससे कि रोज—रोज होने वाले ऐसे हादसों और बेमौत होने वाली मौतों से बचा जा सके।
गौरतलब है कि हर रोज मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग के चलते दर्जनों हादसे आम बात हो गई है। एक—दो लोगों की मौत की तो कहीं कोई गिनती ही नहीं की जाती। मीडिया में भी वही घटनाएं सामने आ पाती हैं, जिनमें मौतों की संख्या ज्यादा होती है।
रेलवे द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक 2016 में उत्तर प्रदेश में 1357 मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग हैं, जबकि मोदी के गृहराज्य गुजरात में सबसे ज्यादा 1985 मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग थे।
2016 में उत्तर प्रदेश 1,357 मानव रहित स्तर क्रॉसिंग के साथ दूसरे स्थान पर रहा, तो मोदी के गृहराज्य गुजरात में 1,985 मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग थीं। हालांकि इस बीच कई जगह मानवरहित क्रॉसिंग को खत्म किया गया है, मगर यह काम उस तेजी से नहीं हो रहा है, जितनी प्राथमिकता और तेजी से किया जाना चाहिए।
जब ऐसे हादसे हो जाते हैं तो प्रशासन लीपापोती के लिए तमाम आश्वासन देता है और इस बार भी यही हुआ है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने फिर से आश्वासन दिया है कि 31 मार्च 2020 तक ऐसे हम सभी यूएमएलसी (मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग) को 2020 तक हटाने का प्रयास करेंगे। यहां भी चेयरमैन ने सिर्फ 'कोशिश करेंगे' का आश्वासन ही दिया है, देखते हैं कि यह हो पाता है या नहीं।
इसी के साथ रेलवे बोर्ड के चेयरमैन यह गिनाना भी नहीं भूले कि जब तक यूएमएलसी को हटा नहीं दिया जाता, तब तक लोगों को मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पार करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। रेलवे ऐसा कोई भी कदम नहीं उठा सकता, जिससे लोगों की लापरवाही को रोक जा सके। यानी कि हादसों की वजह सिर्फ लोगों की लापरवाही है, शासन—प्रशासन तो पाक साफ है।