अभी अदालत में सोशल मीडिया पर लगाम कसने का मामला विचाराधीन ही है कि अघोषित तौर पर यह सरकार के निर्देश पर लागू हो भी चुका है, अब तक 141 ट्वीटर अकाउंट बंद करने के साथ हटाये जा चुके हैं 10 लाख ट्वीट, एक्सपर्ट बोले ट्वीटर भारत सरकार के अघोषित मीडिया सेंसरशिप का बन चुका है सहभागी...
महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट
अभी कुछ दिनों पहले ही सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि सोशल मीडिया के नियंत्रण के लिए एक नया क़ानून जनवरी 2020 तक बना लिया जाएगा। तब से यह लगातार विमर्श किया जा रहा है कि इसके बाद सोशल मीडिया के मैसेजों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ जाएगा और निजता जैसी कोई बात नहीं रहेगी।
मगर सरकार तो पहले से ही लगातार सोशल मीडिया पर नजरें गड़ाए बैठी है और अपनी मर्जी से लोगों के अकाउंट बंद करा रही है, अपने पक्ष में न होने वाले मैसेज को सोशल मीडिया साइट्स से हटवा रही है। कम से कम ट्वीटर पर तो ऐसा ही किया जा रहा है। वर्ष 2017 से अब तक सरकार लगभग 141 ट्वीटर अकाउंट को बंद कराने/नियंत्रित करने के साथ-साथ कम से कम 10 लाख ट्वीट किये मैसेज को हटवा चुकी है। यह सभी ट्वीट कश्मीर के हालात से सम्बंधित थे। इसका खुलासा न्यूयॉर्क स्थित कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने किया है।
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने आरोप लगाया है, 'ट्वीटर भारत सरकार के अघोषित सेंसरशिप में बड़ी भूमिका निभा रहा है। हालत यहाँ तक पहुंच गयी है कि पिछले दो वर्षों के दौरान भारत में जितने ट्वीटर अकाउंट पर पाबंदी लगाई गयी है और जितने मैसेज डिलीट किया गए हैं, वह आंकड़ा पूरी दुनिया के सभी देशों को जोड़ने के बाद की संख्या से भी बड़ा है।'
पूरी दुनिया में सरकारों के अनुरोध पर जितने मैसेज ट्वीटर आधिकारिक तौर पर डिलीट करता है, उसमें से 51 प्रतिशत से अधिक भारत में किये जाते हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि सरकार वर्ष 2017 से ही कश्मीर की सारी खबरों को दबाती चली आ रही है। जिन लोगों के ट्वीटर अकाउंट पर पाबंदी लगाई गयी है, उनमें से अधिकतर पाबंदी ऐसी है जिसमें मैसेज देश में नहीं देखा जा सकता।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बेर्क्मन क्लीन सेंटर में ट्वीटर की गतिविधियों का गहन विश्लेषण किया जाता है। इसके अनुसार अगस्त 2017 से अब तक भारत सरकार ने ट्वीटर अकाउंट बंद करने के या फिर मैसेज डिलीट करने के कुल 4722 अनुरोध/आदेश किये, इनमें से 131 अनुरोध स्वीकार कर इस पर कार्यवाही की गयी। कुल अनुरोध की तुलना में कार्यवाही वाले अनुरोध की संख्या कम लग सकती है, पर यहाँ यह जानना भी आवश्यक है कि एक ही अनुरोध में अनेक अकाउंट बंद करने के या फिर हजारों मैसेज डिलीट करने के बारे में कहा जाता है।
इस अवधि की तुलना में वर्ष 2012 से जुलाई 2017 तक भारत सरकार ने ऐसे कुल 900 अनुरोध/आदेश किये, पर इसमें से महज एक अनुरोध पर ट्वीटर ने कार्यवाही की। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स के अनुसार, यह स्पष्ट है कि अगस्त 2017 के बाद एकाएक भारत सरकार ट्वीटर को सेंसर करने लगी और इसमें ट्वीटर ने भी सरकार का बखूबी साथ दिया।
इससे तो यही लगता है कि भले ही अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाया गया हो, पर इसकी तैयारी दो वर्ष पहले से की जा रही थी। मैसेज को ब्लाक करके कश्मीरियों की आवाज दबाई जा रही थी और उन्हें पूरे दुनिया से अलग-थलग किया जा रहा था।
अनेक सोशल मीडिया विशेषज्ञों का मत है कि ट्वीटर को भारत सरकार ने इसलिए चुना, क्योंकि अधिकतर कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता और स्थानीय मीडिया से जुड़े लोग ट्वीटर के द्वारा ही एक दूसरे से जुड़े हैं और इसी के माध्यम से एक दूसरे तक सन्देश भेजते हैं। कश्मीर के दो प्रमुख समाचार पत्रों, द कश्मीर नरेटर और वॉइस कश्मीर के ट्वीटर अकाउंट बंद किये जा चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विशेषज्ञ डेविड काये ने इस सन्दर्भ में ट्वीटर के सीईओ जैक डोरसे को पत्र भी लिखा है। इसमें कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार ने मीडिया के अघोषित सेंसरशिप का दायरा बढाने के बहुत प्रयास किये हैं और नए तरीके भी ईजाद किये हैं। इन सबसे भारत में लोगों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सूचना तक पहुँच का अधिकार, समान विचारों वाले लोगों के समुदाय बनाने के अधिकार और कुल मिलाकर मौलिक अधिकारों का तेजी से हनन किया जा रहा है।
उन्होंने पत्र में ट्वीटर से पूछा है कि 'आप लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बनाया है, फिर सरकारी अघोषित सेंसरशिप में आप कैसे भागीदार हो सकते हैं? जब सरकारें आप बहुत दबाव बनाती हैं तब क़ानून के दरवाजे तो खुले रहते हैं, यदि आप निष्पक्ष हैं तो निश्चित तौर पर आपको कानूनी रास्ता अपनाना चाहिए।'
डेविड काये ने अपने पत्र में आंकड़े देकर बताया है कि अगस्त 2017 से ट्वीटर पूरी तरह भारत सरकार के समर्थन में उतर गया। जुलाई से दिसम्बर 2016 के बीच भारत सरकार ने ट्विटर पर मैसेक ब्लॉक करने या अकाउंट बंद करने के 96 निर्देश दिए पर ट्वीटर ने किसी पर भी अपनी तरफ से कोई कार्यवाई नहीं की, इसी तरह जनवरी से जून 2017 के बीच 104 निर्देशों पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
मगर जुलाई से दिसम्बर 2017 के बीच भारत सरकार के 144 निर्देशों के अनुपालन में ट्वीटर ने 17 अकाउंट सस्पेंड किये और सैकड़ों मैसेज डिलीट कर दिए। डेविड काये के अनुसार इससे स्पष्ट है कि जुलाई 2017 से ट्वीटर भारत सरकार के अघोषित मीडिया सेंसरशिप का सहभागी हो गया।