बातों में बीत गए 100 दिन, किसानों को नहीं मिला कर्जमाफी का 1 रुपया

Update: 2017-06-28 08:39 GMT

75 फीसदी उन किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा जिनसे बैंक कई वर्षों से नहीं वसूल पा रहे थे कर्ज, डाल दिया था बट्टे खाते में, कर्जमाफी का असल मकसद किसानों को राहत नहीं, बैंको के बढ़ते एनपीए को कम करना है

उत्तर प्रदेश सरकार के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री ने 48 पेज की बुकलेट जारी कर कहा कि 86 लाख किसानों का कर्ज किया माफ, पर सच यह है कि अभी बजट का ही नहीं है ठिकाना, कर्जमाफी अभी दूर की कौड़ी...

जनज्वार, लखनऊ। सरकार बनते ही योगी सरकार ने घोषणा कर दी थी कि सभी किसानों का कर्ज माफ करेगी। वहीं सरकार का गन्ना किसानों के बारे में दावा था कि वह 14 दिन के भीतर सभी गन्ना किसानों का बकाया दिलवा देगी। शहर में 24 घंटे बिजली और देहातों में 18 घंटे बिजली के वादे के अलावा 15 जून तक पूरे प्रदेश की सड़कों के गढ्ढा मुक्त करने का वादा तो सरकार का था ही।

पर हुआ क्या? वादे के बाद उसे पूरा होने की तारीखें लगातार बदलती रहीं पर घोषणाएं निरंतर जारी रहीं। 27 जून को सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर भी '100 दिन विश्वास के' नाम का बुकलेट जारी करते हुए भी सरकार वहीं खड़ी थी जहां सरकार बनने के पहले दिन थी। यानी घोषणाओं और आश्वासन का सहारा, खासकर किसानों के मसले पर।

और इन्हीं घोषणाओं की गर्मजोशी में यूपी सरकार ने कब 100 दिन पूरे कर लिए, इसका अहसास खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी नहीं हुआ? बसपा अध्यक्ष और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सरकार के 100 दिन पूरे होने पर शून्य अंक दिए।

मायावती के शून्य अंक देने के पीछे कारण यह भी हो सकता है कि योगी जी घोषणाओं को ही अमल के रूप में प्रचारित कर रहे हैं? अन्यथा कर्जमाफी हुए बगैर ही वह क्यों कह देते की प्रदेश के 86 लाख किसानों का कर्ज किया माफ!

जबकि किसानों की कर्जमाफी अभी सिर्फ घोषणा के स्तर पर है। उसके बजट तक का ठिकाना नहीं है। मुख्यमंत्री के पत्र लिखने के बावजूद बैंक किसानों से कर्ज वसूली कर रहे हैं। राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकारियों का कहना है कि हमें कोई ऐसा आदेश नहीं प्राप्त हुआ है।

अभी खुद सरकार को नहीं पता कि किस मद से किसानों की कर्जमाफी होगी। सरकार यह दावा भी तब सुनिश्चित कर पाएगी जब विधानसभा में बजट पेश होगा। बजट पेश होने पर सरकार तय करेगी कि किस मद का पैसा कर्जमाफी में दिया जाए।

यह संकट इसलिए भी बड़ा है कि केंद्र सरकार ने किसान कर्जमाफी से मना कर दिया है। वहीं वित्तमंत्री अरुण जेटली बोल चुके हैं कि कर्जमाफी की समस्या से राज्य अपने स्तर पर निपटें। पर याद रखना होगा कि किसान कर्जमाफी की घोषणा यूपी चुनाव की रैलियों में योगी ने प्रधानमंत्री मोदी ने की थीं, जिससे उनके वित्तमंत्री अब मुकर रहे हैं।

यही वजह है कि किसी भी किसान का 1 रुपया यूपी सरकार अबतक नहीं माफ कर सकी है। दूसरी बात यूपी के 2 करोड़ 26 लाख कर्जदार किसानों में से सरकार सिर्फ 86 लाख किसानों के कर्जमाफी की घोषणा की है। वह भी उन किसानों के जिनके फसली ऋण 1 लाख से कम है।

ध्यान रखना होगा सरकार सिर्फ फसली ऋण माफ करेगी, खेती के लिए गए अन्य कृषि ऋण पर सरकार किसानों से कर्ज वसूलेगी।

कांग्रेस प्रवक्ता केके पांडेय के मुताबिक, 'सरकार उन किसानों से भी कर्ज वसूलेगी जिनका बकाया 1 लाख से ज्यादा है। इसमें भी बड़ी मुश्किल ये है कि सरकार मौजूदा वित्त वर्ष के बकायेदारों में से सिर्फ 25 फीसदी किसानों का कर्ज माफ करेगी, बाकि 75 फीसदी किसान वो होंगे, जिनको बैंकों ने डिफॉल्टर्स घोषित कर रखे हैं।'

आइए, प्वांइंटवाइज समझते है सरकार के किसान कर्जमाफी कैसे करना चाहती है और अगर आप किसान हैं तो आप कहां हैं,

1. सरकार केवल 1 लाख तक के कर्जदारों का सिर्फ फसली ऋण माफ करेगी, अन्य कृषि कर्ज नहीं।

2. सरकार ने कर्जमाफी के लिए 36 हजार करोड़ के जिस बजट आवंटन की बात की है, उसका असल मकसद किसानों का कर्ज माफ करना नहीं बल्कि बैंकों के एनपीए को कम करना है।

3. कर्जमाफी में 75 प्रतिशत वे किसान हैं जिनके कर्जों को बैंको ने बट्टेखाते में डाल दिया था। इससे बैंकों का एनपीए 'नॉन परफार्मिंग एसेट' बढ़ रहा था। यानी योगी सरकार 75 फीसदी उन किसानों का कर्ज भर रही है जिनसे बैंक पिछले कई वर्षों से कर्ज वापसी नहीं ले पा रहे थे। यानी सरकार मौजूदा वित्त वर्ष के कर्जदारों में से मात्र 25 फीसदी किसानों का ही कर्ज माफ कर रही है।

4. गन्ना किसानों को 2015—15 का 40.11 करोड़, 2015—16 का 57.36 करोड़ रुपया मिलों पर बकाया है। जिसे सरकार ने सिर्फ 14 दिन में दिलाने का वादा किया था। यूपी में गन्ना किसानों का मौजूदा वित्त वर्ष जोड़कर मिलों पर कुल बकाया 2877.94 है।

5. किसान कर्जमाफी की घोषणा योगी ने नहीं बल्कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने की थी। पर सरकार बनते ही केंद्र ने कह दिया था कि वह कर्जमाफी के लिए अनुदान नहीं देगी। वित्तमंत्री ने भी कह दिया था राज्य खुद जुगाड़ें मद।

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