ग्राउंड रिपोर्ट : शाहीन बाग आंदोलन को आखिर क्यों जिंदा रखे हुए है मोदी सरकार
आंदोलन में शामिल लोग कह रहे हैं इस मुद्दे का दिल्ली चुनाव से कोई वास्ता नहीं, बल्कि एनआरसी और सीएए के खिलाफ महीने दिन जारी इस प्रदर्शन का राष्ट्रीय महत्व है, जिसका नेतृत्व आम मुस्लिम महिलाएं कर रही हैं...
जनज्वार, दिल्ली। देश और दुनिया में लगातार चर्चाओं में बना शाहीन बाग आंदोलन दिल्ली के ओखला इलाके में पिछले एक महीने से तब चलाया जा रहा है, जबकि दिल्ली में चुनाव सिर पर है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर इस आंदोलन का होने वाले चुनाव पर क्या असर पड़ेगा?
हालांकि आंदोलन में शामिल लोग कह रहे हैं इस मुद्दे का दिल्ली चुनाव से कोई वास्ता नहीं है, बल्कि एनआरसी और सीएए के खिलाफ महीने दिन जारी इस प्रदर्शन का राष्ट्रीय महत्व है, जिसका नेतृत्व आम मुस्लिम महिलाएं कर रही हैं।
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ पुलिस की हुई हिंसक झड़प के अगले दिन से जारी शाहीन बाग आंदोलन को आज 30 दिन पूरे हो चुके हैं। अब तक कम्युनिस्ट पार्टियों नेताओं, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और कुछ कांग्रेस के नेताओं के अलावा किसी दूसरी पार्टी के नेता इस मंच पर नहीं आए हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है, उसके 70 में से 67 विधायक हैं, लेकिन पार्टी का कोई भी मंत्री—सांसद या खुद मुख्यमंत्री मंच की ओर एककदम भी नहीं बढ़ाए हैं।
इन तमाम सवालों के साथ जनज्वार टीम जब शाहीन बाग के आंदोलन स्थल पर पहुंची तो लोगों ने खुलकर बात रखी, अपना पक्ष—विपक्ष भी बताया, साथ ही यह भी कहा कि यहां कोई राजनीति से जुड़ा सवाल मत करिए, क्योंकि यहां राजनीति नहीं हो रही, अपने हक की मांग का आंदोलन हो रहा है।
ग्राउंड जीरो से शाहीन बाग का सच जानने के लिए देखिए यह वीडियो
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