खुलासा : इंडिया टीवी और दैनिक जागरण वाले पैसा लेकर भाजपा के लिए दंगा फैलाने वाली खबरें करते हैं प्रसारित

Update: 2018-03-26 18:20 GMT

पर दंगा फैलाने वाली खबरों के लिए सर्वाधिक चर्चित रहे जी न्यूज का नाम नहीं होने से लोगों को हो रहा आश्चर्य, पत्रकार कहने लगे हैं सुधीर चौधरी ने कर लिया होगा कोबरा वालों को सेट

जनज्वार, दिल्ली। कई बड़े खुलासों के लिए चर्चित रही वेबसाइट कोबरा पोस्ट ने फिर एक नया खुलासा कर सनसनी फैला दी है। इससे पहले वह काले धन के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण मामलों के यह वेबसाइट खुलासे कर चुकी है।

इस बार कोबरा पोस्ट ने ‘ऑपरेशन 136’ नाम के अपने स्टिंग में इस बात का पर्दाफाश किया है कि किस तरह देश के बड़े—बड़े मीडिया समूह पैसे लेकर खबरें चलाने के लिए तैयार हो जाते हैं, और देश के सबसे ज्यादा नाजुक सांप्रदायिकता जैसे मसलों पर ये हिंदुत्व एजेंटों के आगे बिकते नजर आते हैं। कोबरा पोस्ट के खुलासे के मुताबिक सो कॉल्ड जाने माने मीडिया हाउसेस इसके लिए काला धन तक स्वीकारते हैं।

आज दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कोबरा पोस्ट ने खुलासा किया कि मीडिया समूह ‘हिन्दुत्व’ के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पैसे लेकर राजनीतिक अभियान चला रहे हैं।

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अपने खुलासे में कोबरा पोस्ट ने कई न्यूज चैनलों, अखबार, वेबसाइटों के उच्च प्रबंधन से बातचीत के वीडियो साझा किए हैं, जो पैसे के बदले किसी भी तरह की खबरें चलाने को तैयार थे।

जिन मीडिया समूहों का कोबरा पोस्ट ने नाम लिया, उनमें हिंदी न्यूज चैनल इंडिया टीवी, साधना प्राइम, हिन्दी खबर, हिन्दी अखबार दैनिक जागरण, नामी वेबसाइट स्कूप हूप समेत सब टीवी, अमर उजाला, डीएनए, यूएनआई, समाचार प्लस, 9एक्स, पंजाब केसरी, rediff.com भी शामिल हैं। स्टिंग में ये मीडिया मालिकान—प्रबंधक पैसे के बदले किसी भी तरह यानी दंगे फैलाने वाली खबरें चलवाने को तैयार नजर आए।

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कोबरा पोस्ट के मुताबिक इस स्टिंग आॅपरेशन का नाम 'ऑपरेशन 136' इसलिए रखा, क्योंकि कुछ समय पहले आई वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत का स्थान 136वां है।

नेताओं के अंगने की नचनिया बन गया है मीडिया

स्वराज अभियान के प्रमुख नेता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोबरा पोस्ट के 'आॅपरेशन 136' पर ट्वीट किया है, कोबरा पोस्ट द्वारा प्रेस क्लब में मुख्यधारा के कई मीडिया हाउसों का पर्दाफाश किया जा रहा है, उसने 'आॅपरेशन 136' के नाम से खौफनाक स्टिंग आॅपरेशन किया है, जिसमें मीडिया की पोल खुलकर रह गई। प्रमुख मीडिया संगठनों के मालिकों और प्रबंधकों ने पैसे के बदले सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और अपमानजनक प्रचार वाली खबरों को खुशी—खुशी खासतौर पर कवरेज दिया और सांप्रदायिकता फैलाने के लिए मीडिया मालिकों—प्रबंधकों को पैसे का भुगतान किया हिंदुत्व एजेंटों ने।

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