पुलवामा में 46 जवानों के शहीद होने के बाद देश में दुःख और आक्रोश है, वहीं पीएम मोदी लगातार शूटिंग, रैलियों और शिलान्यासों में व्यस्त हैं
सुशील मानव
अक्सर ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश के लिए 24 घंटे में 18 से 20 घंटे कड़ी मेहनत करने का रोना रोते सुना जाता है। सभी को यह जान लेना चाहिए कि पिछले वृहस्पतिवार यानी 14 फरवरी को जब पुलवामा में हमारे देश के 46 जवानों के शहीद होने होने की खबर आ रही थी, ठीक उसी समय हमारे प्रधानमंत्री जी क्या कर रहे थे?
दरअसल वह "डिस्कवरी चैनल" की एक शूटिंग में "अभिनय" कर रहे थे। जिम कार्बेट पार्क में हो रही इस शूटिंग के बाद मोदी जी को रुद्रपुर, उत्तराखंड जाकर एक रैली को संबोधित करना था, मगर मौसम खराब हो गया और वह पुलवामा की घटना के बाद भी इस रैली को मोबाईल से संबोधित करते रहे।
स्थानीय मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उस दिन पीएम मोदी शूटिंग के लिए कॉर्बेट नेशनल पार्क में लगभग 4 घंटे तक पार्क में रुकने के बाद वहीं से मोबाइल पर रुद्रपुर की जनता को भी संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पार्क में जंगल सफारी का आनंद भी लिया था। बता दें कि उनके संबोधन से दो घंटे पहले ही पुलवामा की वो घटना घट चुकी थी।
यह होता है "कामदार" का काम
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिस्कवरी के इस कार्यक्रम के एक एपिसोड में 20 मिनट तक दिखाई देंगे। दरअसल, पीएम 14 फरवरी को सुबह लगभग 7 बजे देहरादून पहुंचे थे। इसके बाद बारिश होने की वजह से वो काफी देर तक जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर ही रुके रहे। जैसे ही बारिश रुकी पीएम सेना के MI-17 हेलीकॉप्टर से कॉर्बेट नेशनल पार्क पहुंचे। पार्क में उन्हें एक कार्यक्रम में हिस्सा लेना था जो सेव टाइगर और दूसरे टॉपिक पर आधारित था। ताज्जुब की बात यह है मेनस्ट्रीम मीडिया की कई वेबसाइटों से मोदी जी के इस शूट की खबरों को हटा दिया गया है।
बताया जा रहा है कि रामगंगा नदी के रास्ते बोट पर सवार होकर कालागढ़ डैम ढिकाला गए थे। बोट की गई मोदी जी की इस यात्रा को डिस्कवरी ने फिल्माया है। प्रधानमंत्री ने नदी में मौजूद घड़ियालों को निहारते हुए शूटिंग करवाई। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने खिनानौली वन विश्राग भवन से ही रुद्रपुर की रैली को संबोधित किया था।
पुलवामा हमले के दिन प्रधानमंत्री के 'डिस्कवरी चैनल' की फिल्म की शूटिंग की पुष्टि करते हुए रामनगर के वरिष्ठ पत्रकार सलीम मलिक कहते हैं, 'वृहस्पतिवार 14 फरवरी को ढिकाला पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री को ओल्ड एफआरएच में लंच कराया गया। मौसम का मिज़ाज़ लगातार बिगड़ता देख बाद में प्रधानमंत्री को पार्क प्रशासन ने खिनानौली विश्राम गृह में ठहराया, जहां पर चारों ओर से एसपीजी ने सुरक्षा घेरा बनाकर किसी को वहां फटकने नहीं दिया। खिनानौली विश्रामगृह से ही मोदी ने मोबाइल से रुद्रपुर की रैली को संबोधित किया। उसी दिन शाम को पौड़ी जिला प्रशासन व नैनीताल के जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन व एसएसपी सुनील कुमार मीणा की मौजूदगी में प्रधानमंत्री का काफिला रामनगर के लिये रवाना हुआ। वहां रामनगर के लोनिवि विश्रामगृह में कुछ देर विश्राम के बाद जिला प्रशासन द्वारा मुहैया कराई गई दूसरी सफेद कलर की सफारी गाड़ी से प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से वाया हल्द्वानी बरेली के लिये रवाना हुए थे। प्रशासन से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर हम पत्रकारों को जानकारी दी थी कि प्रधानमंत्री मोदी वाया हल्द्वानी बरेली पहुुंचकर त्रिशूल हवाई अडडे से सेना के हवाई जहाज से रात को ही नई दिल्ली पहुंचेगे।'
पुलवामा में 46 जवानों के शहीद होने के बाद देश में दुःख और आक्रोश है, वहीं पीएम लगातार रैलियों और शिलान्यासों में मस्त हैं। 15 फरवरी को उन्होंने जहां सुबह दिल्ली में वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाने को ज्यादा ज़रूरी समझा, वहीं दोपहर बाद वो झांसी के भोपाल कृषिमंडी मैदान में डिफेंस कॉरीडोर और पाइप पेयजल का शिलान्यास करने पहुंचे।
अगले दिन यानी 16 फरवरी को पुलवामा की आतंकवादी घटना पर आपातकालीन सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के बजाय महाराष्ट्र के यवतलाम में आधारशिल रखने को तरजीह दी। उनका राष्ट्रप्रेम कुछ इसी तरह का है। राष्ट्रवादी सरकार ने पुलवामा में शहीद सैनिकों के सम्मान में राष्ट्रीय शोक क्या सिर्फ इसलिए नहीं किया गया कि ऐसा करने पर पीएम मोदी और अन्य भाजपा नेताओं की तयशुदा रैलियां रद्द करनी पड़ती?
यूपीए शासनकाल में आतंकवादी घटनाओं पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री और उनकी नीतियों को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार बताने वाले नरेंद्र मोदी पुलवामा के लिए खुद की जवाबदेही क्यों नहीं तय करते। उरी और पठानकोट में सख्त कदम उठाने के बाद पुलवामा क्योंकर हुआ।
उत्तर प्रदेश में कांवड़ियों पर फूल बरसाने के लिए हेलीकॉप्टर मुहैया करवाने वाली सरकार ने जम्मू कश्मीर से सीआरपीएफ जवानों को वहां से एयरलिफ्ट करवाने के एरोप्लेन क्यों नहीं मुहैया करवाया। जैसा कि जम्मू सेक्टर के सीआरपीएफ आईजी अजयवीर सिंह चौहान ने कहा है- “हमने एयरफोर्स से मांग की थी फंसे जवानों को जम्मू से एयरलिफ्ट किया जाए।'
अधिकारियों का कहना है कि हमने जवानों को एयरलिफ्ट करने की एक हफ्ते तक विशेष विमान की मांग को शीर्ष स्तर पर नज़रअंदाज़ किया गया। उसके बाद ही हमने रोड के रास्ते जवानों को ले जाने का फैसला किया।
पुलवामा हमले के कुछ अनुत्तरित प्रश्न
हमला होने वाला है, ऐसी जानकारी थी फिर भी सुरक्षा में चूक कैसे हुई? सीआरपीएफ जवानों को रोड मार्ग से क्यों ले जाया गया? सीआरपीएफ ने मांग की थी कि बाय एयर भेजा जाय। इतना सारा आरडीएक्स कैसे और कहां से आया? वहां कार कैसे पहुंची? कोई चेकिंग क्यों नहीं हुई? हमले के तुरंत बाद हमला करने वाले युवक का वीडियो कैसे बाहर आ गया? क्या यह वीडियो पहले से ही सरकार के पास था?
हमले के तुरंत बाद भाजपा आईटी सेल का वाट्सएप मैसेज कैसे वायरल हो गया? जिसमें अपील की है कि "सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भाजपा को वोट दीजिये" क्या यह वीडियो पहले से बना लिया था? जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जानकारी लेने बात कब कहां और किससे कही? ये न्यूज किसने दिखाई?
देखें वीडियो :