'शव' राज में तब्दील होती शिवराज सरकार, प्रदेश में हर रोज मर रहे 61 बच्चे
मात्र 4 महीने में 7,332 बच्चों की मौत, वजह जानकर दहल जाएगा आपका दिल भी...
भोपाल, जनज्वार। सरकार दावा करते नहीं अघाती कि कुपोषण की मार से देश दिनोंदिन मुक्त होते जा रहा है, कि मोदी जी की अगुवाई में देश नए—नए प्रतिमान गढ़ रहा है, कि भाजपा राज में बच्चों के स्वास्थ्य पर अत्यधिक ध्यान दिया जा रहा है, मगर हकीकत इतनी भयावह है कि रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मध्य प्रदेश में हर रोज 0 से 5 साल की उम्र के 61 बच्चे काल के गाल में समा रहे हैं, वजह जानकर आपका दिल न दहल जाए तो कहना।
यह उस राज्य की हकीकत है जहां लंबे समय से भाजपा का राज है। जी हां, हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश में सत्तासीन शिवराज सरकार की। यहां हर दिन 0 से 5 साल की उम्र के 61 बच्चे कुपोषण के चलते मौत के मुंह में समा रहे हैं। यह जानकारी खुद राज्य की महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस ने विधानसभा में उनसे पूछे गए एक सवाल के जवाब में दी।
मध्य प्रदेश में हर दिन 0 से 5 साल की उम्र के 61 बच्चों की मौत भूख से हो रही है। हर वर्ष केवल 1 साल तक की ही उम्र के तकरीबन 6,024 बच्चे भूख से मरते हैं। वहीं एक से पांच वर्ष आयु के 1,308 बच्चों की मौत भूख से होने का आंकड़ा सामने आया है। मात्र 4 महीने में 7,332 बच्चों की मौत का भयावह सच सामने आया है।
विधानसभा में कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने मध्य प्रदेश सरकार से सवाल किया था कि राज्य में प्रतिदिन भूख से प्रतिदिन 5 साल तक के कितने बच्चों की मौत होती है? फरवरी 2018 से मई तक 120 दिनों में कुल कितने बच्चे कम वजन के पाए गए और उनमें से कितने की मौत हुई।
इसके जवाब में अर्चना चिटनीस ने जानकारी दी कि इस दौरान कम वजन के 1,183,985 बच्चे पाए गए, और अति कम वजन के 103,083 बच्चों का आंकड़ा सामने आया। बड़ी तादाद में बच्चों की मौत का कारण उन्होंने अनेक बीमारियां गिनाईं।
कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने मीडिया से यह भयावह सच्चाई साझा करते हुए कहा कि "मध्य प्रदेश सरकार कुपोषण दूर करने के तमाम दावे करती आई है, मगर बच्चों को नहीं बचाया जा सका है, जो कि बहुत दुखद है. बीते 120 दिनों में 7,332 बच्चों की मौत से साफ होता है कि हर रोज राज्य में 61 बच्चे कुपोषण से मर रहे हैं।"
महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 14 सितंबर, 2016 को समीक्षा बैठक में श्वेत-पत्र जारी करने के निर्देश दिए थे, समिति का गठन भी कर दिया गया, मगर समीक्षा के बिंदुओं का निर्धारण आज तक नहीं हो पाया है और न ही श्वेत-पत्र के लिए समिति की बैठक ही हो पाई है।