उत्तराखण्ड सरकार से करोड़ों की सब्सिडी लेकर डेल्टा कंपनी मालिक भागने की तैयारी में

Update: 2018-10-04 05:48 GMT

आरटीआई में हुआ खुलासा 4 हजार श्रमिकों के वेतन, बोनस, पी.एफ, ई.एस.आई आदि का पैसा मार कारखानों में तालाबंदी की हो रही तैयारी

मुनीष कुमार की खास रिपोर्ट

जनज्वार, रामनगर। उत्तराखंड का मशहूर उद्योगपति कपिल गुप्ता सरकार की 1.60 करोड रुपए से भी अधिक की सब्सिडी डकारकर तथा 4 हजार श्रमिकों के वेतन, बोनस, पी.एफ, ई.एस.आई आदि का पैसा मारकर कारखानों में ताला लगाकर दूसरी जगह भागने की तैयारी कर रहा है।

समाजवादी लोक मंच के किसन शर्मा द्वारा मांगी गयी सूचना के जबाब में जिला उद्योग केन्द्र ने बताया कि रामनगर पीपलसाना स्थित कारखाना स्मार्टलाईट को वर्ष 2009 में व काम्पैक्ट लैम्प्स को वर्ष 2010 में सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में 30-30 लाख रुपए लिए गये हैं।

इतना ही नहीं, कपिल गुप्ता की कनिक इलैक्ट्राॅनिक्स कालाढूंगी को वर्ष 2013 में 1 करोड़ रुपए से भी अधिक की विद्युत सब्सिडी दी गयी है। जमीन खरीदने व आयकर में छूट दिये जाने सम्बन्धित दस्तावेज जिला उद्योग केन्द्र में मौजूद नहीं थे। देखें दस्तावेज 1

 

किसन शर्मा द्वारा श्रम विभाग में लगाई गयी सूचना के जबाब में प्राप्त जानकारी के अनुसार श्रम विभाग के आला अधिकारियों द्वारा श्रमिकों की शिकायत पर विगत 2 अगस्त को डेल्टा व काम्पैक्ट लैम्पस में की गयी जांच में पाया गया कि बीते वर्ष उक्त दोनों कारखानों का सकल लाभ क्रमशः 1.69 करोड़ व 4.83 करोड़ रु. (कुल मिलाकर 6.52 करोड़ रुपए) था। देखें दस्तावेज 2 और 3

उक्त में अभी अन्य दो कारखानों का लाभ शामिल नहीं है। इतने बड़े लाभ के बावजूद कपिल गुप्ता आर्थिक कमजोरी का बहाना बनाकर कारखाने बंद कर रहा है तथा कच्चा माल व मशीनें आदि दूसरे राज्यों में शिफ्ट करने की कोशिश कर रहा है, जो किसी आपराधिक कृत्य से कम नहीं है।

दस्तावेज 2

जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कपिल गुप्ता को बोनस भुगतान अधिनियम 1965, आनुतोषित भुगतान अधिनियम, न्यूनतम वेतन अधिनियम, औद्योगिक वियोजन (स्थाई आदेश) अधिनियम व सपठित नियमावली आदि के उल्लंघन का दोषी पाते हुए 3 दिन के भीतर जबाब देने के निर्देश दिये थे। जांच दल ने समक्ष प्रबन्धन द्वारा श्रमिकों को कम वेतन दिये जाने व उनकेे पीएफ व ई.एस.आई, बोनस आदि से सम्बंधित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गये।

प्राप्त सूचना के अनुसार उक्त दानों कारखानों को अधिकतम 1 हजार श्रमिक रखने का ही लायसेंस प्राप्त है। परन्तु मालिक द्वारा गैरकानूनी तरीके से बहुत ज्यादा श्रमिकों से काम लिया जा रहा था। कारखाना प्रबन्धन डेल्टा से 654 श्रमिकों व काम्पैक्ट लैम्पस से 811 श्रमिको के काम छोड़कर जाने सम्बंधी दस्तावेज जांच दल के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर सका तथा प्रबन्धन द्वारा जुलाई व अगस्त माह का फार्म 12 भी जांच दल को उपलब्ध नहीं कराया गया। प्रबन्धन का यह कृत्य श्रमिकों की संख्या एवं नामों में की गयी बड़ी धाधली की ओर ईशारा करती है।

दस्तावेज 3

कारखाना प्रबन्धन द्वारा कारखाने में काम बंद करने के पीछे विगत 29 जुलाई को विद्युत संयोजन में आग लग जाने को कारण बताया गया, परन्तु प्रबन्धन द्वारा इसके सम्बन्ध में साक्ष्य प्रस्तुत न कर पाने पर जांच दल द्वारा आग लगने से सम्बन्धित मामला झूठा पाया गया है।

कारखाने के 4 हजार श्रमिकों का भविष्य अधर में है, जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं। श्रम विभाग, पुलिस तथा प्रशासन मालिक के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की जगह भीगी बिल्ली बना हुआ है।

सीएफएल व एलईडी बल्ब बनाने वाले कारखाने डेल्टा व काम्पैक्ट लाईट के मालिक कपिल गुप्ता ने उत्तराखंड शासन के श्रम सचिव को कारखाना बंद करने की अनुमति के लिए औद्यौगिक विवाद अधिनियम के तहत विगत 16 सितम्बर को पत्र भेजा है।

उक्त अधिनियम की धारा 25 ढ (4) में कहा गया है कि कारखाना मालिक द्वारा कारखाना बंदी के आवेदन के 60 दिनों तक यदि सरकार इस पर इंकार करने से सम्बंधित आदेश जारी नहीं करती है तो ऐसी दशा में मालिक को कारखाना बंद करने की अनुमति दी हुयी मानी जाएगी।

बताया जा रहा है कि कपिल गुप्ता की उत्तराखंड सरकार में तगड़ी पहुंच है। उसके मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह से भी खास सम्बन्ध है। इस कारण सरकार कारखाना बंद करने की अनुमति मालिक को नहीं देगी और चुप लगाएगी। ऐसी स्थिति में दो माह बाद मालिक स्वतः कारखाना बंद करने का हकदार हो जाएगा।

इस अधिनियम धारा 25 ढ (6) में कहा गया है कि यदि सरकार कारखाना बंद करने की अनुमति देने से इंकार करती है तो मालिक कारखाना बंद नहीं कर सकता। ऐसे में मालिक एक वर्ष बाद पुनः कारखाना बंद करने के लिए आवेदन कर सकता है।

उक्त कानून की धारा 7 में जो कहा गया है वह सबसे महत्वपूर्ण है कि सरकार यदि मालिक को कारखाना बंदी की अनुज्ञा देने से इंकार करती है तो श्रमिकों की कामबंदी को अवैध माना जाऐगा और ऐसी दशा में श्रमिक उन सभी फायदों के हकदार होंगे जो काम करने के दौरान उन्हें दिये जाते थे।

वर्ष 2003 में कपिल गुप्ता ने रामनगर क्षेत्र में डेल्टा इलैक्ट्राॅनिक्स नाम से सीएफएल बनाने का छोटा सा कारखना प्रारम्भ किया था। देखते ही देखते कपिल गुप्ता ने सरकारी सब्सिडी, छूट का फायदा उठाते हुए व श्रमिकों के तीव्र शोषण के दम पर एक के बाद उत्तराखंड में ही एक के बाद एक करके 5 कारखाने स्थापित कर लिए।

कपिल गुप्ता के ये कारखाने देश के स्थापित कानूनों के अनुसार नहीं, बल्कि उसके अपने निजी मर्जी व श्रम विभाग की सांठ-गांठ के दम पर चल रहे थे। आवाज उठाने वाले श्रमिकों को धमकाने के लिए गुंडे-बाउंसर पाले हुए थे। कुछ राजनीतिक दलों के नेता व छात्र नेता मालिक कपिल गुप्ता से हफ्ता व महीना पाते थे। चन्दा भी कपिल गुप्ता राजनैतिक दलों को भरपूर देता था। जिस कारण कारखाना श्रमिकों के शोषण की दास्तां कभी भी कारखाने से बाहर नहीं आ पाती थी।

कपिल गुप्ता सुल्तानपुर पट्टी में पहले ही एक कारखाना गैरकानूनी तरीके से बंद कर चुका है। पिछले 31 जुलाई को कपिल गुप्ता ने कालाढुंगी के समीप स्थित कनिक इलैक्ट्रानिक्स व पीपलसाना रामनगर में स्थित अपने 3 कारखाने डेल्टा, स्मार्टलाईट व काम्पैक्ट लैम्पस भी अचानक गैरकानूनी तरीके से बंद कर दिये।

श्रमिकों का आरोप है कि मालिक ने उनके 45 दिन के ले-आफ का भी अभी तक पूरा भुगतान नहीं किया है। इंकलाबी मजदूर केन्द्र के नेतृत्व में श्रमिकों का संघर्ष जारी है। मालिक व प्रबन्धन श्रमिकों को वार्ताओं में फंसाकर धीरे-धीरे अपना उल्लू सीधा कर रहा है।

कारखानों की बंदी को लेकर मालिक व श्रमिक वर्ग दोनों को ही राज्य सरकार के फैसले का इंतजार है।

(मुनीष कुमार समाजवादी लोक मंच के सह संयोजक हैं।)

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