दलित युवक को प्रेम करने की मिली सजा, आंखें निकाली फिर लिंग काटा

Update: 2017-06-03 03:00 GMT

नृशंस हत्या के मामले में पुलिस ने दर्ज किया आत्महत्या का केस, कल गांव में बहुजन सेना और बहुजन स्टूडेंट फेडरेशन का होगा प्रचंड प्रदर्शन

जनज्वार। आप तस्वीर देख कर विचलित हो सकते हैं पर जनज्वार का मानना है कि आपको नृशंसता के इस वारदात की तस्वीर देखनी चाहिए, क्योंकि मारे गए उस 25 वर्षीय दलित युवक की भावनाएं कम कोमल नहीं रही होंगी, जिसकी मोहब्बत के बदले आंखें निकाल ली गयीं हैं, लिंग काट लिया गया।

एक पिछड़ी जाति की लड़की से प्रेम करने वाले युवक की नृशंस हत्या कर उसका लिंग और दोनों आँखें निकाल लिए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। उससे भी सनसनीखेज यह है कि पुलिस ने इस मामले में आत्महत्या का मुकदमा दर्ज कर अपना काम पूरा कर लिया है।

घटना तेलंगाना के करीमनगर जिले के मंथानी गांव की है। 30 मार्च को नृशंसतापूर्वक मारा गया 25 वर्षीय मधुकर दलित जाति से है। बहुजन सेना के प्रोफेसर कादिर कृष्णा बताते हैं, 'मधुकर गांव के ही पिछड़ी जाति के आदमी के यहां ट्रैक्टर चलाने का काम करता था। काम करने के दौरान ट्रैक्टर मालिक की बेटी से उसे प्यार हो गया। घर वालों को यह बात पता चली तो उन्होंने उसे न सिर्फ जान से मार दिया, बल्कि दोनों आंखें निकाल लीं और लिंग काट दिया।'

गौरतलब है कि लड़की ने मधुकर से शादी करने के लिए घर वालों पर दबाव डाला और नहीं मानने पर जहर खा लिया। लेकिन लड़की की जान बच गयी. बाद में लड़की को जब पता चला कि उसके घरवालों ने मधुकर के साथ कुछ बुरा किया है तो उसने अपने प्रेमी मधुकर के घरवालों को फोन किया। घरवालों को मधुकर की लाश क्षत—विक्षत हालत में मिली।

कल सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों के साथ मंथानी गांव जा रहे कादिर बताते हैं, 'लड़की पिछड़ी जाति के 'मुनरू कापोस' उपजाति से है जिनकी टाइटिल 'डोरा' है। टीआरएस पार्टी के स्थानीय एमएलए पुट्टा मधु भी लड़की की ही जाति से हैं और उनका लड़की के परिवार से गहरा ताल्लुक है।'

प्रोफेसर कादिर के अनुसार, 'मुनरू कापू जाति वाले अपने को रेड्डी सवर्णों के बहुत करीब पाते हैं और दलितों से वह वैसे ही नफरत करते हैं, जैसे दूसरी ताकवर जातियां। उसी नफरत का नतीजा है उनकी लड़की से प्रेम करने वाले युवक की यह नृशंस हत्या है।'

दलित युवक की हत्या से व्यथित अर्चना सोंटी अपने फेसबुक पर तस्वीर शेयर करते हुए लिखती हैं, 'कहां गए पिछड़ी जातियों के वो ठेकेदार जो खुद को मजबूत बनाने के लिए बहुजन कहते हैं। वह टीवी पर बैठने वाले ब्राह्मण कहां हैं, क्यों चुप हैं जब एक दलित को प्यार के गुनाह में इस तरह से मारा गया।'

इसी तरह सतीश कुमार कहते हैं, 'यह फिर हुआ है एक जातिवादी समाज में। फिर एक बार एक दलित की हत्या की गयी है। पर अबकी हत्यारों की झुंड में सवर्ण जाति कम्मा और रेड्डी नहीं हैं। वेलमा भी नहीं है, बल्कि 'मुनरू कापू' पिछड़ी जाति के लोगों ने हत्या की है,जो धीरे—धीरे एक हत्यारे गैंग में तब्दील होते जा रहे हैं।

वीडियो में देखें मधुकर के भाई और मां क्या कह रहे हैं
 
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