Lakhimpur Kheri: जानिए कौन है अजय मिश्र 'टेनी' जिनके पुत्र ने रौंद डाला किसानों को और बाप ने दे डाली सुधारने की धमकी

Lakhimpur kheri violence : सासंद अजय मिश्र टेनी ने श्रेत्र में अपनी छवि एक दबंग नेता और बाहुबली व्यक्तित्व की रूप में स्थापित की है... साल 2000 में सासंद के ऊपर हत्या का एक केस भी दर्ज हुआ था...

Update: 2021-10-04 06:22 GMT

Lakhimpur Kheri, जनज्वार। रविवार को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी ने सफाई देते हुए कहा कि घटनास्थल पर उनका बेटा आशीष मिश्र मौजूद नहीं था। लेकिन खीरी में हिंसा के बाद केंद्रीय मंत्री के कुछ दिन पुराने वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें वे किसानों के खिलाफ भाषण दे रहे हैं। एक वीडियो में वे प्रदर्शन कर रहे किसानों को ठेंगा दिखा कर चिढाते भी नजर आ रहे हैं। भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र का 25 सितंबर को दिए गए भाषण का क्लिप वायरल हो रहा है जिसमें वे कह रहे हैं कि, "मैं सिर्फ सांसद विधायक नहीं हूं। मुझे जानने वालों को पता होगा कि मैं चुनौती से डरता नहीं हूं, जिस दिन चुनौती स्वीकर कर ली उस दिन ऐसे लोगों को पलिया नहीं, लखीमपुर छोड़ना पड़ जाएगा।" इस भाषण से साफ जाहिर है कि उनका इशारा प्रदर्शन कर रहे किसानों पर ही था। माना जा रहा है कि खूनी हिंसा के पीछे का कारण भाजपा सासंद द्वारा भड़काऊ बयानबाजी और किसान मोर्चा की इसको लेकर आक्रोश और नाराजगी रही।

आपको बता दें कि अजय मिश्र 'टेनी' लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद हैं। केंद्र में भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल आरंभ करने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार में यूपी के नए चेहरों में खीरी से सांसद अजय मिश्रा टेनी का नाम भी शामिल रहा। निघासान से दूसरी बार सांसद अजय मिश्रा टेनी ने मोदी सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के तौर पर शपथ लिया।

'पाक साफ' छवि के अजय मिश्र पर हत्या का केस दर्ज

माना जाता है कि सांसद अजय मिश्र को कैबिनेट में जगह देने की वजह उनकी साफ-सुथरी छवि और लंबे समय से संघ परिवार से जुड़ाव है। लेकिन राजनीति में कदम रखने से पहले सासंद अजय मिश्र टेनी की छवि श्रेत्र में एक दबंग और बाहुबली व्यक्तित्व की रुप हुआ करती थी। करीब दो दशक पहले अजय मिश्र पर तस्करी का आरोप लगा, लेकिन मामले को दबा दिया गया। उसके बाद साल 2003 में निघासान के 24 वर्षीय प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसमें अजय मिश्र को नामजद किया गया था। 18 वर्ष पहले हुए इस घटना के समय अजय मिश्र राजनीति में उतने सक्रिय नहीं थे। प्रभात गुप्ता के हत्या मामले की सुनवाई के दौरान नामजद आरोपी अजय मिश्र पर कोर्ट में भी फायरिंग हुई। हालांकि, इस घटना में वे मामूली रुप से घायल हुए। साल 2004 में स्थानीय अदालत ने अजय मिश्र को इस मामले से आरोपमुक्त कर दिया।

अजय मिश्र टेनी का निजी जीवन

लखीमपुर खीरी के निघासान स्थित बनबीरपुर में अजय मिश्र का जन्म 25 सितंबर 1960 को हुआ। उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की है। अजय कुमार मिश्र ने लॉ की डिग्री भी हासिल की है। उनके पिता का नाम अंबिका प्रसाद मिश्रा और माता का नाम प्रेमदुलारी मिश्रा है। अजय मिश्र टेनी के पत्नी का नाम पुष्पा मिश्रा है। दोनों के तीन संतान है, जिसमें दो बेटे और एक बेटी है। क्रिकेट, पावर लिफ्टिंग और कुश्ती में विशेष रुचि के कारण सासंद अजय मिश्र ने कई स्पोर्ट्स इवेंट्स में विश्वविद्यालय और जिला स्तर पर प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की है। सासंद अजय मिश्र का खेलों के प्रति लगाव को इससे भी आंका जा सकता हैं कि उन्होंने कुश्ती, क्रिकेट और पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिताओं का कई बार आयोजन भी कराया है।

विभिन्न व्यवसायों के स्वामी हैं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री

अजय मिश्र के बारे में बताया जाता है कि वे एक व्यवसाय कृषिविद उद्योगपति हैं। उनके पिता अंबिका प्रसाद मिश्र बनवीरपुर गांव के नामी जमींदार थे। वकालत में बैचलर की डिग्री प्राप्त सासंस अजय मिश्र के पास निघासान जिले में पेट्रोल पंप, राइस मिल और कृषि का व्यवसाय बड़े पैमाने पर किया जाता है। व्यवसायों से गुजरते हुए अजय कुमार मिश्र ने राजनीति में कदम रखा और अपने छोटे से राजनीतिक करियर में ही केंद्रीय मंत्री तक का मुकाम हासिल कर लिया।

राजनीति जीवन

छात्र जीवन से ही अजय मिश्र राजनीति में सक्रीय हो गए, यही वजह है कि कॉलेज पॉलिटिक्स में उन्होंनें सीधे तौर पर भागीदारी की। मेनस्ट्रीम राजनीति की बात करें तो 12 सालों के छोटे राजनीतिक अंतराल में ही अजय मिश्र ने जिला पंचायत सदस्य से लेकर केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय किया। साल 2005 में उन्होंने खीरी जिला से पंचायत सदस्य पद का चुनाव जीता। फिर वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में निघासान सीट से विधायक चुने गए। इसके बाद 2014 में अजय मिश्रा 16वीं लोकसभा के लिए खीरी से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुने गए। उन्होंने 2,88,304 वोट जीतकर कांग्रेस के अरविंद गिरि को मात दी थी। 2014 में ही वे कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय समिति के सदस्य भी बने।


2019 के 17वीं लोकसभा चुनाव में भी अजय मिश्र ने भारी वोटों के अंतर से दूसरी बार जीत हासिल की। खीरी सीट से बीजेपी प्रत्याशी अजय मिश्रा टेनी ने 2,16,769 मतों के भारी अंतर से गठबंधन से सपा प्रत्याशी डॉ. पूर्वी वर्मा को शिकस्त दी। 2014 में वे ग्रामीण विकास पर स्थायी समिति के सदस्य बने। अजय मिश्र को कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत परामर्श समिति के सदस्य नियुक्त किया गया था। वर्तमान में सांसद अजय मिश्र लोक लेखा समिति के सदस्य हैं।

मुख्य संसद रत्न अवार्ड से सम्मानित सांसद अजय मिश्र

मौजूदा 17वीं लोकसभा के लिए खीरी सांसद अजय मिश्रा टेनी को मुख्य संसद रत्न अवार्ड के लिए नामित किया गया। यह सम्मान उन्हें सदन में सर्वाधिक मौजूदगी, अच्छे आचरण और सक्रियता के चलते दिया गया। इस तरह का सम्मान पाने वाले अजय मिश्र यूपी के पहले सांसद हैं। दरअसल, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पहल पर 2010 में मुख्य रत्न अवार्ड को शुरू किया गया था। इसके लिए सांसदों का चयन सदन में उनकी उपस्थिति, आचरण, कार्य व्यवहार और कार्य क्षमता के आधार पर निर्धारित कमेटी करती है।

ब्राह्मण चेहरा के रूप जाने जाते हैं अजय मिश्र

अजय मिश्र टेनी को जब मोदी के कैबिनेट में शामिल किया गया तो राजनीति विशेषज्ञों का मानना था कि भाजपा के खिलाफ यूपी में ब्राह्मणों का शांत करने के लिए यह फैसला लिया गया है। अजय मिश्र को जाति के राजनीति में एक प्रमुख ब्राह्मण चेहरा माना जाता है। लखीमपुर खीरी के शाहजहांपुर, पीलीभीत, सीतापुर, बहराइच जैसे इलाकों में ब्राह्मण वोटरों की अच्छी तादाद है। अजय मिश्र टेनी को जिले में 'महाराज' के नाम से भी जाना जाता है।

लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट से कभी केंद्रीय मंत्री रहे बाल गोविंद वर्मा और उनके परिवार की तीन पीढ़ियां लगातार संसद बनती रही हैं। लेकिन लोक सभा 2019 के चुनाव में लखीमपुर सीट से अजय मिश्रा ने इस पीढ़ी को हराकर ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जीत दर्ज की। अजय मिश्र ने लखीमपुर खीरी सीट पर भारी वोटों के अंतर से ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जीत भी दर्ज की। यही वजह है कि अवध में एक ब्राह्मण चेहरे को तरजीह देने के लिए अजय मिश्रा का नाम चुना गया। हालांकि माना जाता है कि लखीमपुर सीट पर कुर्मी जाति की संख्या भी ठीक ठाक है।

विधायक बनने से पहले किया वकालत

वकालत में डिग्री प्राप्त केंद्रीय मंत्री ने 2012 में विधायक बनने से पहले अजय मिश्र टेनी वकालत किया करते थे। हालांकि, इन्होंने लंबे वक्त तक वकालत नहीं की और राजनीति की ओर ध्यान केंद्रित कर लिया। सासंद अजय मिश्र टेनी ने इलाके में दबंग और बाहुबली नेता के रुप में छवि के पीछे कारण उनमें पहलवानी को लेकर जुनून को बताया जाता है। करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने कुश्ती प्रतियोगतायों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। रविवार को हुए हिंसा के दिन भी इनके गांव बनबीरपुर में एक दंगल प्रतियोगिता का ही आयोजन था, जिसमें लखीमपुर दौरे पर आए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था।

पिता के नक्शे कदम पर चलते हैं बेटे आशीष मिश्र

खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के एक बेटे आशीष मिश्रा का नाम भी उभर कर सामने आ रहा है। हालांकि, उनके बेटे आशीष मिश्र ने मीडिया को बताया कि वे घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। उस हिंसा में उनके ड्राइवर की मौत हो गई। आपको बता दें कि अपने पिता की तरह ही आशीष मिश्र भी राजनीति में खासे सक्रिय हैं और बीजेपी पार्टी के नेता हैं। पिता के नक्शे कदम पर चलते बेटे की छवि भी क्षेत्र में दंबग नेता की रही है। आशीष मिश्र को लोग 'मोनू' के नाम से भी जानते हैं।

अजय मिश्र के साथ बेटे आशीष मिश्र

आशीष मिश्र उर्फ मोनू ने अपनी इंटर की पढ़ाई लखीमपुर खीरी के डीएस इंटर कॉलेज से की है। आशीष मिश्रा ने अपनी विश्वविद्यालय की डिग्री मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से प्राप्त की है। खीरी के निघासन विधानसभा क्षेत्र के राजनीति में आशीष मिश्र काफी सक्रिय रहते हैं और अक्सर क्षेत्र में होने वाले कार्यक्रमों में बतौर अतिथि भी शामिल होते रहते हैं। आशीष मिश्र अपने पिता के साथ अक्सर खीरी में बीजेपी के कार्यक्रमों में नजर आते हैं। लखीमपुर में केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्र के काफिले में शामिल उनके बेटे आशीष मिश्र उर्फ 'मोनू' पर किसानों पर कार चढ़ाने का आरोप है। हिंसा में अबतक करीब 8 लोगों के मरने की सूचना है।

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