UP Election 2022 Results : "जिस पार्टी के लिए अपनी जवानी दी उस पार्टी का ये हश्र देखकर कलेजा छलनी हो रहा"
UP Election 2022 results : विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बयां किया अपना दर्द, बोले जल्द से जल्द हो सुधार पर बात
UP Election 2022 results : गुरुवार को आए विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अब देश के सिर्फ दो राज्यों में सिमट कर रह गयी है। अब कांग्रेस (Congress) की सरकारें केवल राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही बचीं हैं। पंजाब तो कांग्रेस के हाथों से फिसल ही गया गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में भी कांग्रेस की सरकार बनाने की तमन्ना पूरी नहीं हो सकी। इन राज्यों में भाजपा (BJP) ने एक बार फिर अपनी सरकार बचा ली हैं।
कांग्रेस के लिए निराशाजनक इन चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने ही देश की सबसे पुरानी पार्टी की कार्यप्रणाली सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) देश के प्रधानमंत्री बने थे उस समय देश में नौ राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी। पर जैसे-जैसे समय बीता कांग्रेस और कमजोर ही होती गयी।
अब से कुछ समय पूर्व ही एक मजबूत जनाधार वाली कांग्रेस पार्टी 2022 में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद अब अपने सबसे अधिक निराशाजनक दौर में जाती दिख रही है। साल 2014 से अब तक हुए 45 लोकसभा और विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में सिर्फ पांच बार जीत दर्ज कर पायी है। ऐसे में लंबे समय से पार्टी से जुड़े नेताओं के बीच भी निराशा बढ़ती जा रही है।
पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद कांग्रेस के कुछ युवा नेताओं ने कहा है कि अब समय आ गया है कि रिटायरमेंट की उम्र में पहुंच चुके नेताओं को अब नए लोगों के लिए रास्ता तैयार करना चाहिए। नहीं तो आने वाला समय और कठिन हो सकता है। कांग्रेस के कई पुराने दिग्ग्जों ने यहां तक निशाना साधा कि बार-बार पार्टी में कार्यप्रणाली से जुड़े मुदृदों को उठाने के बावजूद परिवर्तन की कोई पहल नहीं की गयी अब ये नतीजे सबके सामने हैं।
कांग्रेस के दिग्गज और लंबे समय तक संसद में अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) में चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद कहा है कि इन परिणाों के बाद मैं चकित हूं। अपनी पार्टी की ऐसी हार देखकर मेरा कलेजा छलनी हो रहा है। जिस पार्टी को हमने अपनी पूरी जवानी दी है उस पार्टी का यह हाल असहनीय है। पर, मैं आश्वस्त हूं कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पार्टी की कमजोरियों और परेशानियों को पहचना कर उसे दूर करने की दिशा में ठोस कदम जल्द से जल्द उठाएगा। इन दिक्कतों और परेशानियों को मैं और मेरे कुछ साथियों ने कई बार पार्टी नेतृत्व के आगे रखा है। हम आगे भी सभी परेशानियों से कांग्रेस पार्टी को बाहर निकालने के लिए पार्टी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे। पर इस दिशा में जल्द से जल्द पहल की जानी चाहिए।
वहीं पार्टी नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा कि विधानसभा चुनाव के इन परिणामों के बाद हम दुखी हैं। पार्टी नेतृत्व को अब नए सिरे से परिभाषित करने की जरुरत है। कांग्रेस पार्टी (Congress) जिस भारत के जिस संदेश के लिए जानी जाती है उसे पुर्नजीवित करने की जरुरत है। कुछ मिलाकर बात यह है कि अगर पार्टी को फिर से स्वर्णिम युग में ले जाना है तो हमें कई सकारात्मक कदम बिना समय गंवाए उठाने होंगे।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के जी-23 ग्रुप के कुछ वरिष्ठ नेता पार्टी की इन समस्याओं के समाधान के लिए वरीष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर बैठक भी करने वाले है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में कांग्रेस पार्टी में सुधार के लिए आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा। पार्टी से जुड़े कुछ सूत्रों का मानना है कि अभी सबसे पहला लक्ष्य यह है कि पार्टी में किसी भी कीमत पर बिखराव की स्थिति नहीं दिखनी चाहिए। जो भी समस्याएं हैं उन्हें बातचीत से जल्द से जल्द सुलझा लिया जाना चाहिए।
पार्टी के एक युवा ने कहा है कि हम बार—बार यह बहाना नहीं बना सकते कि भाजपा ने हिन्दू मुस्लिम कार्ड खेलकर या धर्म, मंदिर और संप्रदाय के नाम पर वोटरों को बहका कर चुनाव जीत ली। पंजाब में मुस्लिम नहीं थे। गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में भी यह फैक्टर नहीं था फिर हम क्यों हारे इस पर जल्द से जल्द विचार करने की जरूरत है। हमें जमीनी सच्चाई को स्वीकार करना पड़ेगा। पार्टी को एक सही ढांचे में लाया जाना अब समय की मांग है।
पार्टी के एक नेता का कहना है कि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अकेले ही यूपी में 209 रैलियां और रोड शो किए. वो और राहुल हाथरस गए, लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या मामला जोर—शोर से उठाया पर जनता पर इसका कुछ असर नहीं हुआ। जातिगत और धार्मिक ध्रुवीकरण कांग्रेस पहचान नहीं है ऐसे में पार्टी ने महिला केंद्रित अभियान चलाया गया. लेकिन, उसका भी कुछ फायदा नहीं हुआ। समस्या यह है कि पार्टी और हमारे नेता जनता का विश्वास खो चुके हैं जिससे हमारी बात आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चौहान ने कहा, ''हमने इस हार की उम्मीद नहीं की थी. ये बहुत निराशाजनक और दुखी करने वाला है. सब कुछ ग़लत हुआ है. गंभीरता से चुनाव लड़ने का इरादा ही नहीं था. हमें नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तरह पूरी ताकत से लड़ना चाहिए था. बदले हुए नेतृत्व को लेकर पार्टी में उलझन थी।
कई नेताओं ने इस पर भी सवाल उठाए कि पंजाब में जिस तरह से मुख्यमंत्री को हटाया गया और नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी का ही विरोध किया, उसमें नेतृत्व ने कोई दखल नहीं दिया.यह निराशाजनक था। जनता के बीच इस बात का गलत संदेश गया और इसका फायदा आम आदमी पार्टी ने उठा लिया।
वहीं उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं, प्रियंका गांधी का 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को टिकट दिए जाने की घोषणा एक पब्लिसिटी स्टंट से बढ़कर कुछ नहीं था. इसका न ही कोई राजनीतिक आधार था और न ही सामाजिक. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ पत्रकार अमिता वर्मा के अनुसार प्रियंका गांधी की लीडरशिप पर भी सवाल उठता है। उन्होंने अपना ध्यान चुनाव प्रचार पर केंद्रित रखा, लेकिन कांग्रेस में चल रही अंदरूनी लड़ाई पर उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया। उनका कैंपेन राजनीतिक से ज़्यादा सामाजिक लगा।
वहीं पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद पार्टी की ओर से एक बार फिर वहीं पुराना घिसा—पिटा बयान जारी कर दिया गया है और कहा गया— पार्टी को उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में बेहतर नतीजों की उम्मीद थी. पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले मूल मुद्दों की जगह भावनात्मक मुद्दों ने ले ली है. उन्होंने कांग्रेस के अपने साथियों से भी कहा- जिस डाल पर हमें बैठे हैं अगर उसी को काटेंगे तो पेड़, डाल और नेता सभी नीचे गिर जाएंगे।