Begin typing your search above and press return to search.
समाज

आरुषि को किसी ने नहीं मारा, उसे भगवान उठा ले गए

Janjwar Team
13 Oct 2017 10:10 AM GMT
आरुषि को किसी ने नहीं मारा, उसे भगवान उठा ले गए
x

सुप्रीम कोर्ट भी आरुषि और हेमराज की हत्या के लिए किसी इंसान को दोषी बता पाता है या फिर इस दोहरे और सदी के सर्वाधिक चर्चित हत्याकांड के लिए भगवान को ही 'उठा लेने' वाला मानता है...

जनज्वार। जी हां, उसे भगवान उठा ले गए। बस यहीं बात खत्म हो जाती है और सारी आशंकाओं पर विराम भी लग जाता है। क्योंकि बहस, सबूत, पुलिस, सीबीआई, समाज और अदालत को हत्या साबित करने के लिए जो 9 साल मिले थे, उसका परिणाम कल 12 अक्तूबर, 2017 को यही निकलकर आया कि 14 वर्षीय आरुषि और नौकर हेमराज की किसी ने हत्या नहीं की।

जाहिर है जब किसी ने हत्या नहीं की तो भगवान ने मारा होगा। वही पालनहार है और वही संहारक। पर सवाल यह है 9 साल देश का अरबों रुपए, मानव संसाधन के लाखों घंटे और जांच एजेंसियों ने अपने लंबा समय क्यों बर्बाद किया? भगवान को तो पहले दिन ही दोषी करार दिया जा सकता था! आखिर इसमें सरकार, समाज और सीबीआई की क्या जरूरत थी? क्या सीबीआई का काम लोगों का 'जी बहलाना' हो गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कल 12 अक्टूबर को आरुषि के मां—बाप डॉक्टर राजेश तलवार और डॉक्टर नुपूर तलवार को उम्रकैद की सजा से बरी करते हुए कहा कि माता—पिता को दोषी ठहराने के लिए न पर्याप्त सबूत हैं और ही परिस्थितियां वैसी हैं। 15 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार के फ्लैट में डॉक्टर दंपत्ति की बेटी आरुषि और उनके घर के नौकर हेमराज की नृशंस हत्या हुई थी।

देश की सबसे चर्चित, सनसनीखेज हत्याओं में शामिल इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 25 नवंबर 2013 को बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या का दोषी मानते हुए राजेश तलवार और नुपूर तलवार को उम्रकैद की सजा दी थी। सजा हत्या और साक्ष्य मिटाने का दोषी मानते हुए दी गयी थी।

तलवार दंपति को सजा स्पेशल सीबीआई जज श्यामलाल ने रिटायर होने से पहले दी थी। अब पूर्व न्यायाधीश श्यामलाल प्रेक्टिस कर रहे हैं।

इससे पहले 29 दिसंबर 2010 को सीबीआई ने केस को ब्लाइंड बताते हुए कोर्ट में क्लोजर रिपार्ट दे दी थी। लेकिन 9 फरवरी 2011 को सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को नाकाफी मानते और पूनर्विचार के बाद अदालत ने आरुषि के मां—बाप पर हत्या का मुकदमा चलाने और जांच को कहा। उस जांच के बाद अदालत ने 25 नवंबर 2013 को आरुषि के मां—बाप को उम्रकैद की सजा दी।

पर 12 अक्टूबर को सीबीआई के सबूतों को नाकाफी मानते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा काट रहे तलवार दंपत्ति को न सिर्फ उम्रकैद की सजा से मुक्त किया बल्कि पूरे मामले से ही बरी कर दिया। अब पति—पत्नी पर बेटी की हत्या का कोई मुकदमा नहीं है।

ऐसे में अब दो संभावनाएं बनती हैं। पहली यह कि सीबीआई सुप्रीम कोर्ट जाए और खत्म की गयी सजा को बहाल कराने की कोशिश करे। दूसरे तलवार दंपत्ति भी खुद के नैतिक बचाव को बरकरार रखने के लिए और असली दोषी को सजा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएं।

ऐसे में अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट भी आरुषि और हेमराज की हत्या के लिए किसी इंसान को दोषी बता पाता है या फिर इस दोहरे और सदी के सर्वाधिक चर्चित हत्याकांड के लिए भगवान को ही 'उठा लेने' वाला मानता है।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story