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विमर्श

योगी सरकार गरीब मांस व्यापारियों पर लगा रही जुर्माना, अब बहुराष्ट्रीय कम्पनियां और बड़े पूंजीपति बेचेंगे मीट भी

Janjwar Team
28 Jan 2018 10:24 AM GMT
योगी सरकार गरीब मांस व्यापारियों पर लगा रही जुर्माना, अब बहुराष्ट्रीय कम्पनियां और बड़े पूंजीपति बेचेंगे मीट भी
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योगी सरकार के पंचायतों द्वारा मांस व्यापार का लाइसेंस देने का अधिकार समाप्त करने के निर्णय से मांस व्यापार में लगे छोटे—मझोले व्यापारी होंगे बर्बाद, वहीं पशुपालन से जिंदगी बसर कर रहे किसान भी होंगे तबाह....

एसआर दारापुरी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं पर लगातार हमले कर रही है जिसका एक उदाहरण कैबिनेट द्वारा पंचायती राज कानून की धारा 197 में परिवर्तन कर पंचायतों से मांस व्यापार का लाइसेंस देने का अधिकार समाप्त करने का निर्णय है।

सरकार द्वारा अपनाई गयी प्रक्रिया पूर्णतया असंवैधानिक है क्योंकि इसमें पंचायतों के संवैधानिक अधिकार को केवल शासनादेश द्वारा समाप्त किया गया है जो कि पंचायती राज एक्ट में संशोधन के बिना करना अवैधानिक है। यह निर्णय अलोकतांत्रिक है और मांस व्यापार में लगी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और देशी बड़े पूंजी घरानों के लाभ के लिए लिया गया है।

योगी सरकार के इस फैसले से लाखों की संख्या में मांस व्यापार में लगे छोटे और मझोले व्यापारी बर्बाद और बेरोजगार हो जायेंगे। इसलिए प्रदेश के संवैधनिक मुखिया होने के नाते महामहिम राज्यपाल को योगी सरकार के कैबिनेट के इस फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए।

सरकार द्वारा सोनभद्र दुद्धी में मांस व्यापार में लगे व्यापारियों पर खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा लगाए लाखों रूपए के जुर्माना एकदम गलत है, जिसका वृहद स्तर पर विरोध किया जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि किसी के भी खानपान पर रोक संविधान में मिले मूल अधिकारों का हनन है। इसलिए जिला प्रशासन और खाद्य व रसद विभाग द्वारा दुद्धी, रेनूकूट और अनपरा जैसी जगहों पर मांस व्यापार पर रोक लगवाना और व्यापारियों पर जुर्माना लगाना माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना है।

गौरतलब है कि संविधान की धारा 19 (जी) में प्रत्येक नागरिक का कोई भी व्यापर तथा व्यवसाय करने का मौलिक अधिकार है, परन्तु योगी सरकार का उपरोक्त आदेश उस अधिकार का हनन करता है। उच्चतम न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए इस तरह के उत्पीड़न पर रोक लगाने की पहल प्रशासनिक स्तर पर भी की जानी चाहिए।

गौरतलब है कि मांस व्यापार में अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए यूपीए सरकार ने छोटे और मझोले मांस व्यापार पर प्रतिबंध लगाने के लिए 2011 में कानून बना दिया था। केंद्र की मोदी और उत्तर प्रदेश में सत्तासीन योगी सरकार अब इसे लागू करने में लगी हैं। इस कानून से देश में मांस व्यापार में लगे व्यवसायी तो बर्बाद होंगे, साथ ही पशुपालन के बूते अपनी जिदंगी चला रहे किसान भी इससे तबाह हो जायेंगे।

इस पर रोक के लिए स्वराज अभियान ने सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ाई में व्यापारियों का सहयोग करने की पहल की है। स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत भूषण खुद इस कानून के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं। स्वराज अभियान द्वारा इस आदेश के विरुद्ध शीघ्र ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर करने की तैयारी की जा रही है।

(एसआर दारापुरी पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एवं स्वराज अभियान राज्य कार्यसमिति के सदस्य हैं।)

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