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Child Health during Covid 19: कोरोना महामारी में बच्चों को शिकार बना रहा मोटापा, गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा

Janjwar Desk
21 Jan 2022 5:10 PM GMT
कोरोना महामारी में बच्चों को शिकार बना रहा मोटापा, गंभीर बिमारियों का खतरा बढ़ा
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कोविड-19 महामारी में मोटापे के शिकार हुए बच्चे

Child Health during Covid 19: लॉकडाउन के दौरान, मोटापे के सबसे ज्यादा शिकार छोटे बच्चे हुए। आउटडोर गेम्स और अन्य किसी तरह को शारीरिक गतिविधि नहीं हो रही है। बच्चे अपना ज्यादा समय टीवी और स्मार्टफोन के सामने गुजारते हैं। जिसके कारण बच्चों की एक बड़ी आबादी मोटापे से ग्रसित हो चुकी है...

New Delhi: कोविड-19 महामारी के चलते बड़ो से लेकर बुजुर्ग और बच्चे सभी अपने घरों के भीतर रहने के लिए मजबूर हैं। किसी तरह की शारीरिक गतिविधियां न होने के चलते सभी उम्र के लोगों के बीच मोटापा का असर देखने को मिला है। लॉकडाउन के दौरान, मोटापे के सबसे ज्यादा शिकार छोटे बच्चे हुए। स्कूल बंद है, आउटडोर गेम्स और अन्य किसी तरह को शारीरिक गतिविधि नहीं हो रही है। बच्चे अपना ज्यादा समय टीवी और स्मार्टफोन के सामने गुजारने को मजबूर हैं। ऐसे में बच्चों की एक बड़ी आबादी मोटापे से ग्रसित हो चुकी है।

मौजूदा वक्त में आलम ये हैं कि कम उम्र के बच्चों की तोंद निकलनी शुरू हो गई है। बच्चे अब भी घर के अंदर हैं मगर उनका पेट बाहर निकल रहा है। मोटापे की वजह से बच्चों में कई तरह की बिमारियों का खतरा बढ़ गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि 2020 में 5 वर्ष से कम आयु के 39 मिलियन बच्चे अधिक वजन वाले या मोटे थे। वहीं साल 2016 में 5-19 वर्ष की आयु के 340 मिलियन से अधिक बच्चे और किशोर अधिक वजन वाले या मोटे थे। इन आंकड़ों के वैश्विक जन-स्वास्थ्य के लिए गंभीर निहितार्थ हैं, क्योंकि अब यह स्पष्ट हो गया है कि दुनिया की अधिकांश आबादी उन देशों में रहती है जहां वजन ज़्यादा होने और मोटापे से कम वजन वाले लोगों की तुलना में अधिक लोग मरते हैं।

2016 में की गई एक सर्वेक्षण से पता चला है कि भारतीय बच्चों और किशोरों में अधिक वजन और मोटापे की दर न केवल ऊंचे सामाजिक-आर्थिक समूहों में बढ़ रही है, बल्कि वह उन निम्न आय समूहों में भी बढ़ रही है, जिनमें वजन कम होना एक बड़ी चिंता का विषय रहा है। इस विश्लेषण ने बचपन में मोटापे की व्यापकता को 16.3% (2005) से 19.3% (2010) तक बढ़ा दिया।

नवभारत टाइम्स में छपी एक विश्लेषण के अनुसार, वैश्विक स्तर पर स्कूली उम्र के बच्चों और किशोरों के बीच कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के दौरान शरीर का वजन और मोटापे में अत्यधिक वृद्धि देखने को मिली है। इस मुद्दे को भारत में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है, जहां किशोरों में मोटापे और अवसाद के संबंध में कोविड-19 महामारी के अभूतपूर्व रुग्णता असर को रेखांकित किया गया है।

इंस्टीट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस, मेटाबोलिक एंड बैरिएट्रिक सर्जरी, सर गंगाराम अस्पताल में ऑनलाइन सर्वेक्षण के माध्यम से भारतीय बच्चों और किशोरों पर कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के प्रभाव को जानने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया। यह सर्वेक्षण बच्चों के माता-पिता और बच्चों के बीच किया गया, जिनकी संख्या 1309 थी। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि लगभग 61.8% प्रतिशत बच्चों के मां बाप ने इस बारे में हां में जवाब दिया कि महामारी के दौरान उनके बच्चों या किशोरों का वजन बढ़ा है।

वहीं 48.2% अभिभावकों ने यह स्वीकार किया कि महामारी के दौरान उनके बच्चों और किशोरों के वजन में 1-10% की वृद्धि हुई है। 12.3% पैरेंट्स ने यह स्वीकार किया कि महामारी के दौरान उनके बच्चों और किशोरों के वजन में 11-20% की वृद्धि हुई है। कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन से संबंधित मोटापे में वृद्धि का सबसे प्रमुख कारण 'गतिहीन जीवनशैली' था, इसके बाद मुख्य तौर पर देर से सोना (29.4%), जरूरत से अधिक खाना (23.8%) और 'तनाव' (14.9%) मोटापे का प्रमुख कारण था।

वहीं मोटापे के साथ बच्चों में कई तरह को गंभीर समस्याएं भी पैदा होती है। मोटे बच्चों और किशोरों में वजन बढ़ने के साथ टाइप 2 डायबिटीज, सिस्टेमिक हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल, कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक, फैटी लीवर रोग (एनएएफएलडी), गालब्लेडर रोग, श्वसन संबंधी समस्याएँ, पुराने ऑस्टेओ आर्थराइटिस, भावनात्मक गड़बड़ी, कमज़ोर शैक्षणिक प्रदर्शन और कैंसर होने का खतरा लगातार बढ़ रहा है।

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