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हरिद्वार के संतों के नेतृत्व में खुदाई खिदमतगार ने दंगा प्रभावित इलाकों में निकाला शांति मार्च

Nirmal kant
5 March 2020 11:22 AM GMT
हरिद्वार के संतों के नेतृत्व में खुदाई खिदमतगार ने दंगा प्रभावित इलाकों में निकाला शांति मार्च
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दंगा प्रभावित परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि सभी धर्मों और विश्वासों के लोग समान हैं। सूर्य, बारिश, हवा और पूरी सृष्टि प्रत्येक मानव को समान मानती है और हिंसा और नफरत का किसी भी धर्म से कोई लेना देना नहीं है...

जनज्वार। स्वामी शिवानंद सरस्वती और स्वामी पुण्यानंद के साथ दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा करने वाली खुदाई किदमतगार की एक टीम ने जोर देकर कहा है कि भारत की सच्ची विरासत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का पाठ है और इस विरासत को आगे ले जाना सभी की जिम्मेदारी है। खुदाई खिदमतगर को मूल रूप से 1930 में खान अब्दुल गफ्फार खान द्वारा स्थापित किया था जिसे फ्रंटियर गांधी के रूप में भी जाना जाता है।

ख़ुदाई ख़िदमतगार स्वयंसेवकों के साथ हरिद्वार स्थित मातृसदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती और स्वामी पुण्यानंद भी दिल्ली के ईदगाह, ब्रजपुरी, शिवपुरी और मुस्तफाबाद के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में 'शांति और करुणा का संदेश' लेकर पहुंचे।

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काउंटरव्यू के मुताबिक दंगा प्रभावित परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा, 'सभी धर्मों और विश्वासों के लोग समान हैं। सूर्य, बारिश, हवा और पूरी सृष्टि प्रत्येक मानव को समान मानती है और इस तरह की हिंसा और नफरत को न्यायौचित नहीं ठहराया जा सकता है। यह मानवता के खिलाफ है और इसका किसी भी धर्म से कोई लेना देना नहीं है। इस तरह के कृत्य राजनीति से प्रेरित हैं।'

ने ईदगाह से फारुकिया मस्जिद तक 'इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही है पैगाम हमरा' के नारे के साथ शांति मार्च का नेतृत्व किया, जिसका नारा था 'हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई, आपस में हैं भाई भाई'। दंगों के दौरान फारुकिया मस्जिद में तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी।

वे मस्जिद और मदरसा समिति के सदस्यों से भी मिले और कहा कि वे 'इन अंधेरे दिनों' उनके साथ में खड़े हैं और मानवता के लिए मिलकर काम करेंगे। उन्होंने जनामाज़ (प्रार्थना कालीन) और मस्जिद के लिए कालीन की पेशकश की और कहा कि भारत की सच्ची विरासत 'वसुधैव कुटुम्बकम' है। इस विरासत को आगे बढ़ाने की हममें से प्रत्येक की ज़िम्मेदारी है।

मार्च में भाग लेने वालों में मैग्सेसे अवार्डी डॉ.संदीप पांडे, ख़ुदाई खिदमतगार के राष्ट्रीय संयोजक फैसल ख़ान और उनकी टीम के सदस्य हुसैन बेग, जयलक्ष्मी, कृपाल मंडल मंडलोई, शारिक चौधरी, सुयश त्रिपाठी, सैयद तहसीन अहमद, सुशील खन्ना और सुशील खन्ना शामिल थे।

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