'दामाद को देखने अस्पताल जा रहा था और मुझे भीड़ ने दाढ़ी पकड़कर घसीट लिया'
जनज्वार। मोहम्मद इश्तियाक खान जिसे उनके परिवार के सदस्यों के द्वारा राजा कहकर बुलाया जाता था, 25 फरवरी की दोपहर उसे अपने घर के बाहर 'हिंदुस्तान में रहना होगा, तो जय श्री राम कहना होगा' और 'आओ ले लो आजादी' जैसे नारे सुनाई देते हैं। 30 वर्षीय राजा ने जैसे ही यह देखने के लिए घर से बाहर कदम बढ़ाए कि क्या हो रहा है तभी उसे गोली मार दी गई। कुछ घंटे बाद उसकी मौत हो गई।
बाहर हिंसक भीड़ भड़काऊ नारों के साथ घरों में पत्थरबाजी और बाजार में आग लगा रही थी। राजा के परिवार के लिए यह वक्त मुश्किल से मुश्किल हो रहा था। राजा के 50 वर्षीय ससुर अख्तर खान अस्पताल में राजा को देखने के लिए अपने 18 वर्षीय बेटे मोहम्मद बिलाल के साथ अस्पताल की ओर जा ही रहे थे तभी उनकी गाड़ी अज्ञात गुंडों ने रोक दी। घटना के बारे में अख्तर खान कांपती हुई आवाज में बताते हैं, 'यह तबाही थी। उन्होंने हमारी कार रोकी, हमें घसीटकर ले गए और लाठी से हमें बेरहमी से पीटा। उन्होंने मुझे मेरी दाढ़ी पकड़कर घसीटा। पुलिस का वाहन हम तक नहीं पहुंचता तो हम मर ही गए होते।
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जबतक अख्तर अस्पताल पहुंचे तो राजा की पहले ही मौत हो चुकी थी। बिलाल बच गया लेकिन उसको सिर पर कई टांके लगाने पड़े। फिलहाल परिवार राजा का शव को पाने के लिए संघर्ष कर रहा है ताकि उसका दफन किया जा सके लेकिन अथॉरिटी की ओर से ओर से शव देने से इनकार किया जा रहा है।
पिछले तीन दिनों से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध के कारण पूर्वोत्तर दिल्ली में हिंसक सांप्रदायिक दंगे हो रहे हैं, राज्य के मुस्लिम इलाकों पर उन्मादी हमले हो रहे हैं। इस टुकड़े को लिखने तक लगभग 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
हिंसा में घायल हुए लोगों को गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में लाया जा रहा है। जहां के एक जूनियर डॉक्टर ने बताते हैं, 'लगभग 50 लोग बुलेट की चोटों से भर्ती हैं और 10 से अधिक लोग मारे गए हैं। मैंने ऐसा कभी नहीं देखा।'
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा की पूर्व संध्या पर हिंसा भड़क गई थी और एक दिन बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक स्थानीय नेता कपिल मिश्रा ने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। उन्होंने एक पुलिस अधिकारी को अल्टीमेटम देते हुए वीडियो ट्वीट किया कि वे ट्रंप की यात्रा तक कुछ नहीं कहेंगे लेकिन तीन दिन के भीतर सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को सड़कों से खाली नहीं करवाया जाता है तो हम फिर आपकी भी नहीं सुनेंगे।
गोंडा में एक दुकान चलाने वाले मोहम्मद खालिद ने वाइस को बताया कि जैसे फिल्मों में होता है ठीक वैसे ही भीड़ ने उन पर पेट्रोल बम फेंके। उनके पास सभी प्रकार के हथियार थे। मैं विरोध नहीं कर रहा था। मैने तो केवल सड़क के किनारे जूस की दुकान चला रहा था जिसे उग्र भीड़ ने जला दिया है।
एक अन्य स्थानीय खालिद अहमद जिन्होंने अपनी बांह पर चोटों का सामना किया उन्होंने पुलिस बलों पर दंगाइयों के साथ बैठने का आरोप लगाया। खालिद कहते हैं कि उन्होंने (पुलिस) भीड़ के साथ हम पर पत्थर फेंके और उन्हें रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
फिलहाल चांद बाग और भागलपुर समेत कई इलाकों में स्थानीय प्रशासन ने दिल्ली पुलिस को दंगाइयों को देखते हुए गोली मारने की अनुमति दी है। उत्तर पश्चिम के सहायक पुलिस अधीक्षक (एसीपी) अनिल मित्तल और दिल्ली पुलिस के पीआरओ ने हिंसक भीड़ के साथ पुलिस के मिलने के आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह इस मुद्दे पर बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
एजेके मास कम्युनिकेश रिसर्च सेंटर के स्कॉलर और स्वतंत्र पत्रकार अर्जुन बताते हैं कि जब हम रिपोर्टिंग के लिए मौजपुर गए थे तो मुझे अपने दोस्त की पहचान को छुपाना पड़ा। वह एक मुस्लिम था और सड़कों पर इकट्ठा हुए लोग लगातार मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे और उनका खून बहाने के लिए कहा जा रहा था।
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इस बीच भाजपा ने 'राष्ट्र-विरोधी तत्वों' पर जानबूझकर हिंसा भड़काने, देश की खराब छवि को दुनिया के सामने लाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा,'हिंसा में वृद्धि को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के चश्मे से देखने की जरूरत है। कई भारत विरोधी तत्व हमारे देश को बदनाम करना चाहते हैं और जब इस तरह के प्रतिष्ठित दौरे आते हैं, तो वे लोगों को भड़काते हैं।'
दंगाइयों को भड़काने में कपिल मिश्रा और अभय वर्मा जैसे उनकी पार्टी के नेताओं की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर खुराना ने कहा कि आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा, 'हमारे वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने शांति और अफवाहों में ना बहने का आह्वान किया है। सबकुछ ठीक हो जाएगा।'
(उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा पर यह ग्राउंड रिपोर्ट वाइस इंडिया ने की है। यह 26 फरवरी को पूर्व में प्रकाशित किया जा चुका है।)
हिंदी अनुवाद : निर्मलकांत