नोएडा के 22 प्राइवेट स्कूलों ने गरीब बच्चों को नहीं दिया प्रवेश

बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) धीरेंद्र कुमार ने कानून लागू न करने की शिकायत करते हुए कहा कि आरटीई कोटे के अंतर्गत लाभार्थी बच्चों का प्रवेश लेने से मना करने पर संबंधित विद्यालय के विरुद्ध नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी....

Update: 2020-08-25 08:00 GMT

गौतमबुद्धनगर। उत्तर प्रदेश के नोएडा में निजी स्कूल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अधिनियम का कथित रूप से पालन न करने और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को दाखिला देने से इनकार करने पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लगभग दो दर्जन निजी स्कूलों को नोटिस जारी किया गया है। मामला जब जिलाधिकारी सुहास एल वाई के सामने आया तो उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी को जांच का आदेश दिया। इसके बाद सोमवार को 6 सदस्यीय एक टीम का गठन किया गया, जो स्कूलों में जाकर पड़ताल कर रही है।

गौतमबुद्धनगर जिले में प्रथम चरण में कुल 4761 आवेदन के सापेक्ष 310, द्वितीय चरण में कुल 1500 आवेदन के सापेक्ष 1617 एवं तृतीय चरण में कुल 858 आवेदन के सापेक्ष 316 बच्चों को विद्यालय आवंटन ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से किया गया।

वहीं प्रथम दो चरण में कुल 6261 बच्चों ने आरटीई अधिनियम के तहत लाभ के लिए आवेदन किया था, जो 6-14 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करता है। इनमें 3717 बच्चों को विद्यालय आवंटन हुआ, जिस के क्रम में लगभग 952 बच्चों का प्रवेश संबंधित विद्यालय द्वारा कर लिया गया है। कुछ विद्यालयों द्वारा आरटीई कोटे के अंतर्गत प्रवेश नहीं लिए जाने के संबंध में अभिभावकों से शिकायत मिली।

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बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) धीरेंद्र कुमार ने कानून लागू न करने की शिकायत करते हुए कहा कि आरटीई कोटे के अंतर्गत लाभार्थी बच्चों का प्रवेश लेने से मना करने पर संबंधित विद्यालय के विरुद्ध नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग की एक टीम ने सोमवार को दो निजी स्कूलों में जाकर निरीक्षण भी किया।

जिले के शिक्षा विभाग ने आरटीई लागू न करने पर इससे पहले भी 58 निजी स्कूलों को नोटिस जारी किया है। वहीं सोमवार को दूसरी बार 22 स्कूलों को नोटिस जारी किया गया है।

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