BHU में टेस्ट की जगह नंबर के आधार होगा प्रवेश, यूपी बोर्ड वालों को इस बार नहीं मिल पाएगी जगह

अभिभावकों का कहना है कि विवि प्रशासन मन मुताबिक नियम-कानून बनाकर आम-आवाम, गरीब, दबे-कुचले, राज्य बोर्ड के बच्चों की प्रतिभाओं का गला घोंटना चाहते हैं, इससे शिक्षा-माफियाओं का मनोबल बढ़ेगा....

Update: 2020-06-29 14:53 GMT

जनज्वार ब्यूरो। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कला संकाय ने पी.पी. सी की बैठक मे शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए मेरिट के आधार प्रवेश देने की रिपोर्ट सौंप दी है। अगर इस रिपोर्ट के आधार पर प्रवेश प्रक्रिया चलती है तो उत्तर प्रदेश बोर्ड से इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर चुके हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक सकता है। इसको देखते हुए छात्रों के साथ साथ अभिभावक भी चिंतिंत होने लगे हैं। अभिभावक इस कदम को विश्वविद्यालय प्रशासन का तानाशाही भरा रवैया करार दे रहे हैं।

अभिभावकों  और छात्रों का कहना है कि आपदा केवल सत्ता में बैठे लोगों के लिए ही सुनहरा अवसर नहीं है, बल्कि यह शैक्षणिक संस्थाओं में बैठे सामंती सोच और तानाशाहों के लिए भी सुनहरा अवसर है। ये अपने मन-मुताबिक नियम-कानून बनाकर आम-आवाम, गरीब, दबे-कुचले, राज्य बोर्ड और ग्रामीण अंचल के बच्चों की प्रतिभाओं का गला घोंटना चाहते हैं। इसीलिए बीएचयू में ये लोग एक नया फार्मूला बनाये हैं- मेरिट के आधार पर प्रवेश। इससे शिक्षा-माफियाओं का मनोबल बढ़ेगा, न कि छात्रों का। इसी नियम के खिलाफ आज हम लोगों ने संकाय प्रमुख, छात्रा अधिष्ठाता और कुलपति को ज्ञापन दिया।


 इसको लेकर उन्होंने कुलपति को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा, ' छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि कला संकाय प्रमुख ने पी.पी.सी की बैठक में शैक्षणिक सत्र 2020-21 हेतु मेरिट के आधार पर प्रवेश देने की रिपोर्ट सौंप दिया है। अगर इस रिपोर्ट के आधार पर प्रवेश प्रक्रिया संपन्न होती है तो राज्य बोर्ड व ग्रामीण अंचल के बच्चों का प्रवेश हो पाना मुश्किल है क्योंकि सीबीएसई और आईसीएससी बोर्ड के विद्यार्थियों का प्राप्तांक प्रतिशत हमेशा ज्यादा होता है। आपसे निवेदन है कि सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर प्रदान करने हेतु प्रवेश परीक्षा ऑफलाइन करवाई जाए, ताकि सभी के साथ न्याय हो सके।'

 

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