DDU Gorakhpur : आरोपों से घिरे कुलपति चले अमेरिका के सैर पर, शिक्षक और छात्र आंदोलन की राह पर

DDU Gorakhpur : प्रोफेसर कमलेश गुप्ता के निलंबन के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ छात्रों के बाद अन्य शिक्षकों ने भी अब मोर्चा खोल दिए हैं। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन संवाद का रास्ता चुनने के बजाए कुलपति अमेरिकी यात्रा पर रवाना होने की तैयारी में है, जिसके चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर का राजनीतिक तापमान चरम पर है।

Update: 2021-12-22 03:30 GMT

प्रोफेसर कमलेश गुप्ता के निलंबन के विरोध में गोरखपुर विश्वविद्यालय मुख्य द्वार पर धरने पर बैठे छात्र।

जनज्वार। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर DDU Gorakhpur ) के कुलपति प्रो. राजेश सिंह को हटाने की मांग को लेकर सत्याग्रह पर उतरे प्रोफेसर कमलेश गुप्ता के निलंबन के बाद आंदोलन ने एक नया मोड़ ले लिया है। 21 दिसंबर की रात में ही बड़ी संख्या में छात्र सड़क पर उतर आए हैं। इन छात्रों ने विश्वविद्यालय गेट पर धरना देते हुए घंटो सभा की। साथ ही ऐलान किया कि प्रोफेसर के निलंबन की कार्रवाई व कुलपति को हटाने की मांग को लेकर हमारा आंदोलन निरंतर जारी रहेगा। इस क्रम में कुलपति हटाओ विश्वविद्यालय बचाओ के नारे के साथ शहर में अभियान चलाने का छात्रों ने निर्णय लिया है।

इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ अन्य शिक्षकों ने भी अब मोर्चा खोल दिए हैं। इसके बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन संवाद का रास्ता चुनने के बजाए चर्चा है कि कुलपति दस दिनों की अमेरिकी यात्रा पर रवाना हो रहे हैं, जिसके चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर का राजनीतिक तापमान गरमा गया है।

कुलपति राजेश सिंह के खिलाफ लंबे समय से विरोध जता रहे हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने 21 दिसंबर से सत्याग्रह करने का ऐलान किया था, जिसके तहत प्रशासनिक भवन में दीन दयाल उपाध्याय की प्रतिमा के सामने धरना पर बैठते ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके निलंबन का आदेश जारी कर दिया। इसकी खबर मिलने पर शिक्षकों के साथ ही छात्रों में रोष दिखा। यह आक्रोश शाम ढलते ही आंदोलन में बदल गया।

प्रोफेसर कमलेश गुप्ता के समर्थन में विश्वविद्यालय के छा़त्रावास में रहने वाले छात्रों ने मुख्य गेट पर रात में प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में आए इन छात्रों ने घंटो यहां सभा की। इसमें छात्रसंघ के निवर्तमान व पूर्व पदाधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। छात्रों ने कहा कि बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय में लूट मचाने के बाद यह कुलपति अब हमारे विश्वविद्यालय को लूटने में लगे हैं। इसके खिलाफ आवाज उठाने पर प्रोफेसर कमलेश गुप्ता को निलंबत कर दिया। ऐसे में अब यह लड़ाई कुलपति के हटने तक जारी रहेगा। छात्र नेताओं ने सभी से आहवान किया कि दो बजे से कमलेश गुप्ता के सत्याग्रह में हिस्सा लें तथा इसके बाद शहर में कुलपति हटाओ, विश्वविद्यालय बचाओ नारे के सथ पैदल मार्च निकालें। साथ ही यह आंदोलन निरंतर जारी रहेगा।

जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित




उधर हिंदी विभाग के आचार्य प्रो. कमलेश कुमार गुप्त को निलंबित करते हुए उन पर लगे आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है जिसमें दो पूर्व कुलपति और एक कार्यपरिषद सदस्य शामिल हैं। इसके साथ ही दो और शिक्षकों को भी कार्रवाई के लिए चिन्हित किया गया है। वहीं विश्वविद्यालय के मीडिया एवं जनसंपर्क कार्यालय की ओर से कहा गया कि प्रो. गुप्त को विश्वविद्यालय के पठन पाठन के माहौल को खराब करने, बिना सूचना आवंटित कक्षाओं में न पढाने, समय सारिणी के अनुसार न पढाने व असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हुए टिप्पणी करने समेत कई मामलों को लेकर नोटिस जारी किए। इनके खिलाफ लगे आरोपों में विद्यार्थियों को अपने घर बुलाकर घरेलू कार्य कराना तथा उनका उत्पीडन करना, जो विद्यार्थी उनकी बात नहीं सुनते हैं उन्हें परीक्षा में फेल करने की धमकी देना, महाविद्यालयों में मौखिकी परीक्षाओं में धन उगाही की शिकायत, विभाग के लड़कियों के प्रति उनका व्यवहार मानसिक रूप से ठीक नहीं रहना। नई शिक्षा नीति, नए पाठ्यक्रम तथा सीबीसीएस प्रणाली के बारे में दुष्प्रचार करने, सोशल मीडिया पर बिना विश्वविद्यालय के संज्ञान में लाए भ्रामक प्रचार फैलाने, विश्वविद्यालय के अनुशासनहीनता एवं दायित्व निर्वहन के प्रति घोर लापरवाही तथा कर्तव्य विमुखता का मामला शामिल है। निलंबन के समय कहा गया कि कुलसचिव की ओर से समय समय पर आठ नोटिस जारी किए गए हैं। इनका यह आचरण विश्वविद्यालय के परिनियम के अध्याय 16(1) की धारा 16 की उपधारा, 2, 3 तथा 4 तथा उत्तर प्रदेश सरकार के कंडक्ट रूल 1956 के विरुद्ध है।

वीसी पर लगाया छात्रों के भविष्य से खेलने का आरोप

प्रोफेसर गुप्ता ने कुलपति प्रो. राजेश सिंह पर प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं, गैरलोकतांत्रिक कार्यशैली, अपने में निहित शक्तियों के दुरुपयोग, घोर असंवेदनशीलता, नियमविरोधी मनमर्जी और देख लेने वाले आचार-व्यवहार के कारण विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी, शोधार्थी और अभिभावक तनावभरी जिंदगी जीने के लिए अभिशप्त करने का आरोप लगाया हैं।

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