बड़ी ट्रेन दुर्घटनाओं के बावजूद रेलवे में लाखों पद खाली, बोर्ड अध्यक्ष से मिल अनुपम ने उठाया भर्तियों का मुद्दा

Indian Railway : ऐसे समय में जब देश का युवा भीषण बेरोजगारी से जूझ रहा है, रेलवे का एक सकारात्मक कदम न सिर्फ युवाओं के भविष्य के लिए बल्कि देश को मजबूती प्रदान करने में अहम योगदान दे सकता है। रेलवे में भर्ती का मसला सिर्फ रोजगार से जुड़ा हुआ नहीं है यह भारत के करोड़ों लोगों के जीवन और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है....

Update: 2023-12-30 16:13 GMT

Indian Railway : भारतीय रेल में भारी संख्या में खाली पदों को लेकर 'संयुक्त युवा मोर्चा' के संस्थापक अनुपम ने रेलवे बोर्ड अध्यक्षा से मुलाकात की है। राजधानी दिल्ली स्थित रेल भवन में अनुपम ने रिक्त पड़े पदों पर जल्द भर्ती करने को लेकर बात की। बैठक में अनुपम के अलावा सेवानिवृत आईपीएस यशोवर्धन झा आज़ाद भी मौजूद रहे, जो 'युवा हल्ला बोल' आंदोलन के मार्गदर्शकों में हैं। भारत के सूचना आयुक्त रहे यशोवर्धन झा आज़ाद आईबी के निदेशक और सुरक्षा सचिव जैसे बड़े पदों पर देश की सेवा कर चुके हैं। रेलवे बोर्ड की पहली महिला चेयरपर्सन जया वर्मा सिन्हा ने अनुपम की बातों को सुना और आश्वासन दिया कि जल्द ही इस विषय पर सकारात्मक ढंग से विचार किया जाएगा।

बेरोज़गारी को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बनाने वाले और देशभर के युवाओं में मजबूत पहचान बना चुके अनुपम ने श्रीमती जया वर्मा सिन्हा को रेलवे बोर्ड के शीर्षतम पद पर पहुँचने वाली पहली महिला होने के नाते बधाई और शुभकामनाएं भी दी। अनुपम ने कहा कि ऐसे अहम पदों पर महिलाओं को ज़िम्मेदारी मिलने से शासन प्रशासन में समझ और संवेदना बढ़ती है। साथ ही युवतियों को सार्वजनिक जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

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मुलाकात में 'युवा हल्ला बोल' अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि कुछ महीने पहले ही ओडिशा के बालासोर में दिल दहला देने वाली दुर्घटना हुई, जिसमें सैकड़ों जानें चली गयीं। रेलवे की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे और आपने राहत एवं बचाव कार्यों को बखूबी निभाया, लेकिन इस पर पर्याप्त चर्चा नहीं हुई कि भारतीय रेल में सुरक्षा श्रेणी के 1.77 लाख पद रिक्त हैं। जून 2023 में एक आरटीआई के जवाब में पता चला कि रेलवे में कुल मिलाकर 2 लाख 74 हज़ार पद खाली हैं। इससे पहले दिसंबर 2022 में रेलमंत्री जी ने सदन में जानकारी दी थी कि 3.12 लाख पद रिक्त हैं। हो सकता है कि इन आँकड़ों में आज की तारीख में कुछ बदलाव आए होंगे, लेकिन फिर भी इतनी बड़ी तादाद में पदों पर ज़िम्मेदार रेलकर्मी का न होना गंभीर चिंता का विषय है।

इतनी भारी संख्या में रेलवे जैसे अहम विभाग में रिक्तियों के बावजूद मार्च 2019 के बाद से सरकार द्वारा कोई नई भर्ती नहीं निकाली गयी। पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आयी एनटीपीसी और ग्रुप-डी की भर्तियों को पाँच साल होने को हैं। उस वक़्त के तत्कालीन रेलमंत्री ने चुनाव से ठीक पहले यह वादा किया था कि रेलवे के जरिए अगले दो साल में चार लाख नौकरियां दी जाएंगी, लेकिन यह देख कर अत्यंत दुख होता है कि वादे के उलट नयी सरकार में कोई भर्ती ही नहीं निकाली गयी। इसका खामियाजा सिर्फ बेरोज़गार युवा ही नहीं, रेलवे की गुणवत्ता सुरक्षा और कार्यप्रणाली को भी भुगतना पड़ रहा है। एक तरफ जहाँ रेलवे भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं की उमर निकल रही है, वहीं कर्मचारियों की कमी के कारण रेलकर्मी भारी दबाव और मानसिक तनाव में काम करने को विवश हैं। इसका दुष्प्रभाव जनता को मिल रही रेलवे की सेवा और सुरक्षा पर भी दिख रहा है।

अनुपम ने रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष को रिक्त पदों की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए अन्य मसलों को भी पुरजोर तरीके से उठाया। उन्होंने रेलवे में भर्ती प्रक्रिया के लिए 'मॉडल एग्जाम कोड' की जरूरत पर बल दिया। नए साल में नयी भर्ती लाने की मांग करते हुए अनुपम ने समयबद्ध ढंग से प्रक्रिया पूरी करने का सुगम तरीका भी साझा किया। अनुपम ने रेल बोर्ड अध्यक्षा को कहा कि यदि रेलवे अपनी भर्तियों में 'मॉडल एग्जाम कोड' लागू करके विज्ञापन से लेकर नियुक्ति तक की प्रक्रिया 9 महीने में पूरी कर ले तो यह अन्य सभी विभागों के लिए भी एक नज़ीर बनेगा। साथ ही अनुपम ने निम्नलिखित मांगों वाला पत्र भी अध्यक्ष को सौंपा :

1) रिक्त पड़े 2 लाख 74 हज़ार पदों पर जल्द से जल्द विज्ञापन जारी किया जाए

2) भर्ती प्रक्रिया में 'मॉडल एग्जाम कोड' लागू कर 9 महीने के अंदर विज्ञापन से नियुक्ति तक के सभी चरण पूरे हों

3) रेलवे में नियमित कार्यों से संबंधित नौकरियों को ठेके पर देना या आउटसोर्स करना बंद किया जाए

4) इंजीनियरिंग छात्रों के लिए पदों में कटौती न हो, अभियंत्रण पदों पर तकनीकी छात्रों को ही अवसर मिले

5) ALP, टेक्नीशियन, JE, SSE जैसे सुरक्षा श्रेणी के 1.77 लाख पदों को युद्धस्तर पर भरा जाए

6) करीब पाँच साल से भर्ती न निकलने के कारण जो अभ्यर्थी अधिकतम आयु सीमा पार कर गए, उनके लिए नयी भर्ती में 3 साल उमर की छूट मिले

7) SSC UPSC IBPS की तरह रेलवे के पास भी वार्षिक भर्ती कैलेंडर हो जिसका सख्ती से पालन किया जाए

युवा नेता अनुपम ने ये उम्मीद जतायी है कि विभाग इन गंभीर विषयों पर सकारात्मक ढंग से विचार करेगा, ताकि रेलवे भर्ती की तैयारी में जुटे करोड़ों युवाओं की निराशा का निराकरण हो सके।

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यशोवर्धन झा आज़ाद ने कहा कि भारतीय रेल सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी एम्प्लायर है। दशकों से हमारे देश में युवाओं का बड़ा वर्ग रेलवे सेवा के जरिए सुरक्षित भविष्य का सपना देखता रहा है। ऐसे समय में जब देश का युवा भीषण बेरोजगारी से जूझ रहा है, रेलवे का एक सकारात्मक कदम न सिर्फ युवाओं के भविष्य के लिए बल्कि देश को मजबूती प्रदान करने में अहम योगदान दे सकता है। रेलवे में भर्ती का मसला सिर्फ रोजगार से जुड़ा हुआ नहीं है यह भारत के करोड़ों लोगों के जीवन और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।

गौरतलब है कि अनुपम लंबे समय से 'युवा हल्ला बोल' के जरिए भारत के युवाओं को रोज़गार के अवसर दिलाने का संघर्ष कर रहे हैं। रेलवे भर्ती में अनियमितताओं को लेकर पिछले साल हुए आंदोलन को भी उन्होंने दिशा दीह थी, जिसके बाद सरकार को मांगें माननी पड़ी। उम्मीद है रेलवे बोर्ड में हुई इस अहम बैठक के बाद रेलवे अभ्यर्थियों को नए साल में नया विज्ञापन मिलेगा।

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