IIT Bombay Cast Awareness Course : अब जरुरी होगी 'जाति प्रथा' की पढ़ाई, आईआईटी बॉम्बे करेगा इस अनिवार्य कोर्स की शुरुआत

IIT Bombay Cast Awareness Course : देशभर में जातिवाद की प्रथा को लेकर हमेशा ही विरोध होता रहता है, समुदायों के बीच की खाई को पाटने के लिए अब जाती प्रथा की पढाई करवाई जाएगी...

Update: 2022-07-04 13:45 GMT

IIT Bombay Cast Awareness Course : अब जरुरी होगी 'जाति प्रथा' की पढ़ाई, आईआईटी बॉम्बे करेगा अनिवार्य कोर्स की शुरुआत

IIT Bombay Cast Awareness Course : देशभर में जातिवाद की प्रथा को लेकर हमेशा ही विरोध होता रहता है। समुदायों के बीच की खाई को पाटने के लिए अब जाती प्रथा की पढाई करवाई जाएगी। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) बॉम्बे में जाती प्रथा को लेकर एक कोर्स की शुरुवात की जा रही है। दरअसल, IIT बॉम्बे जाति को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए एक अनिवार्य कोर्स शुरू करने की योजना बना रहा है।

जाति विभाजन को लेकर कठिनाइयों का सामना

ये IIT बॉम्बे के अनुसूचित जनजाति सेल द्वारा की पहली पहलों में से एक है। सेल का मानना है कि संवेदीकरण के जरिये ही समावेशिता बढ़ाई जा सकती है। इंस्टिट्यूट द्वारा मुहैया कराई गयी जानकारी के मुताबिक, सेल द्वारा हाल ही में एक सर्वे किया गया है। इसका मकसद से समझना था कि स्टूडेंट्स को जाति विभाजन को लेकर किस तरह की कठनाइयों का सामना करना पड़ता है।

अनिवार्य अकेडेमिक कोर्स बनाने पर जोर

सर्वे में जाति और नस्लीय भेदभाव पर अधिक संवेदीवकरण कोर्स तैयार करने और अनिवार्य अकेडमिक कोर्स बनाने पर जोर दिया गया है। दरअसल, पिछले साल शुरू किये गए अनिवार्य जेंडर संवेदीकरण कोर्स की तर्ज पर ही जाति को लेकर कोर्स तैयार करने को कहा गया है। जाति को लेकर शुरू किए जाने वाले कोर्स के नेचर और कंटेंट को लेकर चर्चा जारी है।

अनुसूचित जाति सेल में कन्वेनर के रूप में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर भरत अडसुल और को- कन्वेनर के रूप में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मंधु एन बेलूर शामिल हैं।

जातिवादी टिप्पणियों के बारे में जागरूकता

जब इस बारे में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति सेल से संपर्क किया गया तो, इसने एक लिखित बयान में कहा, 'IIT बॉम्बे में देखा गया है की अधिक संवेदनशील कार्येक्रम समावेशिता को बढ़ावा देगा और शिकायतों को कम करने में मदद करेंगे। बयान में कहा गया , 'उदहारण के लिए जाति - आधारित और जातिवादी टिप्पणियों के बारे में जागरूकता इसे खत्म करने में मदद करेगी। इसके जरिए वातावरण के सोन्दर्ये में सुधार होगा।'

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