Langat Singh College : बिहार के एलएस कॉलेज का आस्ट्रो लैब यूनेस्को हेरिटेज लिस्ट में शामिल, 106 साल पहले बनी थी ये वेधाशाला

Langat Singh College : एलएस कालेज का नाम डा. राजेन्द्र प्रसाद, जेबी कृपलानी, रामधारी सिंह दिनकर, आईजे तारापोरवाला, डब्ल्यू डी स्मिथ और एचआर घोषाल जैसे महापुरुषों के नाम जुड़े हैं। महात्मा गांधी चंपारण सत्याग्रह के दौरान यहीं पर ठहरे थे।

Update: 2022-08-03 05:20 GMT

Langat Singh College : लंबे अरसे बाद शिक्षा के क्षेत्र में बिहार ( Bihar ) का नाम सामने आया है। बिहार मुजफ्फरपुर ( Muzaffarpur ) जिले के लंगट सिंह कॉलेज ( Langat Singh College ) में 106 साल पुरानी एक खगोलीय वेधशाला ( astronomical observatory ) को यूनेस्को ( UNESCO ) ने महत्वपूर्ण लुप्तप्राय वेधशालाओं की विरासत सूची ( UNESCO Heritage List of Endangered Observatories ) में शामिल कर लिया है। यूनेस्को के इस फैसले से 106 साल पुरानी वेधाशाला के पुनर्जीवित होने की उम्मीद बढ़ गई है। अपने अद्भुत अतीत का संकेत देने के लिए बहुत कम है। इससे बिहार के गौरवशाली इतिहास को नये सिरे से जाने का सभी अवसर भी मिलेगा।

नेशनल कमिशन फार हिस्ट्री आफ साइंस के सदस्य और दिल्ली कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर जेएन सिन्हा ने कहा कि उन्होंने वेधशाला की ओर यूनेस्को ( UNESCO ) का ध्यान आकर्षित करने का काम वर्षों पूर्व शुरू किया था। तब से मेरा प्रयास इसे विश्व विरासत सूची में शामिल करने को लेकर जारी था। लगातार प्रयास का परिणाम यह हुआ कि इस ओर यूनेस्को का ध्यान गया और अब मेरा प्रयास सही मायने में सफल हो गया है।

इतिहास के प्रोफेसर जेएन सिन्हा ने बताया कि वेधशाला और तारामंडल ने उन्नीस सत्तर के दशक की शुरुआत तक संतोषजनक ढंग से काम किया। बाद में शासनिक उपेक्षा की वजह से वेधाशाला का नियमित रूप से क्षरण होता रहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह वेधशाला पूरी तरह से खराब पड़ी हैं। वेधशाला में कई महंगी मशीनें या तो खो गई हैं या कबाड़ हो गई हैं।

ये है वेधशाला का इतिहास

बता दें कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की तर्ज पर बने लंगट सिंह कॉलेज परिसर में 100 वर्ष से भी पहले स्थापित वेधशाला एवं तारामंडल अपना अस्तित्व लगभग खो चुका है। वेधशाला की स्थापना 1916 में हुई थी और उपकरण इंग्लैंड से मंगाये गए थे।

हाल ही में लंगट सिंह कालेज ( Langat Singh College ) के प्राचार्य डा. ओपी राय ने बिहार ( Bihar ) सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को पत्र भेजकर इसे चालू कराने का आग्रह किया था। वर्तमान में वेधाशाला कॉलेज के मुख्य भवन के सामने छले करीब चार दशकों से बंद है।

देश की प्राचीनतम वेधशालाओं में शामिल इस वेधशाला के लिए कई उपकरण चोरी हो जाने के कारण जरूरी कलपुर्जे भी नहीं मिल रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर एवं देश की वेधशालाओं पर शोध करने वाले जेएन सिन्हा ने बताया कि 1500 वर्ष पहले महान खगोलविद् आर्यभट्ट ने तरेगना कस्बे में वेधशाला बनाई थी। तरेगना से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर लंगट सिंह कालेज है।

लंगट सिंह कालेज ( Langat Singh College ) का नाम डा. राजेन्द्र प्रसाद, जेबी कृपलानी, रामधारी सिंह दिनकर, आईजे तारापोरवाला, डब्ल्यू डी स्मिथ और एचआर घोषाल जैसे महापुरुषों के नाम जुड़े हैं। महात्मा गांधी चंपारण सत्याग्रह के दौरान यहीं पर ठहरे थे। इस वेधशाला ने 80 के दशक में काम करना बंद कर दिया था। 1995 में वेधशाला के कुछ उपकरण चोरी हो गए थे जिसके बाद इसे सील कर दिया गया। यह बिहार का पहला एवं देश के गिने चुने प्राचीनतम तारामंडल में से एक है जो किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी परिसर में स्थित है।

कॉलेज के रिकार्ड के मुताबिक फरवरी 1914 में कॉलेज के प्रोफेसर रोमेश चंद्र सेन ने खगोलीय वेधशाला स्थापित करने के लिये पश्चिम बंगाल के बांकुरा के वेसलियन कालेज के तत्कालीन प्राचार्य जे मिटचेल से विचार विमर्श किया था। इसके बाद कालेज ने 1915 में इंग्लैंड से एक टेलीस्कोप, वस्तुओं को देखने संबंधी चार इंच का ग्लास, डेढ इंच का फाइंडर एवं कुछ अन्य उपकरण खरीदे। इसके अलावा खगोलीय घड़ी एवं क्रोनोग्राफ भी खरीदा गया। इस वेधशाला ने 1916 से काम शुरू किया और तब प्रो. मिटचेल ने कालेज को बधाई देते हुए इस विषय पर शोध कार्यो को साझा करने का आग्रह किया था। इसके बाद वेधशाला को बेहतर बनाने के लिये 1919 में सर्वे आफ इंडिया से भी सहयोग किया गया। इसके बाद कॉलेज के लिये कुछ अन्य उपकरण भी खरीदे गए लेकिन यह सिलसिला आगे जा कर रूक गया। कुछ उपेक्षा और उदासीनता इस कदर हावी हुई कि वेधशाला ने 80 के दशक में काम करना बंद कर दिया था। 1995 में वेधशाला के कुछ उपकरण चोरी हो गये जिसके बाद इसे सील ही कर दिया गया।

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