राजस्थान के सरकारी स्कूलों में लगातार बढ़ रही हैं दलित विद्यार्थियों पर अत्याचार की शर्मनाक घटनाएं, पुलिसिया जांच पर उठते सवाल
सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में दलित विद्यार्थियों के साथ हो रहे भेदभाव की निरंतर बढ़ रही घटनाएं हमारी पूरी व्यवस्था के लिए कलंक की बात है। इस परिस्थिति को जितना जल्दी हो बदलना चाहिए। हमारे बच्चों का भविष्य अंधकार में है। हम सबको मिलकर आवाज उठानी होगी। हमारी चुप्पी पीढ़ियों को बर्बाद कर देगी...
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दलित, आदिवासी एवं घुमंतू अधिकार अभियान राजस्थान (डगर) के संस्थापक भंवर मेघवंशी की टिप्पणी
Dalit lives matter : नागौर संसदीय क्षेत्र के डीडवाना-कुचामन इलाके के बरड़वा गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में 24 सितम्बर 2025 को दलित छात्रों, विशेषकर 12 वर्षीय विशाल मेघवाल के साथ हुई निर्मम मारपीट राजस्थान की घटना शिक्षा व्यवस्था और कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। यह सिर्फ बच्चों की पिटाई नहीं, यह जातिगत उत्पीड़न का निंदनीय कृत्य है।
घटना का मुकदमा अगले दिन 25 सितंबर को थाना बरड़वा प्राथमिक सूचना रिपोर्ट संख्या 0010/2025 दर्ज हुआ। आरोपी सरकारी शिक्षक भरतसिंह को शिक्षा विभाग ने एपीओ किया है। पुलिस कार्यवाही की जांच वृताधिकारी धर्म पूनिया कर रहे हैं। मेडिकल रिपोर्ट में चोटों की पुष्टि हुई है, लेकिन पुलिस कार्यवाही आज भी शून्य है।
इतना ही नहीं, बल्कि गांव में ही थाना होने के बावजूद पीड़ित बच्चे और उसके परिवार को लगातार धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल के सीसीटीवी कैमरे बंद पाए गए, जिससे शुरुआती जांच प्रभावित हुई। हालांकि स्टूडेंट से मारपीट की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भी पुलिस कार्रवाई रफ्तार नहीं पकड़ रही। दुखद बात यह है कि अनुसूचित जाति जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज होने के बावजूद प्रगति नगण्य है।
6 हफ्ते बीत गए पीड़ित दलित परिवार पर न्याय अभी भी दूर है। क्या सरकारी स्कूल दलित बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं? क्या राजस्थान में दलित छात्रों की चीखें फाइलों और एपीओ आदेशों के बोझ तले दबा दी जाएगी?
आज राजस्थान के पुलिस महानिदेशक और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को दलित-आदिवासी-घुमंतू अधिकार अभियान राजस्थान (डगर) की तरफ से पत्र लिख कर मांग की है कि आरोपी शिक्षक भरतसिंह की तुरंत गिरफ्तारी की जाए। अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के सभी प्रावधानों के साथ क्राइम सेक्शन जोड़कर चार्जशीट तुरंत दाखिल की जाए तथा पीड़ित परिवार को सुरक्षा और कानूनी सहायता दी जाए और शिक्षा विभाग की विभागीय जांच को समयबद्ध कर निलंबन की कार्रवाई अमल में लाई जाए। साथ ही इस पूरे प्रकरण में स्कूल प्रशासन की भूमिका, सीसीटीवी कैमरे बंद होने और समझौते हेतु दबाव बनाने की निष्पक्ष जांच की जाए,स्कूल में अन्य दलित छात्र जो डर के मारे टीसी कटवा रहे हैं,उनकी सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए जाएं।
यह मामला सिर्फ बरड़वा का नहीं है, राजस्थान के हर दलित बच्चे के भविष्य का प्रश्न है। सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में दलित विद्यार्थियों के साथ हो रहे भेदभाव की निरंतर बढ़ रही घटनाएं हमारी पूरी व्यवस्था के लिए कलंक की बात है। इस परिस्थिति को जितना जल्दी हो बदलना चाहिए। हमारे बच्चों का भविष्य अंधकार में है। हम सबको मिलकर आवाज उठानी होगी। हमारी चुप्पी पीढ़ियों को बर्बाद कर देगी।
डगर इस संघर्ष में पीड़ित परिवार के साथ है। जब तक न्याय नहीं नहीं मिल जाता, तब तक हम आवाज़ उठाते रहेंगे और जरूरत पड़ने पर सड़कों पर भी संघर्ष होगा।