TMBU की अल्पसंख्यक छात्राओं ने खोला छात्रावास की अधीक्षिका के खिलाफ मोर्चा, मानसिक प्रताड़ना का आरोप
छात्रावास की छात्रा नीदा फातमा कहती हैं कि छात्रावास में जो मेस चलता है, उस मेस वाली का भी रवैया लड़कियों के प्रति बहुत ही खराब रहती है...
विशद कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार। 10 सितंबर 2021 को बिहार के भागलपुर के तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) का अल्पसंख्यक छात्रावास (Minority Hostel) की छात्राओं ने अल्पसंख्यक बालिका छात्रावास की अधीक्षिका नाहिदा नसरीन (Nahida Nasreen) पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। छात्राओं ने भागलपुर (Bhagalpur) के डीएसडब्ल्यू से मिलकर अधीक्षिका नाहिदा नसरीन को पद से हटाने संबंधी एक आवेदन दिया है।
बता दें कि इससे पहले भी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग भागलपुर व सचिव पटना को छात्राओं ने छात्रावास में अधीक्षिका की तानाशाही रवैया के खिलाफ एक आवेदन ईमेल द्वारा दिया गया था, लेकिन अभी तक अधीक्षिका की तानाशाही रवैया के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।
इस बावत छात्रावास की छात्रा दिलशाद अख्तर कहती हैं कि हमारी अधीक्षिका नाहिदा नसरीन द्वारा हमलोगों को मानसिक रूप से हमेशा प्रताड़ित किया जाता रहा है। अधीक्षिका का रवैया छात्राओं के प्रति हमेशा बहुत बुरा रहा है। यहां तक कि उनके द्वारा हमेशा ही छात्रावास की छात्राओं के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करती रही हैं। दिलशाद बताती हैं कि अधीक्षिका कभी भी लड़कियों की समस्या को नहीं सुनना चाहती है। जो लड़की अपने अधिकारों की बात करती है, तो उसके खिलाफ एफआईआर करने व छात्रावास से बाहर निकालने की धमकी दी जाती है। अगर एक तरह से कहें तो अधीक्षिका नाहिदा नसरीन छात्रावास को सरकारी छात्रावास न समझ के अपनी जागीर समझती हैं।
वहीं दरक्शान परवेज बताती हैं कि अधीक्षिका का रवैया लड़कियों के साथ जिस तरह की होती है, वह उनकी पद की गरिमा को ही कलंकित करता है। परवेज कहती हैं अधीक्षिका महोदया को इसका जरा भी एहसास नहीं होता कि वे एक जिम्मेवार पद पर हैं। छात्रावास में वो इस तरह की हुकूमत चलाती हैं कि उनके आदेश के खिलाफ परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। उनके आदेशा के अनुसार ही छात्रावास खुलता व बंद होता है। चाहे लड़कियों को उस वक्त किसी तरह की परीक्षा ही क्यों नहीं चल रही हो। हद तो यह है कि पीजी व यूजी के हर समेस्टर की परीक्षा के बाद लड़कियों को छात्रावास खाली करने को कहा जाता है और फिर से नामांकन के लिए कहा जाता है।
बताते चलें कि नगमा अनवर बताती हैं कि सरकार की तरफ से जो सुविधाएं छात्रावास को दिया जाता है, उससे छात्रावास की लड़कियां हमेशा से वंचित रहती हैं। यहां तक कि छात्राओं के उपयोग के लिए दो Induction मुहैया कराया गया वो भी अधिक्षिका के द्वारा एक रूम में ताला लगा के रखा जाता है। वैसे में अगर हमें सरकारी सुविधाओं से हमेशा से वंचित ही रखा जाता है, तो छात्रावास में रहना न रहना बराबर है।
छात्रावास की छात्रा नीदा फातमा कहती हैं कि छात्रावास में जो मेस चलता है, उस मेस वाली का भी रवैया लड़कियों के प्रति बहुत ही खराब रहती है। क्योंकि इस मेस वाली के सिर के ऊपर भी अधीक्षिका मोहतरमा का हाथ हैं। हर रोज किसी ना किसी लड़की को मेस वाली की भी बदतमीजी झेलनी ही पड़ती है।
आगे बेनीजीर ताज बताती हैं कि जब हम अधीक्षिका से छात्रावास में हुई परेशानी की शिकायत करती हैं, तो वो शिकायत करनेवाली लड़कियों के अभिभावकों को फोन करके बहुत गलत तरीके की बातें करती हैं। जिसके कारण हमें घर से भी अलग डांट सुननी पड़ती है। आखिर कब तक हम इन मानसिक परेशानियों को छेलती रहेंगी। वे सवाल करती हैं कि क्या अपना हक अधिकार के लिए आवाज उठाना कोई गुनाह है?
आगे फराहत फिरदौस कहती हैं कि हमने कई बार छात्रावास की अधीक्षिका नाहिदा नसरीन की तानाशाही रवैया की शिकायत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, भागलपुर को भी आवेदन के मार्फत दिया है, लेकिन इस पर कोई सुनवाई आजतक नहीं हुई और आज हमने डीएसडब्ल्यू महोदय को भी आवेदन देकर पूरे मामले से अवगत कराया व डीएसडब्ल्यू महोदय ने सोमवार तक का समय मांगा है। अगर अब भी हमारी शिकायत फर कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो हम इन सवालों को लेकर आगे भी आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे और जब तक छात्रावास की तानाशाही अधीक्षिका नाहिदा नासरीन को हटा नहीं दिया जाता है, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
अधीक्षिका की तानाशाही के खिलाफ हुए इस मोर्चे में मौजूद छात्राओं में जामीला इशरत, अनमोल खातून, गुलनाज, सुबी, राबिया, सादकीन, सबरीन, मुस्कान, मेहर ताज,नेहा सहित दर्जनों छात्राएं शामिल थीं।