स्वघोषित विश्वगुरु का डंका पीटते-पीटते मोदीराज में देश को मिल गया पर्यावरण संरक्षण समेत सभी सामाजिक सरोकारों में 'फिसड्डी भारत' का तमगा !
सामाजिक सरोकारों, जिनमें पर्यावरण भी शामिल है, के बारे में हमारे देश के दरबारी मीडिया में खबरें नहीं होतीं, इस इंडेक्स की खबर भी सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया – हरेक जगह नदारद है। मीडिया ही क्यों, हाल में संपन्न हुए आम चुनावों में भी कहीं भी पर्यावरण की चर्चा नहीं थी, जनता के बीच कोई मुद्दा नहीं था...
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
येल यूनिवर्सिटी और कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने सयुक्त रूप से हाल में ही पर्यावरण प्रदर्शन इंडेक्स 2024 प्रकाशित किया है और इस इंडेक्स में शामिल कुल 180 देशों में भारत 176वें स्थान पर है, यही नहीं दक्षिण एशिया के 8 देशों में भारत 7वें स्थान पर है। इस इंडेक्स में भारत के पड़ोसी देशों में केवल पाकिस्तान-म्यांमार ही भारत से पीछे हैं, पर म्यांमार को इंडेक्स के क्षेत्रीय वर्गीकरण में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शामिल किया गया है, और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में सबसे पीछे हमारा देश है।
सामाजिक सरोकारों, जिनमें पर्यावरण भी शामिल है, के बारे में हमारे देश के दरबारी मीडिया में खबरें नहीं होतीं, इस इंडेक्स की खबर भी सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया – हरेक जगह नदारद है। मीडिया ही क्यों, हाल में संपन्न हुए आम चुनावों में भी कहीं भी पर्यावरण की चर्चा नहीं थी, जनता के बीच कोई मुद्दा नहीं था।
जिस तरह से बेरोजगारी की चर्चा होते ही प्रधानमंत्री मोदी गर्व से बताते हैं कि अब भारत का युवा रोजगार मांगता नहीं, बल्कि दूसरों को रोजगार देता है, ठीक उसी तर्ज पर पर्यावरण की चर्चा करते हुए भी प्रधानमंत्री 5000 वर्षों की परंपरा का जिक्र करते हैं, बताते हैं कि पर्यावरण संरक्षण हमारी जीवनशैली में रचा-बसा है। अब पर्यावरण संरक्षण का पैमाना पर्यावरण नहींख् बल्कि प्रधानमंत्री तय करते हैं। प्रधानमंत्री कहते हैं गंगा प्रदूषण-मुक्त है तो सब करते हैं कि गंगा में प्रदूषण नहीं है, प्रधानमंत्री कहते हैं कि वनों का क्षेत्र बढ़ रहा है तो सब यही कहते हैं, प्रधानमंत्री कहते हैं कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में हमारा योगदान नगण्य है तो यही प्रचारित किया जाता है। अब आंकड़े अध्ययन से नहीं बल्कि प्रधानमंत्री की जुबान से टपकते हैं। इन सबके बीच हमारे देश का पर्यावरण पूरी तरह उपेक्षित रह गया है, और पूंजीवाद सरकारी मदद से इसे पूरी तरह लूटने की और अग्रसर है।
पर्यावरण प्रदर्शन इंडेक्स हरेक 2 वर्षों के अंतराल पर प्रकाशित किया जाता है। इसके लिए पर्यावरण से सम्बंधित 58 सूचकों का आकलन कर हरेक देश के प्रदर्शन के आधार पर 0 से 100 के बीच अंक दिए जाते हैं और फिर अंकों के आधार पर एक इंडेक्स तैयार किया जाता है। भारत को कुल 27.6 अंक मिले हैं और इंडेक्स में 176वें स्थान पर है। पहले स्थान पर 75.3 अंकों के साथ एस्टोनिया है, जबकि अंतिम स्थान पर 24.5 अंकों के साथ वियतनाम है।
इस इंडेक्स में पर्यावरण संरक्षण में सबसे बेहतर प्रदर्शन वाले देश हैं – एस्टोनिया, लक्सेम्बर्ग, जर्मनी, फ़िनलैंड, यूनाइटेड किंगडम, स्वीडन, नॉर्वे, ऑस्ट्रिया, स्विट्ज़रलैंड और डेनमार्क। इंडेक्स में वियतनाम सबसे अंतिम स्थान पर है, इससे पहले के देश हैं – पाकिस्तान, लाओस, म्यांमार, भारत, बांग्लादेश, एरिट्रिया, मेडागास्कर, इराक, अफ़ग़ानिस्तान और कंबोडिया। दक्षिण एशिया के 8 देशों में इंडेक्स में सबसे आगे 101वें स्थान पर भूटान, 131वें स्थान पर श्रीलंका, 136वें स्थान पर मालदीव्स, 165वें स्थान पर नेपाल, 171वें स्थान पर अफ़ग़ानिस्तान, 175वें स्थान पर बांग्लादेश, 176वें स्थान पर भारत और 179वें स्थान पर पाकिस्तान है।
बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में 13वें स्थान पर फ्रांस, 23वें स्थान पर ऑस्ट्रेलिया, 27वें स्थान पर जापान, 28वें स्थान पर कनाडा, 29वें स्थान पर इटली, 34वें स्थान पर अमेरिका, 48वें स्थान पर ब्राज़ील, 53वें स्थान पर संयुक्त अरब अमीरात, 57वें स्थान पर दक्षिण कोरिया, 84वें स्थान पर रूस, 94वें स्थान पर मेक्सिको, 104वें स्थान पर साउथ अफ्रीका, 106वें स्थान पर सऊदी अरब और 154वें स्थान पर रूस है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और स्वघोषित विश्वगुरु, भारत, 176वें स्थान पर है।
इसी इंडेक्स में पर्यावरण स्वास्थ्य के सन्दर्भ में भारत 180 देशों में 177वें स्थान पर, पारिस्थितिकी तंत्र जीवन्तता में 170वें स्थान पर, जलवायु परिवर्तन में 133वें स्थान पर, वायु गुणवत्ता के संदर्भ में 177वें स्थान पर, पेयजल और स्वच्छता में 143वें स्थान पर, भारी धातुओं के सन्दर्भ में 146वें स्थान पर, जल संसाधन में 104वें स्थान पर, मछलियों के सन्दर्भ में 116वें स्थान पर, वायु प्रदूषण में 129वें स्थान पर और जैव-विविधता के सन्दर्भ में 178वें स्थान पर है। वनों के सन्दर्भ में भारत 15वें स्थान पर, कृषि से सम्बंधित पर्यावरण में 46वें स्थान पर और ठोस अपशिष्ट के सन्दर्भ में 86वें स्थान पर है।
इस इंडेक्स से इतना तो स्पष्ट है कि स्वघोषित विश्वगुरु का डंका पीटते-पीटते हम पर्यावरण संरक्षण समेत सभी सामाजिक सरोकारों में दुनिया के सबसे पिछड़े देशों के साथ खड़े हैं और विकसित भारत का नारा बुलंद कर रहे हैं।
संदर्भ:
Block, S., Emerson, J. W., Esty, D. C., de Sherbinin, A., Wendling, Z. A., et al. (2024). 2024 Environmental Performance Index. New Haven, CT: Yale Center for Environmental Law & Policy. epi.yale.edu