तानाशाही पर उतर चुकी मोदी सरकार ने भूख हड़ताल पर बैठे सोनम वांगचुक और उनके साथियों को लद्दाख भवन में कर लिया है कैद

सोनम वांगचुक ने उत्तराखंड व देश के पर्यावरणीय विनाश पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आप सभी मिलकर इस रोकिये। उन्होंने स्थिति सामान्य होने के बाद उत्तराखंड आने का वादा किया...

Update: 2024-10-18 12:03 GMT

नई दिल्ली। समाजवादी लोक मंच व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने लद्दाख भवन पर 4 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे सोनम वांगचुक और लद्दाख के सभी संघर्षशील साथियों के साथ धरना दिया तथा उन्हें लिखित समर्थन दिया। लद्दाख भवन पर सरकार द्वारा बैरिकेडिंग लगाकर कर उपपा नेता प्रभात ध्यानी, पूजा व सौरभ को धरनास्थल पर जाने से जबरन रोक दिया।

सोनम वांगचुक ने उत्तराखंड व देश के पर्यावरणीय विनाश पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आप सभी मिलकर इस रोकिये। उन्होंने स्थिति सामान्य होने के बाद उत्तराखंड आने का वादा किया।

लद्दाख आंदोलन के समन्वयक मेंहदी शाह ने कहा कि लद्दाख की आबादी 3:30 लाख है, जिसमें 95% जनजाति आबादी है। सरकार बड़े प्रोजेक्ट लाकर लद्दाख के पर्यावरण को खराब करना चाहती है। देश के संविधान की छठी अनुसूची के तहत लद्दाख क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए, संसद में उनके ले और लद्दाख से दो सांसद चुनने का अधिकार दिया जाना चाहिए उन्होंने बेरोजगारी दूर करने की मांग भी सरकार के सामने रखी है।

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समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने इसे लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन बताते हुए कहा कि मोदी सरकार तानाशाही पर उतर चुकी है और भूख हड़ताल पर बैठे हुए लोगों को एक प्रकार से लद्दाख भवन में जनता से कटकर कैद कर लिया है। समर्थन पत्र में कहा गया कि उच्च हिमालय क्षेत्र में बसे लद्दाख क्षेत्र के पर्यावरण, वहां के जनजातीय समाज और जनजीवन को बचाने के लिए आपके संघर्ष और आंदोलन का हम पुरजोर समर्थन करते हैं।

सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा तय कर 2 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचने और गांधी समाधि पर उपवास पर बैठ समूचे देश, दुनिया और भारत सरकार के समक्ष अपनी मांग रखने के आपके लोकतांत्रिक अधिकार का कत्ल कर आपको और साथियों को दिल्ली पहुंचने से रोका गया और रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया गया। भारत सरकार की यह कार्रवाई बेहद निंदनीय है और लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। ये लद्दाख की जनता की आवाज को दबाने की कोशिश है।

खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र घोषित करने वाले देश की भाजपा सरकार ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली पहुंच रहे किसानों को रोकने के लिए सड़कों पर सुरक्षा बल तैनात कर कीलें लगवा दी थीं।

देश के कॉरपोरेट, पूंजीपति वर्ग और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नजर लद्दाख के जल-जंगल-जमीन पर है। वे लद्दाख के प्राकृतिक संसाधनों को चूस कर अपना मुनाफा बढ़ाना चाहते हैं। भाजपा सरकार उन्हीं के हित में काम कर रही है। यही कारण है कि वह लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और पर्यावरण संरक्षण समेत आपकी मांगों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और देश के दूसरे पर्वतीय-हिमालयी राज्यों में विकास के नाम पर जिस तरह से पर्यावरण का विनाश किया जा रहा है उसको रोका जाना बेहद जरूरी है।

आपका संघर्ष केवल लद्दाख को बचाने का संघर्ष नहीं है, बल्कि यह देश और दुनिया के पर्यावरण को बचाने का संघर्ष भी है, जो आखिर मुकाम पर इंसानी नस्ल को पूंजीवाद से बचाने की लड़ाई तक जाता है। प्रभात ध्यानी, पवन, सीमा, चंचल, मंजू और पूजा ने कहा कि हम खुले दिल से आपके मजबूत इरादों और संघर्ष की सफलता की कामना करते हैं।

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