देश में पक्षियों के प्रजातियों की हुई गिनती, दुनियाभर में पक्षियों की कुल ज्ञात 10906 प्रजातियों में से 1353 भारत में
यह एक आश्चर्य के साथ ही देश के वन्यजीवों से खिलवाड़ का विषय है कि जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया देश में पक्षियों की 78 स्थानिक प्रजातियाँ बताता रहा है, पर पिछले वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न के बीच इस गौरवशाली इतिहास वाले संस्थान ने स्थानिक प्रजातियों से सम्बंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की तब केवल 75 स्थानिक प्रजातियों का विवरण दिया गया....;
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
In the month of February, the bird-watchers and ornithologists spotted 1036 species of birds in India. इस वर्ष (2024 में) 16 से 19 फरवरी तक देश में पक्षियों की प्रजातियों की गिनती की गयी। यह वैश्विक स्तर पर आयोजित ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट 2024 का हिस्सा था और इसके अंतर्गत पक्षी वैज्ञानिक से लेकर सामान्य जन तक अपने आसपास के परिवेश में पक्षियों की प्रजातियाँ पहचानते हैं और फिर अपनी चेकलिस्ट और प्रजातियों का नाम “ईबर्ड” नामक ई-प्लेटफोर्म पर अपलोड करते हैं।
इस वर्ष देश में इन चार दिनों के भीतर इस प्लेटफोर्म पर लगभग 61000 चेकलिस्ट और 1036 प्रजातियों का नाम अपलोड किया गया। पक्षियों की प्रजातियों के सम्बन्ध में यह संख्या तीसरी और चेकलिस्ट के सन्दर्भ में दूसरी है। चेकलिस्ट में 172025 के साथ अमेरिका पहले स्थान पर है। पक्षियों की प्रजातियों की संख्या के सन्दर्भ में 1363 प्रजातियों के साथ कोलंबिया पहले स्थान पर, 1130 प्रजातियों के साथ एक्वाडोर दूसरे स्थान पर और 1036 प्रजातियों के साथ भारत तीसरे स्थान पर है।
ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट की शुरुआत वर्ष 1998 में की गयी थी और इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर हरेक वर्ष पक्षियों की स्थिति, विविधता और संख्या के आकलन के साथ सामान्य जन में पक्षियों के प्रति जागरूकता पैदा करना है। वर्तमान में लगभग 100 देशों में इसके आयोजन किये जाते हैं। भारत पिछले 12 वर्षों से लगातार इस कार्यक्रम में सक्रिय है। इस वर्ष की विशेषता यह थी कि पहली बार देश के हरेक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में पक्षियों की पहचान और गिनती का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कुछ राज्यों – आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, कर्णाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल – के हरेक जिले में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
चेकलिस्ट के सन्दर्भ में 14023 के साथ पहले स्थान पर केरल, 13661 के साथ तमिलनाडु दूसरे और 5725 के साथ महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है। पक्षियों की देखी गयी प्रजातियों के संदर्भ में पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल रहा। पश्चिम बंगाल में पक्षियों की 538 प्रजातियाँ देखी गईं, दूसरे स्थान पर 426 के साथ उत्तराखंड और 420 प्रजातियो के साथ असम तीसरे स्थान पर रहा। दिल्ली में पक्षियों की 180 प्रजातियाँ देखी गईं। इस गणना के दौरान पक्षियों की अनेक स्थानिक प्रजातियाँ और संरक्षण के सन्दर्भ में उच्च प्राथमिकता वाले पक्षियों की प्रजातियाँ भी देखी गईं।
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के अनुसार दुनिया में पक्षियों की 10906 ज्ञात प्रजातियाँ हैं, जिनमें से 1353 यानि, 12.4 प्रतिशत, प्रजातियाँ भारत में मिलती हैं। देश में पक्षियों की कुल प्रजातियों में से 5 प्रतिशत, यानि 78 प्रजातियाँ स्थानिक हैं। स्थानिक प्रजातियों का मतलब होता है ये प्रजातियाँ देश की भौगोलिक सीमा से बाहर नहीं मिलतीं – भौगोलिक सीमा में भी किसी एक क्षेत्र या द्वीप तक सीमित रहती हैं। स्थानिक प्रजातियों में से सबसे अधिक 28 प्रजातियाँ पश्चिमी घाट के क्षेत्र में सिमटी हैं, इसके बाद 25 प्रजातियाँ अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों तक सीमित है।
कुल 78 स्थानिक प्रजातियों में से 25 खतरे में हैं और 11 प्रजातियाँ खतरे की तरफ बढ़ रही हैं।
यह एक आश्चर्य के साथ ही देश के वन्यजीवों से खिलवाड़ का विषय है कि जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया देश में पक्षियों की 78 स्थानिक प्रजातियाँ बताता रहा है, पर पिछले वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न के बीच इस गौरवशाली इतिहास वाले संस्थान ने स्थानिक प्रजातियों से सम्बंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की तब केवल 75 स्थानिक प्रजातियों का विवरण दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया जिससे आजादी के 75 वर्षों के साथ पक्षियों की 75 स्थानिक प्रजातियों की संख्या मेल खा सके। कारण यह बताया गया कि तीन प्रजातियों को पिछले अनेक वर्षों से देखा नहीं गया है। मणिपुर बुशक्वेल को वर्ष 1907 के बाद से, हिमालयन क्वेल को 1876 के बाद से और जॉर्डन कोउर्सेर को वर्ष 2009 के बाद से देखा नहीं गया है।
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा वर्ष 2006 में प्रकाशित एक न्यूज़लेटर के अनुसार दक्षिण एशिया में पक्षियों की 218 प्रजातियाँ स्थानिक हैं, जिसमें से 36 प्रतिशत यानी कुल 79 प्रजातियाँ भारत में हैं। इसमें से 27 प्रजातियों पर कोई खतरा नहीं है, 7 प्रजातियों की स्थिति का विस्तृत आकलन नहीं किया गया है और शेष सभी प्रजातियाँ खतरे में हैं – 3 प्रजातियाँ तो विलुप्तीकरण के कगार पर हैं। वर्ष 2002 में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने स्थानिक प्रजातियों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें 50 प्रजातियों का विस्तृत विवरण था।
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी हरेक वर्ष नवम्बर के महीने में पूरे देश में एक सप्ताह तक पक्षियों की गिनती का कार्यक्रम आयोजित करती है, इसे सलीम अली बर्ड काउंट के आम से जाना जाता है। वर्ष 2023 में इस गिनती के दौरान पक्षियों की कुल 1017 प्रजातियाँ देखी गईं। सबसे अधिक 425 प्रजातियाँ पश्चिम बंगाल में, 411 प्रजातियाँ उत्तराखंड में और कर्नाटक में 391 प्रजातियाँ देखी गईं। इसी अवधि के दौरान दिल्ली में पक्षियों की 129 प्रजातियाँ मिलीं।
सन्दर्भ:
1. Great Backyard Bird Count 2024 – Preliminary Results - birdcount.in/gbcc24-prelim-results/
2. 75 Endemic Birds of India. Zoological Survey of India (2023) – pib.gov.in/PressReleaseDetailM.aspx?PRID=1936742
3. Endemic Birds of India. Girish Avinash Jathar & Asad R. Rahmani. BUCEROS – ENVIS Newsletter: Avian Ecology & Inland Wetlands, Vol 11, No. 2&3 (2006) – researchgate.net/publication/266971492_Endemic_Birds_of_India
4. Salim Ali Bird Count 2023 – Results: birdcount.in/sabc23-results/.