इंसानों की तरह हाथी भी एक-दूसरे से नाम लेकर करते हैं बातचीत, रहते हैं बड़े समूहों में, अध्ययन में हुआ खुलासा

हाथी सामाजिक प्राणी हैं और एक बड़े समूह में रहते हैं। ये समूह में एक-दूसरे से लगातार बात करते रहते हैं, पर सामान्य वार्ता में एक-दूसरे का नाम नहीं लेते। जब मां अपने बच्चों की खबर जानना चाहती है, या फिर दूर खड़े दो दोस्त बात करना चाहते हैं, तब हाथी नाम का इस्तेमाल करते हैं और इसका प्रभाव जल्दी पड़ता है....

Update: 2024-06-20 06:01 GMT

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महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

African elephants call each other by specific name, just like humans. नेचर इकोलॉजी एंड ईवोल्यूशन नामक जर्नल में कोर्नेल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक माइकेल पार्दों के नेतृत्व में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अफ्रीका के हाथी एक-दूसरे का नाम रखते हैं, और उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं, आपसी संवाद में ये हाथी अपना नाम समझते भी हैं। हमारे आसपास कुत्ते जैसे कुछ पालतू जानवर मिलते हैं, जो अपना नाम पुकारने पर समझ जाते हैं, पर वे भी अपने उपयोग के लिए एक-दूसरे का नाम नहीं रखते। मनुष्य एक-दूसरे का नाम रखते है और उसी नाम से एक दूसरे को पुकारते हैं।

मनुष्यों के अलावा कम ही वन्यजीव ऐसा करते हैं। कुत्ते अपना नाम समझते हैं। बेबी डॉलफिन भी सीटी जैसी अलग-अलग आवाजों से एक-दूसरे को पुकारते हैं, इसे सिग्नेचर व्हिसल कहा जाता है। सामान्य मैना और कौवे आवाज बदलने में माहिर हैं, पर नाम नहीं समझते। तोते अपने नाम के साथ ही दूसरों का नाम भी समझते हैं, पर कुत्ते और तोते – दोनों का सामान्य व्यवहार और आवाज से सम्बन्ध पालतू होने के बाद बिलकुल बदल जाता है। अब इस सूची में अफ्रीकी हाथी भी शामिल हो गए हैं। इन सभी जानवरों की एक सामान्य विशेषता है – संभी नई आवाजों की नक़ल करने का प्रयास करते हैं, और यह आदत जीवनपर्यंत रहती है।

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हाथी अनेक आवृत्ति की आवाजें उत्पन्न करते हैं और कुछ आवाजें मनुष्यों को सुनाई नहीं देतीं, पर जंगलों में दूर तक जाती हैं। हाथी एक-दूसरे का नाम भी इन्हीं आवाजों में लेते हैं। हाथियों के लिए एक-दूसरे की पहचान आवश्यक है, क्योंकि इनका सामाजिक जीवन जटिल होता है और इन्हें समूह बिछड़ते और फिर आत्मीयता से मिलते भी हैं। इस अध्ययन को केन्या के राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण्य में किया गया था।

इस अध्ययन के दौरान आवाजों को रिकॉर्ड करने के अलावा यह भी देखा गया था कि किस हाथी ने आवाज दी, और आवाज सुनकर कौन सा हाथी या बच्चा आया। इसके बाद इन आवाजों का विस्तृत अध्ययन कंप्यूटर मॉडल और मशीन लर्निंग के द्वारा किया गया। मशीन लर्निंग द्वारा किसी विशेष हाथी को बुलाने की आवाज से वह हिस्सा निकाला गया जो लगातार एक जैसा थे, यानी उस हाथी के लिए विशेष तौर पर उपयोग किया गया था, जैसे हम नामों का इस्तेमाल करते हैं।

नाम जैसे आवाजों की रिकॉर्डिंग उन हाथियों के सामने चलाई गयी, जिनके लिए हाथियों ने आवाजें दी थीं। इन आवाजों को सुनकर जिस हाथी के लिए इसका उपयों हाथियों ने किया था, वह हाथी दौड़ते हुए सामने आता था, उसके कान जोर से हिलने लगते थे और सूंड हिलने लगती थी। ऐसा हाथी खुश होने पर ही करते हैं। शेष हाथी अनमने से खड़े रहते थे।

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हाथी सामाजिक प्राणी हैं और एक बड़े समूह में रहते हैं। ये समूह में एक-दूसरे से लगातार बात करते रहते हैं, पर सामान्य वार्ता में एक-दूसरे का नाम नहीं लेते। जब मां अपने बच्चों की खबर जानना चाहती है, या फिर दूर खड़े दो दोस्त बात करना चाहते हैं, तब हाथी नाम का इस्तेमाल करते हैं और इसका प्रभाव जल्दी पड़ता है।

सन्दर्भ:

Pardo, M.A., Fristrup, K., Lolchuragi, D.S. et al. African elephants address one another with individually specific name-like calls. Nat Ecol Evol (2024). https://doi.org/10.1038/s41559-024-02420-w

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